बन के तितली दिल उड़ा DINESH KUMAR KEER द्वारा कुछ भी में हिंदी पीडीएफ

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बन के तितली दिल उड़ा

1.
अब वो ना, मेरे बारे मे किसी से बात कर रहा होगा
मुझे भूलाने कि कोशिश वो लाख कर रहा होगा
मेरी तस्वीर को भी अब जो जला कर राख कर रहा होगा
सोया नही है वो रातो को, उसकी आँखो से लगता है
जरूर वो रातो को किसी से बात कर रहा होगा
हिचकियाँ आती है मुझको जब भी
ऐसा लगता है कि शायद वो मुझे ही याद कर रहा होगा

2.
वो रह ना पाए एक पल भी मेरे बिना
खुदा उसको तु मेरा अपना सा कर दे
मैं थाम सकूँ हाथ उसका....
बाकि दुनिया के लिये उसे सपना सा करदे...
मेरी रूह बनकर वो मुझमे शामिल रहे
मैं महसूस कर सकूँ साँसों को उसकी
मुझे उसके इतना करीब सा करदे...
ऐ खुदा गुजारिश है बस इतनी कि वो भूल जाए
खुद को बस इस तरह उसे मुझमे फ़ना सा कर दे....

3.
भूली नहीं हूँ तुम्हें
सब याद है मुझे, बस अब मैं जताती नहीं
कभी - कभी तकलीफ होती हैं
पर मैं बताती नहीं
नजरें ढूँढती हैं तुम्हें
पर देखने कि बेताबी नहीं
खुद से लड़ती थी तुम्हारे लिए
पर अब वो भी नहीं करती।
कुछ टूटा जरूर है अंदर मेरे
पर खुद को कमजोर नहीं होने देती।

4.
मैं ख्बाब हो सकती हूँ किसी का
लेकिन हकीकत नहीं
मै इंतजार हो सकती हूँ किसी का
लेकिन मंजिल नहीं
मैं तड़प हो सकती हूँ किसी की
लेकिन सुकुन नहीं
मै तमन्ना हो सकती हूँ किसी कि
लेकिन जिदंगी नही
मैं दिल हो सकती हूँ किसी का
लेकिन धडकन नहीं
मैं साज हो सकती हूँ किसी का
लेकिन सुर नहीं
मै आँसु हो सकती हूँ किसी कि आँख का
लेकिन चेहेरे कि मुस्कुराहट नहीं
अब ये तु जाने, तुझे क्या चाहिये
तुझे देने के लिये मेरे पास कुछ भी नहीं

5.
सिर्फ किसी को छु कर
बहक जाने को प्यार नहीं कहते
बल्कि उसकी रूह मे उतरकर,
महक जाने को प्यार कहते है।
सिर्फ किसी के सुंदर चेहरे को देखकर
फिद़ा हो जाने को प्यार नहीं कहते
बल्कि किसी सांवले चेहरे कि मुस्कुराहट पर
मर मिटने को प्यार कहते है
सिर्फ किसी कि आँखो को देखकर
उसमे ढुब जाने को प्यार नहीं कहते
बल्कि उसकी आँखो मे कभी खुद को आँसु कि वजह
ना बनने को प्यार कहते हैं।

6.
एहसास तेरा मेरे जख्मों कि दवा हैं
दूरी तेरी मेरी चाहत कि सजा हैं
तस्वीर तेरी मेरी नज़रो का सुकुन है
कैसें भूलु मै तुझे और तेरे साथ बिताये वक्त को
तेरी यादें ही तो मेरे जीने कि वजह है।

7.
अब और क्या लिखे
सब लिख कर देख लिया मैनें
सबने पूछा कैसीं हो, हाल ठीक ना होने पर भी
सबको ठीक बताया मैंने
ना जाने कितनी बातें थी
जिन पर अपने दिल को समझाया मैंने
ना जाने ऐसी कितनी रातें थी
जो जाग - जाग कर बिताई मैंने
कोई मुझे क्या ही समझेगा
इसलिए अपने हाल को हर हाल मे
सबसे छुपाया मैंने

8.
हो मेरी पहुँच मे तू इस तरह
कि जब चाहे तेरा दीदार कर लु
हो मेरे आस - पास तु इस तरह
कि जब चाहुँ तुझे गले लगा लु
बसा हो तु मेरे ख्यालो मे इस कदर
कि जब चाहे आँखे बंद करके तुझे पा लु

9.
युँ तो खुली किताब सी हुँ मैं
पर हर कोई मुझे पढ़ ले इतनी आसान भी नहीं हुँ मै
युँ तो बहुत सरल सी हुँ मै
पर हर कोई मुझे समझ ले इतनी भी सीधी नहीं हुँ मैं
युँ तो बहुत आम सी हुँ मैं
पर हर कोई मेरा मोल लगाये तो इतनी भी बेमोल नहीं हुँ मैं
युँ तो एक पहली हुँ मैं
पर हर कोई मुझे सुलझा सके इतनी भी सरल नहीं हुँ मैं
हाँ कुछ खास तो हुँ मै
पर हर कोई मुझे नखरीली समझे, तो ऐसी तो बिलकुल नहीं हुँ मै