इंडियन पुलिस फोर्स - वेबसीरीज समीक्षा Seema Saxena द्वारा फिल्म समीक्षा में हिंदी पीडीएफ

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इंडियन पुलिस फोर्स - वेबसीरीज समीक्षा

सीमा असीम के द्वारा लिखी इंडियन पुलिस फोर्स वेबसीरीज की समीक्षा

सीरीज का नाम है “इंडियन पुलिस फोर्स” ।

कलाकार हैं सिद्धार्थ मल्होत्रा, शिल्पा शेट्टी, विवेक ओबेरॉय, मयंक टंडन ऋतुराज सिंह, मुकेश ऋषि ।

निर्देशक हैं रोहित शेट्टी और सुशांत प्रकाश ।

लेखक हैं संदीप साकेत ।

रिलीज हुई है 19 जनवरी 2024 को ।

ओटीटी प्लेटफार्म है अमेजॉन प्राइम वीडियो ।

इस सीरीज के कुल सात एपिसोड हैं ।

मेरी तरफ से इस सीरीज को अंक दिए जाते हैं मात्र 3.5 ।

ओटीटी सीरीज इंडियन पुलिस फोर्स रोहित शेट्टी के द्वारा बनाई गई है जो अमेजॉन प्राइम टाइम पर रिलीज हो चुकी है । यह सात एपिसोड की वेबसीरीज है जिसमें कि रोहित शेट्टी ने सिद्धार्थ मल्होत्रा, शिल्पा शेट्टी, विवेक ओबेराय, निकितन धीर, मुकेश ऋषि व श्वेता तिवारी आदि लोगों को लेकर बनाई है । इसकी कहानी इस प्रकार से है कि देश में अलग-अलग जगह पर जो बम धमाके हो रहे हैं उसके पीछे काम कर रहे मास्टरमाइंड को ढूंढना है । दिल्ली जयपुर आदि जैसी जगह पर सीरियल बम ब्लास्ट करने वाले टेररिस्ट ग्रुप को पकड़ने के लिए दिल्ली पुलिस के सबसे बड़े और अधिकारी पुलिस ऑफिसर एक साथ आते हैं । सीरीज की कहानी देश में धर्म के नाम पर फैल रही नफरत और दंगों का दर्द भी दिखाती है, टेररिस्ट को पकड़ने के लिए एजेंट सिर्फ इंडिया में ही नहीं बल्कि इंडिया के बाहर तक जाती है हालांकि सीरीज की कहानी इतनी ज्यादा खास भी नहीं है, बस सिंपल सी कहानी है और ऐसी कोई भी चीज नहीं है जो कि पहले कहीं किसी फिल्म में ना देखी गई हो क्योंकि इसी तरह की पहले फिल्में भी आ चुकी हैं, इसे देखकर लगता है कि कहानी को जल्दबाजी में लिखा गया है या फिर उस पर सही से काम नहीं किया गया है। डायलाग भी मारक नहीं लगते हैं लेकिन इस सीरीज में रोहित शेट्टी के द्वारा जो इफेक्ट्स डाले गये हैं, वहीं इस सीरीज की एक खासियत है, जिसकी वजह से सीरीज को देखने का मन करेगा और लोग एक बार में ही इस सात एपिसोड की सीरीज को खत्म करके ही हटेंगे। इस सीरीज में धर्म के नाम पर युवाओं को भड़काने वालों को बेनकाब करने की कोशिश की गई है ऐसे ही मैसेजस की इस सीरीज में भरपूर भरमार है। सीरीज में अपने देश की एकता और जात पाँत की एकता को मैसेज देने का संदेश दिया गया है जो कि इंडियन पुलिस फ़ोर्स सीरिज में एक्शन के साथ दिखाया गया है ।

इस सीरीज में मेन लीड रोल में सिद्धार्थ मल्होत्रा है जो कई जगह पर वह फ्लैट चेहरे के साथ दिखाई देते हैं लेकिन कई जगह पर उनकी एक्टिंग में बड़ा विस्तार देखने को मिलता है । एक सीन में रोते हुए सिद्धार्थ मल्होत्रा दिल जीत लेते हैं, उन्हें देखकर ऐसा बिल्कुल भी नहीं लगता कि वह एक्टिंग कर रहे हैं बल्कि उनको देखकर ऐसा लगता है कि वह सच में या फिर रियल में बहुत परेशान है, दुखी है, रो रहे हैं । उनके साथ देने के लिए शिल्पा शेट्टी और विवेक ओबरॉय भी है जिन्होंने अपना काम ठीक किया, शिल्पा शेट्टी एक्शन करती अच्छी लगती हैं । वे करीब 18 साल बाद में इस तरह के सीन करती दिखायी दी हैं हालाँकि शिल्पा शेट्टी सीरीज की शुरुआत में इतनी ख़ास नहीं लगी हैं लेकिन बाद में उन्होंने काफी अच्छा काम किया है । सिद्धार्थ मल्होत्रा की प्रेमिका के रूप में इशा तलवार इतनी प्यारी लगी है कि आप उन्हें और अधिक देखना चाहेंगे । जरार के रूप में मयंक टंडन को सिद्धार्थ की तुलना में काफी अधिक रोमांटिक द्रश्य दिये गये हैं । विलेन के रूप में मयंक टंडन ने सीरीज में काम भी बहुत अच्छा किया है और हर सिक्के का दूसरा पहलू दिखाने की पूरी पूरी कोशिश भी की है । सहायक कलाकार श्रुति के रूप में श्वेता तिवारी, रफीक के रूप में ऋतुराज सिंह, राणा के रूप में निकितन धीर और आधिकारी जयदीप बंसल के रूप में मुकेश ऋषि आदि सभी ने अपनी भूमिकाओं को बहुत बढ़िया ढंग से निभाया है । शरद केलकर की भी सीरीज में परफेक्ट एंट्री दिखाई गयी है और वह अपनी उपस्थिति दर्ज भी कराते नजर आये हैं । वैदेही परशुरामी नफीसा के रूप में और श्रुति पवार उनिराजा के रूप में हैं, यह सभी किरदार अपने अपने रोल में प्रमाणिकता लाने के लिए प्रशंसा के योग्य लगते हैं ।

इंडियन पुलिस फोर्स सीरीज की सबसे अच्छी बात तो मुझे यही लगी है कि इसकी जो कास्टिंग है, वह बहुत अच्छी है ।सभी कलाकार बहुत ही बेहतरीन हैं और सबने एक्टिंग भी बहुत अच्छी की है । ऋषि मुकेश भी ठीक ही लगे हैं, नेगेटिव किरदार में मयंक टंडन काफी अच्छे लगे हैं, इसके अलावा और भी कलाकार है ।

डायरेक्शन काफी अच्छा है लेकिन एक्शन थ्रिल पैदा नहीं करता है कुछ जगह पर सिद्धार्थ मल्होत्रा पर फिल्माए एक्शन सीन बहुत बेहतरीन लगते हैं, उन्हें देखकर लगता है कि वे अपने अभिनय के चरम पर हैं ।

हालांकि गाड़ियों के टकराने और उड़ाने के सीन अच्छे बन पड़े हैं लेकिन वह नए नहीं लगते हैं । इस सीरीज में कमियां केवल यह हैं कि जो देशप्रेम का मैसेज दिया जा रहा है, अच्छी बात है इसमें कोई बुरी बात नहीं है लेकिन बार-बार एक जैसे तरीके से देना बोर कर देता है । पूरी सीरीज में “कोई भी धर्म हिंसा को बढ़ावा नहीं देता है” बार-बार एक जैसे डायलॉग घूम घूम कर आते रहते हैं । इस उदाहरण से समझते हैं कि “तुम्हारे जैसे लोगों की वजह से पूरी कौम ही बदनाम है ।” इस डायलॉग को कितनी जगह, कितनी फिल्मों में सुना होगा । “कोई भी धर्म हिंसा को बढ़ावा नहीं देता है”, इसके अलावा कई जगह साफ पता चलता है कि सीरीज की शूटिंग किसी सेट पर की गई है । सेट पर सूट होना तो लाजमी सी बात है लेकिन वह पता नहीं चलना चाहिए कि सेट पर शूटिंग हो रही है, उसे नेचुरल लुक देना और कोई कमी नजर आये तो उसको दूर करना चाहिए ताकि दर्शकों को पता न चले ।

सात एपिसोड पर आधारित इस सीरीज को जब आप देखने लगेंगे और फिर देख कर उठेंगे तो आपको लगेगा कि आपके समय का अच्छे से इस्तेमाल हुआ है, आपने अपने समय को बर्बाद नहीं किया है । कुल मिलाकर आप एक बार तो जरूर देखिए और फिर इसका अगला भी सीजन आने की उम्मीद है क्योंकि जिस मोड़ पर यह सीरीज खत्म होती है तो उससे लगता है कि अगला सीजन भी आयेगा ही । खैर यह तो बाद की बात है । अभी तो इसे देखकर आनन्द लीजिये ।

सीमा असीम सक्सेना