सपनों से भरे नैना DINESH KUMAR KEER द्वारा कुछ भी में हिंदी पीडीएफ

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सपनों से भरे नैना

1.
ना झूठ बोलना पडे़ मुझे जमाने से
ना कुछ छुपाना पडे़ मुझे अपनो से
कुछ ऐसा इंतजाम कर
सब कुछ आसां हो तेरे मेरे दरमियां
और किसी को खबर भी ना लगे

2.
दीवानी हुँ तेरी इस बात से इंकार नहीं
लेकिन कैसे कह दूँ कि तुमसे प्यार नहीं
तेरी नजरों कि ही शरारत थी कुछ
मैं इसमे अकेली गुनहगार तो नहीं
माना जताया नहीं कभी तुमने मुझसे
लेकिन किया कभी इंकार भी नहीं
जो ना होती मोहब्बत हमसे तुम्हें
तो क्युँ दूर जाना हमसे गँवारा नहीं

3.
ऩजरो से छुआ था बस तुम्हें
पल भर के लिये
हमे खबर ही न हुई
ये दिल कब तु्म्हारी ख्वाहिश कर बैठा
ये जानते हुए कि तुम किसी और कि अमानत हो
फिर भी ये तुम्हे पाने कि जिद्द कर बैठा है

4.
उससे मिलना था इत्तेफाक और बिछड़ना मेरा नसीब था
वो इतनी दूर हो गया मुझसे, जितना मेरे करीब था
उसे देखने को हम तरसते ही रह गये
जिसके हाथो कि लकीरों मे मेरा नसीब था
लोग मजा ले रहे थे, मेरे जलते घर का
जबकि वही समंदर करीब था
दफना दिया गया मेरी मोहब्बत को
क्योंकि जिसे मैंने चाहा वो गरीब था
क्या मंजर था वो मेरी बर्बादी का
वहाँ सब कुछ ही अजीब था

5.
हर रोज बात हो ये जरूरी तो नही
हर दिन हम साथ हो, ये भी जरूरी नही
जरूरी है वो एहसास, जिससे तु पास लगे
वो मेरा है, हर पल वो मेरे साथ रहे
जब मिले तब हमेशा मुस्कुराए
और इन सबसे भी जरूरी है
एक दुजे के जज्बात, एक दुजे के लिये होना

6.
क्युँ मेरे साथ ही ऐसा होता है
वो मेर करीब होकर भी, मेरा होता नहीं
हर लफ्ज से ना जाने क्युँ बढ़ जाते फ़ासले है
मगर फिर भी वो मेरी आँखो से कभी ओझल होता नहीं
अक्सर खामोश रहता है वो, पूछती हुँ
ये खामशी क्युँ
लेकिन उसके पास कोई जबाब होता ही नहीं
कर देता है, अक्सर देखकर अनदेखा मुझे
लेकिन मुझसे ऐसा होता ही नहीं
अक्सर मिलता है वो मुझसे, बाते भी करता है
आँखों मे मेरी आँखे डालकर सवाल भी करता है
लेकिन पता नहीं फिर भी क्युँ उसे मुझसे प्यार होता ही नहीं

7.
लफ्ज क्या बंया करेगे खुबसूरती उनकी
जिनके जिक्र से ही खुबसूरती बंया होती हो
उनकी वो नशीली आँखे, उन्हें और भी खुबसूरत बनाती है
उनके वो नरम गुलाबी होठ, जब खुले तो ऐसा लगे
जैसे गुलाब कि दो पंखुरियां खिली हो
उनकी वो घनी रेशमी जुल्फे, मानो जैसे काली बदली छाई हो
उनकी वो सादगी और वो माथे कि बिदिंया
जिसने ना जाने कितनो कि चुराई है निदिंया
क्या कहने उनके इस रूप के
कैसे बंया करूँ उन्हे, जो खुद लोगो के लिये शायरी हो
लफ्ज क्या बंया करेगे खुबसूरती उनकी
जिनके जिक्र से ही खुबसूरती बंया होती हो

8.
भले ही तु चाहता हो किसी और को
पर ना जाने क्युँ लगता है,जैसे तु चाहे मुझी को
तेरे बात करने का अंदाज बताता है
कि तु यार मुझी पर मरता है
तेरा वो मुझसे घंटो बाते करना
मेरी बातो के लिये वो तेरा इंतजार करना
जबाब ना देने पर तेरा वो बेकरार होना
जाहिर कर ही जाता है ,कि यार तु मुझी को चाहता है
लाख इंनकार कर ले तु चाहे मुझसे
लेकिन ना जाने क्युँ तेरी बातों से ये लग ही जाता है
कि हाँ यार तु मुझी को चाहता है

9.
अगर इश्क सिर्फ उसके चहेरे से होता
तो उसकी तस्वीर को पहले अपने फोन और फिर दिल से मिटा कर
भुल जाते हम।
उसकी गली मे कभी कदम ना रखे, उसके शहर से चले जाए हम
पर जब इश्क उसकी सादगी से हो, उसकी बातो से हो
उसकी आवाज से हो, उसकी आँखो से हो,
उसके पास होने के एहसास से हो
उसकी साँसो से हो, उसके लड़कपन से हो
तो फिर कौनसा तरीका अपनाएं हम
ए खुदा अब तु ही बता कैसे भुल जाएं हम
कैसे भुल जाएं हम...?