तालियाँ - बाल कहानी
इस समय विद्यालय में गणतन्त्र दिवस समारोह के लिए सभी बच्चे और शिक्षक बड़े जोर - शोर से तैयारी में लगे थे । घर जाकर सभी अपने - अपने रोल का रिहर्सल करते थे । कोई बच्चा राजा, कोई अनपढ़, कोई सिपाही, कोई जोकर, तो कोई वीर देशभक्तों का अभिनय कर रहा था । रोहित को छुपकर उन बच्चों को अभिनय करते देखना बहुत अच्छा लगता था ।
रोहित कक्षा छ: का छात्र था, जो पढ़ाई में ठीक - ठाक ही था, लेकिन न जाने क्यों उसे प्रतिदिन विद्यालय जाना बिल्कुल भी पसन्द नहीं था । वह विद्यालय बहुत कम आता था । जब भी गुरूजी बुलाने जाते, तो वह घर से भाग जाता । रोहित के माता - पिता भी इस बात से परेशान रहते थे ।
आखिर आज गणतन्त्र दिवस का दिन आ ही गया । सभी के मन में देशभक्ति भावना और उत्साह हिलोरें ले रहा था और विद्यालय में सर्वप्रथम ध्वजारोहण और प्रभातफेरी के बाद सभी बच्चों को बैठाया गया । बहुत सारे गणमान्य व्यक्तियों का स्वागत कार्यक्रम हुआ । ध्वजारोहण के राष्ट्रगान हुआ, फिर माँ सरस्वती के पूजन के बाद सभी बच्चों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किये । सभी की प्रस्तुति देखकर दर्शक खूब तालियांँ बजा रहे थे । गुरूजी ने भाषण दिया और बताया कि - "देशभक्ति यही है कि हम सभी अपने कर्तव्य अच्छी तरह निभाएँ । देशप्रेम का सबसे बेहतर तरीका यही है कि हम अपने दायित्वों के प्रति जागरूक और ईमानदार बनें, वही इस तिरंगे और देश का वास्तविक सम्मान होगा । यही देशभक्तों के प्रति हम सबकी सच्ची श्रद्धांँजलि होगी ।"
सभी प्रतिभागी बच्चों को ईनाम में बहुत सारी चीज़ें दी गयीं । इसके बाद सभी बच्चों को लड्डू दिये गये । आज रोहित भी विद्यालय आया था । सभी कार्यक्रम देखकर रोहित ताली तो बजा रहा था, लेकिन उसके भी मन में ये इच्छा हो रही थी कि काश ! वह भी इस मंच पर कुछ करके दिखाता, तो सभी लोग उसके लिए भी ऐसे ही तालियाँ बजाते ।
सब घर चले गये । रोहित भी आज विद्यालय से सच में स्वप्रेरित होकर लौट रहा था । उसने पूरे विश्वास से अपने मन में ठाना था कि अगला गणतन्त्र दिवस आने तक इस मंच पर जाकर स्वयं को साबित करूँगा । इन सभी बच्चों की तरह मेरे लिए भी तालियाँ बजेंगी ।
उस दिन से प्रतिदिन रोहित विद्यालय आता । मन लगाकर पढ़ाई करता । घर पर भी खूब मेहनत करके पढ़ता । उसके बदले हुए रूप को देखकर गुरूजी भी तारीफ करते थे । वार्षिक परीक्षा में पूरी कक्षा में दूसरा स्थान लाया । विद्यालय के वार्षिकोत्सव समारोह में कक्षा के प्रतिभाशाली बच्चों को पुरस्कृत किया गया । रोहित गर्व से मंच पर बाकी बच्चों के साथ खड़ा था और दर्शक उसके लिए भी तालियाँ बजा रहे थे । आज उसने दिखा दिया कि मेहनत करके सब कुछ पाया जा सकता है ।
संस्कार सन्देश : -
विद्यालय वह स्थान है, जहाँ से आदर्श नागरिक बनने की प्रेरणा मिलती है । अपने कर्तव्यों को पूरा करना ही सच्ची देशभक्ति है ।