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तोता और मैना

तोता और मैना की कहानी

एक बार की बात है । एक जंगल में बड़े से पीपल के पेड़ पर एक तोता और मैना ने अपना बसेरा बना रखा था । हाल ही में बारिश का मौसम खत्म हो चुका था । कई जगह - जगह रास्तों, खेत - खलिहान, तालाब - नालों आदि के छोटे - बड़े गड्डों में पानी जमा हुआ था । कुछ जगह पर कीचड़ भी हो चुका था । मैना खुशी - खुशी बाहर जाती खाना इकट्ठा कर के लाती और घोंसले में चहचहाते अपने चारों बच्चों को खिलाती । एक दिन मैना सुबह - सुबह जल्दी ही अपने बच्चों के लिए खाना लेकर आ रही थी, तभी डाली पर उसका पक्का दोस्त तोता बैठा था । मैना का दोस्त तोता बोला -, " मैना जी अभी तक तुम अपने बच्चों को अपनी चोंच से खाना खिलाती हो । बच्चें अब तो वे बडे हो गये हैं । मैना जी तुम उन्हें अपनी चोंच से खाना खिलाकर आलसी क्यों बना रही हो ? तुम अपने बच्चों को ऐसे तो बिगाड़ रही हो । वे अपने पंखों से उडेंगे और अपना खाना खुद तलाश करेंगे तो उनमें अपने आप में आत्मविश्वास आएगा ।" दोस्त तोता ऐसा कहकर झट से उड जाता है ।
दोस्त तोता की कही गई बातें, उसके मन व मस्तिष्क में चक्कर काट रही थी । अब मैना ने ठान लिया था कि अब खाना बच्चे स्वयं ही तलाश करेंगे । मैना अपने बच्चों से बोली -, "बच्चों ! कल से तुम लोग अपना खाना खुद तलाश करोगे ।" चारों बच्चे अपनी माँ की बात सुनकर, खुशी के मारे चहकने लगे । अगली सुबह मैना और उसके बच्चे घोंसले से बाहर आ गये । बच्चों ने सुबह की चमकीली धूप देखी तो उनका मन खुशी से उछल - कूद पड़ा । अब वे चारों पीपल के पेड़ की डालियों पर रेंगते हुए, छोटे - मोटे कीटों - पतंगों को देखते और उनके मुँह में पानी आ जाता । अब वे आजाद थे । उन्होंने इधर - उधर फुदकना शुरू कर दिया । छोटी - छोटी उडान कभी नीचे कभी ऊपर, इससे उन्हें बडा़ मजा - सा आ रहा था । अब - तक वह चारों बच्चें घोसलें में रहा करते थे, घोसलें के बाहर की दुनिया कितनी बडी और खुबसूरत है। बच्चों को स्वयं उडते और अपना खाना तलाश करते देखकर मैना प्रसन्न हुई ।
तभी अचानक मैना का प्यारा बेटा टप्पू उड़ते - उड़ते थक गया और नीचे जमीन में जाकर बैठ गया । उसके पंजे और पंख कीचड़ से सन गए । अब वह उडने में असमर्थ था । वह कीचड़ में फँसा सहायता के लिए चिल्ला रहा था ।
तभी पीपल के पेड की डाली से दोस्त तोते ने टप्पू के चिल्लाने की आवाज सुनी । वह जल्दी से उडकर आया और उसे कीचड़ से सकुशल निकाल दिया । मैना ने ममता से टप्पू को छाती से लगा लिया, फिर वह दोस्त तोते को धन्यवाद देती हुई बोली -, "मैं जीवन भर तुम्हारा एहसान मानूँगी ।"

सीख: - सच्चा मित्र वही होता है, जो सही राह दिखाए और मुसीबत के समय काम आये ।

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