एक थी नचनिया - भाग(३३) Saroj Verma द्वारा महिला विशेष में हिंदी पीडीएफ

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एक थी नचनिया - भाग(३३)

और उधर जेल में रागिनी के भागने के बाद जेलर साहब एकदम सुस्त पड़ गए थे,उन्होंने ना तो रागिनी के भागने पर अखबार में कोई इश्तिहार छपवाया और ना ही उसकी खोज में पुलिस वालों को भेजा,वे कहीं ना कहीं खुद को रागिनी का गुनाहगार समझते थे,उन्हें पता था कि अगर उनके पिता रागिनी से उनकी शादी ना तोड़ते तो नौबत यहाँ तक ना आती,शायद रागिनी डकैत ना बनती और उन्हें रागिनी के सामने इस तरह से शर्मिन्दा ना होना पड़ता....
और उन्होंने इस मसले पर एक दिन श्यामा को बात करने के लिए अपने पास बुलाया,चूँकि श्यामा भी जेल से भागने वाली थी इसलिए उन्होंने सोचा कि हो सकता है श्यामा मुझे रागिनी के बारें में और भी जानकारी दे सके और जब श्यामा उनके पास पहुँची तो वे श्यामा से बोले....
"श्यामा! मुझे आपसे कुछ पूछना था",
"जी! कहिए"श्यामा बोली...
"आप रागिनी को कब से जानतीं हैं,क्या वो आपके साथ बीहड़ो में रहकर डकैती डाला करती थी?", जेलर साहब ने पूछा...
"जी! नहीं जेलर साहब! मैं तो उससे इसी जेल में मिली थी,मेरी उससे पहली मुलाकात यहीं हुई थी",श्यामा बोली...
"और उसने आपसे क्या क्या कहा?" जेलर बृजभूषण परिहार ने श्यामा से पूछा...
"यही कि आपके पिता जी ने उससे आपका रिश्ता तोड़ दिया था", श्यामा बोली...
"मुझे उस बात का बहुत अफसोस है,मुझे तो ये सब पता ही नहीं चला कि कब उन्होंने रागिनी से मेरा रिश्ता तोड़ दिया",जेलर बृजभूषण परिहार बोले...
"अच्छा तो बिना पता चले ही आपने फौरन किसी और से ब्याह रचा लिया",श्यामा बोली....
"ये आपसे किसने कहा कि मेरा ब्याह हो चुका है",जेलर साहब ने पूछा....
"रागिनी ने ही बताया था और कौन बताएगा",श्यामा गुस्से से बोली...
"और रागिनी को ये बात किसने बताई",जेलर साहब ने श्यामा से पूछा....
"ये तो नहीं पता",श्यामा बोली...
"तो बिना किसी पक्की जानकारी के रागिनी ने ये कैंसे सोच लिया कि मैंने ब्याह कर लिया है"जेलर साहब बोले...
"वो तो कह रही थी कि आपके पिता ने आपकी शादी कहीं और तय कर दी थी",श्यामा बोली...
"हाँ! उन्होंने मेरी शादी कहीं और तय कर दी थी, लेकिन मैं लड़की वालों के घर जाकर रिश्ता तोड़ आया था, वो रिश्ता मुझे मंजूर नहीं था",जेलर बृजभूषण परिहार बोले....
"क्या वो लोग दहेज कम दे रहे थे",श्यामा ने पूछा...
"आप भी बिलकुल अपनी सहेली की तरह ही सोचतीं हैं,हो सकता है शादी तोड़ने का और कोई कारण रहा हो",जेलर बृजभूषण परिहार बोले...
"और क्या कारण हो सकता है भला?",श्यामा ने पूछा....
"कारण कुछ भी हो सकता है ",जेलर साहब बोले....
"शायद आप रागिनी को पसंद करते थे इसलिए आपने वो रिश्ता तोड़ दिया",श्यामा बोली...
"आप बिलकुल सही समझीं",जेलर साहब बोले...
"वो तो उस दिन मैं आपकी आँखें देखकर ही मैं समझ गई थी ,जिस दिन आप पहली बार यहाँ आए थे कि आप अब तक रागिनी को भूले नहीं हैं",श्यामा बोली...
"वो सब छोड़िए पहले ये बताइए कि आपको कुछ अन्दाज़ा है कि रागिनी भागकर कहाँ जा सकती है"जेलर साहब ने पूछा...
"वो तो मुझे नहीं मालूम",श्यामा बोली...
"झूठ कह रहीं हैं आप! आप दोनों साथ में भागने वालीं थीं और ये आपको अच्छी तरह से पता होगा कि वो जेल से भागकर कहाँ गई है",जेलर साहब बोले....
"ये हम औरतों का मामला है और इसे हमें निपट लेने दीजिए,मैं आपसे वादा करती हूँ कि हमारा मकसद पूरा होते ही हम दोनों आपके सामने खुदबखुद आत्मसमर्पण कर देगें",श्यामा बोली...
"ऐसा कौन सा मकसद है जो आप मुझसे नहीं कह सकतीं,हो सकता है कि मैं आप दोनों की कुछ मदद कर पाऊँ"जेलर साहब बोले....
"यही तो बात है जेलर साहब! कि हम औरतों की दुनिया मर्दो की दुनिया से बिलकुल विपरीत होती है, आप मर्द है और आप एक मर्द को कभी सजा नहीं दे पाऐगें,क्योंकि आप मर्दों को किसी के फटे में टाँग अड़ाने की आदत नहीं होती,अगर मैं आपको अपना मकसद बता भी दूँ तो हो सकता है आप उसकी सुरक्षा करने के लिए हम दोनों की जान भी ले लें",श्यामा बोली...
"मतलब बिल्कुल भी भरोसा नहीं है मुझ पर",जेलर साहब बोले....
"मर्द कभी भी भरोसे के लायक नहीं होते",श्यामा बोली...
"ये आप गलत कह रहीं हैं श्यामा जी! सारे मर्द एक से नहीं होते,कुछ मर्द औरतों का सम्मान करना भी जानते हैं और उनमें से एक मैं भी हूँ",जेलर साहब बोले....
"ठीक है! तो मुझे थोड़ा वक्त दीजिए कि मैं आप पर भरोसा करना सीख सकूँ"श्यामा बोली....
"आप कितना भी वक्त ले लीजिए और मैं आपको ये यकीन दिलाता हूँ कि आप मुझ पर भरोसा करके कभी पछताऐगीं नहीं"जेलर साहब बोलें....
"वो तो वक्त ही बताएगा",श्यामा बोली....
"वक्त के साथ मैं बदल जाऊँ,ऐसा मेरी फितरत में शामिल नहीं है,अगर आप मुझे अपनी परेशानी से रुबरु करवा देतीं हैं तो आपकी परेशानी जल्द ही खतम हो सकती है",जेलर साहब बोले....
"मुझे धोखा तो नहीं देगें आप,मैं आपको सबकुछ बता दूँ और आपको पक्के सूबूत मिल जाएँ फिर आप मुझे और रागिनी को फाँसी दिलवा दें,कहीं ऐसा इरादा तो नहीं है आपका",श्यामा बोली....
श्यामा की बात सुनकर पहले तो जेलर साहब हँसे और फिर बोले...
"लगता है रागिनी की तरह आपने भी मुझे धोखेबाज समझ लिया"
"ऐसा नहीं है,अगर आप जानना ही चाहते हैं तो मैं आपको अपने और रागिनी के बारें में सबकुछ बताती हूँ"
और ऐसा कहकर श्यामा ने जेलर साहब को सबकुछ बता दिया और श्यामा की बात सुनकर जेलर साहब श्यामा की मदद करने को तैयार भी हो गए और उससे कहा कि....
" आप जिस दिन भी जेल से भागना चाहें तो भाग सकती हैं,मैं सारी जिम्मेदारी अपने सिर लेता हूँ...."
"लेकिन इससे आपकी नौकरी खतरें में पड़ सकती है",श्यामा बोली...
"मैंने नौकरी इसलिए की थी कि हमेशा सही का साथ दे सकूँ तो मैं वही करने जा रहा हूँ" जेलर साहब बोले...
फिर जेलर साहब की बात सुनकर श्यामा कुछ ना बोल सकी और उसने जेलर साहब से कहा कि वो जेल से भागने का दिन तय करते ही उनको सूचित कर देगी और इस तरह से एक दिन श्यामा ने जेल से भागने की योजना भी बना ली फिर उसने जेलर साहब को भी ये बात बता दी, श्यामा को जेल से भागने के लिए जेलर साहब ने उसकी मदद की और वो भागकर बीहड़ पहुँची अपनी टोली के पास, लेकिन वहाँ पहुँचकर उसे पता चला कि उसकी टोली ने अब उसकी जगह एक नया सरदार चुन लिया है इसलिए उसने वहाँ से वापस जाने का फैसला किया लेकिन साथी डकैत श्यामा के इस फैसले से खुश नहीं थे...

क्रमशः....
सरोज वर्मा....