रिश्तों का सफर DINESH KUMAR KEER द्वारा कुछ भी में हिंदी पीडीएफ

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रिश्तों का सफर

1.
जिसने किया है कत्ल मेरे इस दिल का,
वो कोई और नहीं दोस्त बल्कि प्यार था हमारा।।

2.
यह मोहब्बत है ठगों की बस्ती,
एक पल में बदल देती है हस्ती,
आशिक़ रहते है इश्क़ में बैचेन,
इश्क़ जाता है उजाड़ कर बस्ती।।

3.
आया था गाँव से शहर जाने कितने ख्वाब लेकर,
शहर से जब लौटा तो वो किसी और की दुल्हन हो चूकी थी।।

4.
हर साल की तरह इस साल भी सूनी रहेगीं कलाई मेरी,
यही बातें कहकर आज उदास हो गयी आज माई (माँ) मेरी।।

5.
जिसके खातिर घर में ताने सुनें हमने,
बदले में उससे केवल बहाने सुनें हमने।।

6.
सुबह होतें टूट जाऊँ मैं वो तारा नहीं हूँ,
माना जिंदगी से उदास हूँ मगर नहीं हूँ।।

7.
माता पिता के चरणों में ही, "दिनेश" सारा जहान है।

8.
मर्द को भी दर्द होता है, मगर वो कभी जताता नहीं है।

9.
गर‌ सितमगर ही तुम्हारा बेवफा है तो क्या हुआ,
उसके इश्क़ में खुद को खुमार नहीं करना।।

10.
तुम्हें छोड़ सकता हूँ माता पिता को हरगिज़ नहीं,
रोशन हुआ है 'दिनेश' बस इन्हीं दो नाम के लिए है।।

11.
एक साथ सांवरिया जी जाने की जो उसकी जो आस थी।
पर क्या करे जिम्मेदारियों के लेकर बहुत निराश थी।।

12.
मैं उस वक्त तुम्हारे पैरों में पायल बाधूंगा,
जिस वक्त हमारे दोनों हाथ कांप रहें होगें...

13.
माँ का कहना भी मानता हूँ और पिता से भी डरता हूँ।

14.
सुना है आज मांगती हो दुआ खुश रहें सदा बेटा हमारा।
जब खुद करके गयी हो जुल्म किसी माँ के लाल पर।।

15.
एक शख्स के जाने से जो ये तुम रो रहे हो,
सोचो जिस शख्स के माता पिता ही नहीं है।

16.
ऐ देह तो मिल जानी हैं एक दिन इसी मिट्टी में,
अब रंक मिले या मिले राजा घृणा मैं नहीं करता।

17.
हम आज भी मोहब्बत से सबको पेश आते है साहिबा।
दुश्मन भी आये दरवाजे पर उसको पानी पिलाते है साहिबा।।

18.
ऐ रात ऐ उल्फत ऐ जलन सब तो है मेरे साथ,
जो नहीं है इस अंजाने शहर में मेरे साथ वो मेरी माँ है।

19.
सुबह होतें ही निकल जाता कमाने ऐ सोचकर,
ताकि हम अपने माता पिता की सारी ख्वाहिशें पूरी कर सकूँ।

20.
पुराने ख्यालात का लड़का हूँ मोहब्बत रूह से करता हूँ।
माँ का कहना भी मानता हूँ मैं और पिता से भी डरता हूँ।।

21.
देखता हूँ आखों से शाम जब पिता को उदास सोते हुए मैं,
घर की जिम्मेदारियों के वास्ते शहर में छोटा जांब करता हूँ।

22.
किसी की याद में मैं अपनी कहानी छोड़ जाऊंगा।
वो नहीं मिला गर तो मैं अपनी जिंदगानी छोड़ जाऊंगा।।

23.
ले डूबा है मोहब्बत जिसे भी हुआ साहिबा,
भूलकर भी किसी की बातों में आना नही।

24.
चल तो देता गाँव छोड़ कर तुम्हारे साथ कहीं भी।
पर क्या करे घर की जिम्मेदारियां हमें इजाजत नहीं देतीं।।

25.
मानता हूँ किसी की यादें दिल से भूलाई नहीं जाती,
सबकुछ भूलाकर आगे बढो दोस्ता एक और मौका है।

26.
जो भी मिला हमें बस अपने मतलब से मिला।
किसी को धन चाहिए था तो किसी को एहतराम।।

27.
क्यों मरता हूँ मैं एक बेईमान पर, मरना है तो मरूंगा मैं हिन्दुस्तान पर।
28.
गम जितना देने की इच्छा हो आप दे देना, बस इतना कहना है कि झूठ पसंद नहीं।

29.
मुझे छोड़ कर तुम जो मेरी मुफलिसी पर जाओगे।
रूह वाली नहीं दोस्त बस तुम जिस्म वाली ही मोहब्बत पाओगे।।