लगभग बाईस वर्षीय वह युवक मंत्री का बेटा था। शहर के व्यस्त इलाके में भीड़भाड़ वाली सड़क पर एक किनारे खड़ी उसकी आलीशान कार यातायात को बुरी तरह बाधित कर रही थी। कार से कोहनी टिकाए अपने तीन साथियों के साथ खड़े उस युवक की निगाहें बार बार सड़क के दूसरे सिरे की तरफ उठतीं और फिर बेचैनी में वह इधर उधर देखने लगता।
अचानक उसकी नजरें चमक उठीं। चेहरा किसी वहशी के समान सख्त हो गया। वह लडक़ी उससे चंद कदमों की ही दूरी पर थी जिसका उसे इंतजार था।
उसे देखकर भी अनदेखा करती वह लड़की उसकी बगल से आगे बढ़ ही रही थी कि अचानक वह उसके सामने आ गया और कठोर शब्दों में उससे बोला, "तो क्या सोचा है तुमने ?"
"अरे, कह तो दिया मैं तुमसे शादी नहीं कर सकती। मैं किसी और से प्यार करती हूँ।" कहकर वह आगे बढ़ने का प्रयास करने लगी।
झपटकर उसकी बाँह पकड़ते हुए वह युवक किसी दरिंदे की तरह गुर्राया, "बहुत नाज है न तुमको, अपनी इस खूबसूरती पर ? लेकिन एक बात कान खोलकर सुन लो, तुम अगर मेरी ना हुई, तो मैं तुम्हें किसी और की होने लायक छोड़ूँगा भी नहीं।"
उसकी पकड़ से छूटने का प्रयास करती वह लड़की इससे पहले कि उसकी पकड़ से छूट पाती, उस युवक ने एक हाथ से पहले से ही कार में रखी एक शीशी निकाल कर पूरी शीशी उसके चेहरे पर उँडेल दिया।
मर्मभेदी चीख के साथ वह लड़की सड़क पर गिर कर तड़पने लगी। उसके चेहरे से धुँआ निकलने लगा था।
जो जहाँ था, वहीं स्तब्ध सा खड़ा रह गया।
हाथ में पकड़ी शीशी सड़क के किनारे खुले नाले में फेंकने के बाद बड़े इत्मीनान से वह अपने साथियों के साथ कार में बैठा और वहॉं से निकल गया। जाने से पहले हिकारत से भरी नजर उस लड़की पर डालने के बाद जुट गई भीड़ को ललकारते हुए उसके साथी धमकी देना नहीं भूले थे, "खबरदार, जो किसी ने मुँह खोलने की हिम्मत की। उसका भी यही हश्र होगा।"
कार के निकलते ही तमाशाई भीड़ में से निकल कर कुछ सेवाभावी युवक बुरी तरह तड़प रही उस लड़की की तरफ बढ़े। तमाशबीनों की भीड़ में से अधिकांश के मोबाइल जेब से निकल कर उनकी हाथों में आ गए थे। शूटिंग शुरू हो चुकी थी।
उस लड़की की मदद करने का प्रयास करते उन युवकों ने वहाँ से गुजर रहे कई कारवालों से मदद की गुहार लगाई लेकिन सब जल्दबाजी में होने का बहाना कर आगे बढ़ गए।
एक ऑटो आकर अभी खड़ा हुआ ही था कि तभी वहाँ पुलिस की गाड़ी भी आ गई। शायद किसी ने उन्हें फोन से इस घटना की सूचना दे दी थी।
पुलिस ने तत्काल उन युवकों की मदद से उस पीड़ित लड़की को ऑटो में बिठाया और एक सिपाही के साथ ऑटो तेजी से शहर के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल की तरफ दौड़ पड़ा।
घटनास्थल से थोड़ी ही दूरी पर रहनेवाले उस लड़की के परिजनों को शायद इस घटना की सूचना देर से मिली थी।
बदहवास से उस लड़की के परिजन जब तक वहाँ पहुँचते ऑटो वहाँ से जा चुका था। पुलिस की गाड़ी अभी भी वहीं थी। एक अधिकारी के साथ कुछ पुलिसवाले भीड़ में कुछ लोगों से पूछताछ कर घटना की पूरी जानकारी हासिल करना चाह रहे थे, लेकिन भीड़ में से कोई भी मुँह खोलने के लिए तैयार नहीं था। सब यही कहकर बचते हुए देखे गए कि, वो तो अभी अभी वहाँ पहुँचे हैं।
तभी भीड़ में से किसी की कड़कती हुई आवाज सुनाई दी, "मैं बताती है साब !"
सबकी निगाहें आवाज की तरफ उठ गईं।
सबने देखा, भीड़ में जगह बनाता अधिकारी की तरफ बढ़ता हुआ वह एक किन्नर था।
लड़की के पिता व भाई तुरंत ही उसकी तरफ लपके।
अधिकारी के पास पहुँचकर उस किन्नर ने हिकारत भरी नजर भीड़ पर डाली और बोलना शुरू किया, "इन जिंदा इंसानों में मरेली आत्मा रहती है साब, जिनको किसी के बहन, बेटी का दर्द का पता ही नहीं है।
कहने को तो बड़ा बड़ा मुच्छी रखकर ये लोग बड़ा मरद बनता है लेकिन ये लोग का सिर्फ शरीर मरद का है, दिल से तो ये लोग बहुत कमजोर है, डरपोक है। ये लोग कुछ नहीं बताएगा आपको साब, लेकिन हम आपको एक एक बात बताएगा और सिर्फ इधरिच नहीं तो हम कोर्ट में जज साहब को भी ये सब बताएगा जो हमारे सामने हुआ है।"
पल भर को वह रुका, शायद आवेश के मारे साँसें फूल गई थीं उसकी।
भीड़ में खुसरफुसर शुरू हो गई थी। संयत होकर उसने आगे कहना शुरू किया, "साब, इस गल्ली में घुसते ही मैंने सबसे पहले यहाँ खड़ी कार को ही देखा था। एक लड़का कार से बाहर खड़ा था। एक बार तो सोचा मैंने कि चल के पहले उससे ही कुछ ले लूँ, रईस है तो मोटा माल भी दे सकता है लेकिन यह सोचकर कि अभी तो ये किसी का रास्ता देख रहा है तो जल्दी नहीं जाएगा, तब तक मैं कुछ दुकान में भी माँग लेगी। वो उस कोने वाली दुकान में माँगते हुए भी मेरा पूरा ध्यान इसकी तरफ ही था। दो तीन दुकान ही बचा था कि मैंने देखा, वो लड़का उस लड़की के सामने जाकर खड़ा हो गया और उससे बात करने लगा। उसकी पहचान वाली कोई लड़की होगी इसलिए मैं अधिक सोचे बिना एक दूसरे दुकान में घुस गई माँगने के लिए, लेकिन मेरा पूरा ध्यान उसी तरफ था।
जब वो लड़की उसकी बगल से निकलने लगी तो उस लड़के ने उसका दोनों बाजू जोर से पकड़ लिया और मैं कुछ समझती उससे पहले ही उसने कार में से छोटा बोतल निकालकर उस लड़की के चेहरे पर खाली कर दिया। थोड़ी देर के लिए तो मेरा दिमाग ही सुन्न हो गया था। समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करूँ ? जब तक मैं कुछ सोचती वो अपने दोस्तों के साथ गाड़ी में बैठकर फुर्र हो गया। ..लेकिन चिंता नको साब ! मैं दूर थी इसलिए उसको पकड़ने का हिंमत नहीं कर पाई, लेकिन उन सबका कार में बैठकर भागने का वीडियो बना लिया है मैंने जिसमें सड़क पर तड़प रही उस लड़की का भी वीडियो है और उस कार का नंबर भी है। हमको पता था पुलिस तो आएगी ही, तब ये वीडियो बहुत काम करेगा यही सोचकर हमने वीडियो बना लिया था।"
उसकी पूरी बातें सुनकर अधिकारी की आँखें चमक उठीं। किन्नर के हाथ से मोबाइल लेकर वह उसमें वीडियो देखने लगा। भीड़ छँटने लगी थी क्यूँकि भीड़ में खड़े कई रौबदार चेहरों पर उगाए गए भारी भरकम मूँछों के नोक उनकी निगाहों के साथ ही रसातल की तरफ झुकती नजर आ रही थी। वीडियो देखकर अधिकारी ने किन्नर की तरफ प्रशंसात्मक नजरों से देखा और कहा, "मर्द वही, जो मर्द का काम करे, और तुमने दिखा दिया है कि असल में मर्द कौन है।"