हमराही - सच्चा साथी DINESH KUMAR KEER द्वारा कुछ भी में हिंदी पीडीएफ

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हमराही - सच्चा साथी

1.
1)साथ हैं फिर भी दूर कितने हैं
कितने प्यासे ये दो किनारे हैं

2)बनके बादल जो मुझपे छाए हैं
रेशमी ज़ुल्फ़ के ॲंधेरे हैं

3)दें कहाॅं हम ख़िलाफ़ में अर्ज़ी
क़ातिलाना तेरे इशारे हैं

4)कुछ तो जादू है तेरे गीतों में
होश मेरा ये छीन लेते हैं

5)सुरमई शाम के हसीं साए
हमको कितना क़रीब लाए हैं

6)भूल कर भी ख़फ़ा न होना तुम
हम तुम्हारे बिना अधूरे हैं

7)याद आया जुदाई का मौसम
अश्क़ ऑंखों में फिर से छलके हैं

8)भीड़ हो या कभी हो तन्हाई
हम सनम तुझमें खोए रहते हैं

9)फिर वही मैं हूॅं फिर वही 'सीमा'
आज भी हम तेरे दिवाने हैं

2.
1)हक़ीक़त यही है यही है फ़साना
तुम्हीं मेरा रस्ता तुम्हीं हो ठिकाना

2)तुम्हारे बिना दिल कहीं न लगे अब
बना डाला तुमने इसे भी दिवाना
3)जहाॅं देखती हूॅं तुम्हीं रू-ब-रू हो
कहूॅं क्या मैं बेचैनियों का फ़साना

4)ज़रा मुस्कुरा दो हमें चैन आए
ख़फ़ा होके तुम यूॅं न हमको सताना

5)बहुत बोलती हैं निगाहें तुम्हारी
कहीं इनको पढ़ ले न दुश्मन ज़माना

6)हमें देखना है तो जी भर के देखो
यूं शरमा के हमसे न नज़रें चुराना

7)करो इश्क़ 'सीमा' अगर तुम किसी से
तो चाहत की हर इक क़सम को निभाना

3.
1)तेरे सुरूर में सारा जहाॅं भुलाया भी
तुझी में डूब के सारे जहाॅं को पाया भी

2)न जाने कैसा अजब दिल का तुझसे नाता है
तू ही क़रीब मेरे और तू ही पराया भी

3)न जाने कौन से हालात से वो गुज़रा है
सिसक के हाल बताया कभी छुपाया भी

4)वो मस्तियां वो मुहब्बत वो बाॅंकपन तेरा
तुम्हारी याद ने शब भर हमें जगाया भी

5)रहम ज़माने को होता है कब दिवानों पर
जवां दिलों को उजाड़ा है और सताया भी

6)दबी है चाह कोई दिल के क़ैदखाने में
लगी ने दिल को मनाया कभी जलाया भी

7)ये इश्क़ आग है 'सीमा' कहां है चैन सुकूं
कभी ख़ुशी तो कभी दौर ग़म का छाया भी

4.
1)शाम सिंदूरी हमारी रूह को महकाएगी
छूके हमको इश्क़ की नाज़ुक कली खिल जाएगी

2)आस्मां रौशन मेरा बस आपके ही नूर से
देख अपने चाॅंद को मेरी नज़र शरमाएगी

3)की इबादत तो दुआ में आपको माॅंगा सनम
आप हैं तो हर ख़ुशी दामन में अपने आएगी

4)आपसे हमको मुहब्बत हमनशीं अब क्या करें
इल्म है ये आशिक़ी हमको बहुत तड़पाएगी

5)सामने कुछ पल तो 'सीमा' आप आकर बैठिए
दिल की हसरत आपको बस देखकर मुस्काएगी

5.
1)प्यार का इक नगर बसे ऐसा
‌‌ हो न ग़म का कोई जहां साया

2)सबके लब पर हों गीत ख़ुशियों के
दर्द का भूल कर न हो पहरा

3)कोई शय हमको बांट न पाए
जात और धर्म बस हो मानवता

4)बैर से बैर हो जहां सबको
गुलसितां हो अमन का इक प्यारा

5)रब ने इंसा हमें बनाया है
कर्म हो नेक हर दफ़ा अपना

6.
1)इस नज़र में जो इक कहानी है
सैकड़ों दर्द की निशानी है

2)अश्क़ नज़रों में हम छुपा लेंगे
बह भी जाए तो क्या है पानी है

3)थक के बैठी हूं छांव की ख़ातिर
उम्र सारी यहीं बितानी है

4)हुस्न पर ये ग़ुरूर क्यूं आख़िर
ये जवानी तो ढल ही जानी है

5)मुझको शिक़वा नहीं किसी से भी
बस मुझे याद सब भुलानी है

6)कागज़ी फूल क्यूं महक देंगे
बात इतनी भी क्या बतानी है

7)तुझको कैसे भुलाऊं मैं 'सीमा'
तू मेरी रूह की रवानी है

7.
1)इत्र की बूंदों को फूलों पर छिड़कता कौन है
तितलियों को रॅंग बिरॅंगी सा बनाता कौन है

2)कौन है जो शाम कर देता कभी करता सहर
चाॅंद तारे और सूरज जगमगाता कौन है

3)कौन है जो ख़ुशबुओं से भर गया सारा चमन
डालियों को लोच कोपल को खिलाता कौन है

4)जन्म लेते खिलखिलाते और कभी रोते हुए
नौनिहालों को शरारत ये सिखाता कौन है

5)आस्माॅं में पॅंख फैलाए वो मीलों दूरियाॅं
चहचहाते पंछियों को पॅंख देता कौन है

8.
1)होश मेरा छीन लेते हैं कभी
आप जब यूॅं मुस्कुराते हैं कभी

2)देखकर हमको लजाते हैं कभी
और गले हमको लगाते हैं कभी

3)चाॅंद का दीदार होता है हमें
छत पे अपनी जब वो आते हैं कभी

4)इश्क़ की मासूम हाय हर अदा
रूठते और मान जाते हैं कभी

5)रख के चिलमन दो दिलों के दरमियाॅं
दिल को मेरे यूॅं जलाते हैं कभी

6)हाल जो भी हों न डर कर बैठना
हैं ॲंधेरे तो उजाले हैं कभी

7)ख़ुद की भी 'सीमा' ख़बर रहती नहीं
जब नज़र से वो पिलाते हैं कभी

9.
1)मेरी बंदगी बस तुम्हीं हो फ़क़त
तेरे नाम ये ज़िन्दगी हो फ़क़त

2)न जाऊं कहीं इश्क़ की आस में
अगर साथ ये आश़िक़ी हो फ़क़त

3)सितारों नज़र तुम न आना अभी
हमें आरज़ू चाॅंदनी हो फ़क़त

4)बुलाओ बहारों मेरे यार को
के इस बाग में बेख़ुदी हो फ़क़त

5)तेरा साथ 'सीमा' हसीं ख़्वाब सा
हक़ीक़त तेरी दोस्ती हो फ़क़त

10.
1)तेरा ही इंतज़ार है
ये वक्त बेक़रार है

2)कहाॅं छुपा है तुझसे कुछ
तू मेरा राज़दार है

3)सॅंवर रही है ज़िन्दगी
ये इश्क़ का ख़ुमार है

4)नज़र नज़र के दरमियाॅं
हया है और क़रार है

5)मेरी वफ़ाओं का सिला
सनम तुम्हारा प्यार है

6)कटार नैन आपके
जिगर के आर पार है

7)सुबह की नर्म धूप तू
तू रात का क़रार है

11.
1)मेरी तो जान की दुश्मन बनी रे हाय ये सर्दी
मेरे तो प्राण भी शायद न ले ले हाय ये सर्दी

2)घनी सी धुंध ने घेरा सहर और सांझ को ख़ुद में
बस अब दिन को कहीं हमसे न छीने हाय ये सर्दी

3)भला हो यू पी सी एल का इसी का अब सहारा है
पर ओवरलोड की गड़बड़ न कर दे हाय ये सर्दी

4)कभी काॅफी कभी गरमागरम चाय का कप लेकर
चली जा हम गुज़ारिश करके कहते हाय ये सर्दी

5)नहीं ऐसा कि मौसम सर्दियों का नापसंद 'सीमा'
भली लगती है मुझको दूरियों से हाय ये सर्दी

12.
1)आओ आओ सखी आज नाचें सभी
है ये मंगल घड़ी गीत गाएं सभी

2)जोत अनुराग की जगमगाएं सभी
राम के नाम को हम बढ़ाएं सभी

3)ढोल करतल की धुन है मधुर माधुरी
आओ इस ताल पर मिलके झूमें सभी

4)गाॅंव गलियाॅं सजी सब नगर सज गए
खेत खलिहान ॲंगना भी डोलें सभी

5)आ गया बाद बरसों के पावन ये पल
आज अंबर धरा गुनगुनाएं सभी

6)इक नहीं सौ नहीं आज लाखों दिये
आओ मिलकर के इनको जलाएं सभी

7)राम की भव्यता राम का प्यार है
आओ इस भावना को बढ़ाएं सभी

8)मोहिनी छब हमारे लला राम की
रूप की चाॅंदनी में नहाएं सभी

9)राम का राज लाना है हमको अगर
गैर को भी गले हम लगाएं सभी

10)राम करूणानिधि जानता है ये जग
प्यार से द्वेष हम भी भुलाएं सभी

11)बैर से दूर हों है ये धरा ये गगन
भाव बस प्रेम का हम जगाएं सभी

12)एक है वो किसी नाम से पूज लो
अंत में तो समाएंगें उसमें सभी

13)उसके हाथों की काठी हैं हम सब यहाॅं
हो भलाई करम हम निभाएं सभी

14)हमसे कोई डरे हम किसी से डरें
दूर डर की वजह हम भगाएं सभी

15)ये अवध राम का राम कण कण बसे
चल अवध 'सीमा' मस्तक झुकाएं सभी