1.
गर इश्क ना होता इनमें
तो आंखें इतनी खूबसूरत ना होती
जो गम न दिए होते जमाने ने
तो खुशी की कीमत पता नहीं होती
जो बेवफाई ना की होती यारों ने
तो वफा की चाहत ना होती
जो तन्हाई का एहसास ना होता
तो महफिलों में रौनक ना होती
जो मांगे से ही मिल जाती हर मुराद
ना खुदा, खुदा की जरूरत ना होती
2.
सुंदरता क्या है सुंदरता
क्या किसी की आंखों को अच्छा लगना है सुंदरता
या किसी को देखकर नजरों का ठहर जाना है सुंदरता
क्या सुंदरता बस बाहरी ही अच्छी लगती है
क्या मन के सुंदर होने से इसका कोई लेना - देना नहीं
क्या किसी के रंग गोरे और तीखे नैन नक्श होना है सुंदरता
या सांवली सूरत और भोली सीरत भी है सुंदरता
अक्सर लोगों को चेहरो पर मरते देखा है
उनकी तारीफ में कविता कहते सुना है
क्या वाकई यह होती है सुंदरता
अरे किसी को उसके चेहरे से नहीं मन से देखो
उसके अंदर छिपे मर्म को देखो
तो शायद जान पाओगे की
असल में क्या होती है सुंदरता
3.
जब आप किसी के साथ एक रिश्ते में बंद जाते हो
और आप सिर्फ उसी के बनकर रह जाते हो
आप तब उसके लिए वह सब करते हो जो उसे अच्छा लगता है
उसकी पसंद और नापसंद सबका ख्याल रखते हो
उससे पहले कभी मिले भी नहीं होते, फिर भी उससे बेइंतहा
प्यार करने लगते हो
आपकी हर खुशी फिर उसी से शुरू और उसी पर
खत्म होने लगती है
आप उससे अपनी हर बात शेयर करते हो
बिना यह सोचे कि वो इसका क्या मतलब निकालेगा
लेकिन कैसा लगे जब आपको यह पता चले
की जिसे आप अपनी जिंदगी अपना सब कुछ
मानकर जो बात खुलकर बता देते हो
असल में वो तो आप पर एतबार ही नहीं करता
नहीं करता आप पर यकीन आपकी हर बात पर
उसकी नजरे शक करती हैं
फिर उस वक्त आपकी सारी सफाईयाँ भी
बेमतलब होने लगती हैं
और लगने लगता है की कैसे आपने अपनी
जिंदगी कि इतने साल
एक ऐसे शख्स के साथ गुजार दिए
जिसने आपको कभी समझा ही नहीं
3.
जब देखा तुझे पहली बार
अपने होश गवां बैठी
ना सोचा तू कौन है
बस तुझे दिल में बसा बैठी
हर पल तेरा ही अब इंतजार रहने लगा
दिल बस तुझसे मिलने की फरियाद करने लगा
काश एक बार तू भी देखे मुझे
जिस तरह मैं देखती हूं तुझे
कितनी नादान थी यह भी ना सोचा
तेरी मेरी उम्र का कोई मेल ना था
पर दिल न जाने कब तुझे जा लगा था
मंजूर है मुझे एक तरफा प्यार मेरा
बस दुआ है आंखों में हमेशा बसा रहे यह चेहरा तेरा
मोहब्बत ना है तो ना सही
मगर तेरी मेरी यह अनजान मुलाकात रहे यूं ही हसीं
4.
ना उम्र की सीमा हो
ना दूरियों से फासले
ना मजहब की दीवारें हो
ना घरों की बंदीशे
ना हो लोगों की नजरे हम पर
ना ही समाज के पहरे
कोई तो ऐसी जगह हो
जहां तेरी मेरी मुलाकात हो
5.
सर्दी की मार
हमें कुछ
करने नहीं देती
और कमबख्त
यह गरम चाय की प्याली
खुद से दूर
रहने ही नहीं देती