आशा की किरण DINESH KUMAR KEER द्वारा कुछ भी में हिंदी पीडीएफ

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आशा की किरण

1.
मन मेरा घबराता तुम बिन
कुछ भी ना सुहाता तुम बिन
क्या होली क्या दशहरा
कुछ भी ना भाता तुम बिन
आओ हम तुम मिलकर
खुशियाँ मनाएं
साथ मिलकर झूमें गायें
तेरे शान पे रखकर सर
मीठी नींद हम सो जाएँ
आंखों से तेरे पी पीकर
मन को हम मदमस्त बनाएं
गाओ तुम कोई गीत सुरीली
हम तेरे सुर पर जान लुटाएं
बांहों में भरकर करें कुछ वादें
कुछ तुम अपनी सुनाओ
कुछ हम अपनी सुनाएं
मिलन के इस पल में
आओ हम तुम स्वप्न सजाएं।

2.
दर्द छुपता नहीं कभी छुपाने से
लोग छलते गये हमें बहाने से

वक्त से क्या करें शिकायत हम
कैसे तौबा करे इस जमाने से

राज़े उल्फ़त को सम्हाले बैठे हैं
मौत आती नहीं कभी बुलाने से

रंजिशें भी तो कमाल करती हैं
रोज देखा कई कई ठिकाने से

आईना तोड़ तो दिया फिर भी
सच उभरता ही रहा दबाने से

ये हकीकत बयानी भी सुन लो
बेअसर ही रही हूँ हरेक ताने से

आसमां भी झुकेगा क़दमों में
ग़म नहीं है आज इन विराने से

सीमा शामें रंगीन फिजां दिलकश
अम्न बरसा रहा ख़ुदा ख़जाने से

3.
गिरा के अपनी अदा की बिजलियाँ दिल पर
चला रहा है कोई अपनी मनमर्ज़ियाँ दिल पर

लगी हुई जहां भर की सख्तियाँ दिल पर
उमंगें फिर भी लगाती हैं अर्ज़ियाँ दिल पर

तमाम उम्र जिसे भूल हम नहीं पाते
असर वो छोड़ जाती हैं बेवफाईयाँ दिल पर

इलाज़ उनका नहीं पास है हकीमों के
जो घाव ग़हरे लगाती हैं तल्खियाँ दिल पर

सुकून जिसके मधुर बोल दिल को देते हैं
उसी के तंज़ चलाते हैं बर्छियाँ दिल पर

नाकाम होंगी तेरी कोशिशें सभी गुंजन
चली कहाँ हैं ज़माने की नीतियाँ दिल पर

4.
चले आते हो मेरी याद में रुलाने को
परेशां मत करो हबीब इस दीवाने को

थी आरज़ू उन्हें ज़ख्मे ज़िगर दिखाने की
वो और रूठ गए हैं मुझे सताने को

तुम्ही चाहत हो मेरी नाखुदा हो तुम मेरे
बड़ी मुश्किल है सुनो अब तुझे भुलाने को

तेरी चाहत में अपनी उम्र गुज़ारी है हमने
कभी करना न खता यूं मुझे आजमाने को

महक जाओगे तुम मेरे इश्क़ की ख़ुशबू से
हम वो गुल हैं जो महकाएंगे इस ज़माने को

रहे मुन्तजिर बैठे यूं उम्र भर हम तो साथी
तुम्ही ने रुख़ नहीं किया गरीब खाने को

हमारी अश्क़ की क़ीमत तुम क्या जानो
भुला न पाओगे सदियों तलक फ़साने को

दिल के पन्नों पे तेरा अक्स उकेरा हमने
कहो न हर्फ मुहब्बत का अब मिटाने को

निकल रहा है ख्वाहिशों का जनाज़ा देखो
आ जाओ गुंजन की आख़िरी सांस जाने को

5.
तुम बिन जीना मुश्किल तन्हा
दर्द जुदाई सही ना जाए
पीउ पीउ रटते रैना बीते
दिन बिताया ना जाए

नैन थक गये राह देखकर
विरह में व्याकुल है सांसें
धड़कन ठहरी जाए
प्यासी अधरें बुलाए

प्यास बुझा जा इन लबों की
मिलन को तरसा जाए
जुल्मी ने ऐसी मारी नैन कटारी
मुख से निकले हाय

सैंया पुकारे बैंया हमारे
चैन कहीं ना आए
आ जा बलमुआ अंग लगा जा
काहे मुझे तड़पाए

रो रो पुकारे तेरी दिलरुबा
कैसी अगन लगाए
रोम रोम तेरा नाम पुकारे
दुखवा कौन मिटाए।

6.
जब तूने देखा था मुझे पहली बार
और मुझे जताया था अपना प्यार
मैंने भी किया था तब लाख इनकार
मगर तू भी ना माना था और किया इजहार
उस वक्त यह ख्याल आया था मुझे
क्यों मैं ही पसंद आई थी तुझे
हसीन तो और भी है बहुत इस जमाने में
क्यूँ मुझसे ही पहल की तूने इश्क फरमाने में
देखो यूं देखते ही प्यार नहीं होता
किसी से पहली मुलाकात में ऐतबार नहीं होता
वक्त लगता है अपना बनाने में
किसी भी रिश्ते को निभाने में
तू तो फिर भी अनजान है
क्या पता सच्चा है या बेईमान है
वक्त दे मुझे यह दिल का मामला है
तुझ में और मुझ में बहुत फासला है
यह दिल्लगी कोई खेल नहीं
हां माना तेरा मेरा कोई मिल नहीं
फिर भी रुक जरा सब्र कर
जब मुझको भी होगा तुझे से प्यार
मैं खुद आकर तुझे करूंगी उसका इजहार