साथिया - 34 डॉ. शैलजा श्रीवास्तव द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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साथिया - 34

नियति और सार्थक जा चुके थे और सबकी जिंदगी वापस से नॉर्मल रूटीन पर आ चुकी थी। कुछ लोगों ने नियति को इस तरीके से भुला दिया जैसे वह कुछ थी ही नहीं तो कुछ लोगों के दिल में वह हमेशा के लिए एक दर्द की तरह समा गई थी जिसका ना ही कोई दवा थी और ना ही जो कभी भी ठीक होने वाला था।
ऐसे ही लोगों में थे सौरभ और निशांत है।

जहां सौरभ को नियति के जाने के साथ-साथ इस बात की भी तकलीफ थी कि आज भी उसका गांव और उसका परिवार इन मान्यताओं को मान रहा है, और इस तरह के काम वहां पर हो रहे हैं तो वहीं निशांत के दिल में इस बात की तकलीफ थी कि उसका किसी ने साथ दिया होता तो वह अपनी बहन को बचा लेता और अब उसके मन में सिर्फ एक ही बात घर कर गई थी कि जो भी पंच इस सब में शामिल थे उनके परिवार से अगर कभी कोई गलती हुई तो उसका बदला वह अपने तरीके से लेगा।

समय धीमे धीमे बढ़ रहा था हालांकि सांझ और नेहा उसी गांव की थी पर फिर भी उन्हें उन्हें नियति के बारे में कुछ भी खबर नहीं मिल पाई थी। इसका कारण यह था कि वह दूसरे शहर में थी।
सांझ ने अगले दिन से हॉस्पिटल जॉइंट कर लिया और वह शाम की शिफ्ट में हॉस्पिटल में काम करने लग गई तो वही अक्षत के घर में अभी अभी सेलिब्रेशन खत्म हुआ और अब अक्षत के जाने की तैयारियां शुरू हो गई थी। हालांकि अक्षत को जाने में अभी समय था पर फिर भी घरवाले तो घरवाले होते हैं और खासकर माँ उनके लिए तो बच्चा अगर घर से बाहर जा रहा है तो उन्हें लगता है कि ना जाने क्या-क्या दे दे उसके साथ कि उसे किसी भी बात के लिए सोचना ना पड़े और ना ही किसी चीज की कमी महसूस हो।

ईशान और मानसी दोनों ही अक्षत के लिए बेहद खुश थे साथ ही साथ थोड़े उदास भी क्योंकि अक्षत ट्रेनिंग के लिए जा रहा था और कुछ महीनों तक उन्हें अकेले ही रहना था।

अक्षत अपने बेड पर फैला हुआ था और वही उसके पैरों की तरफ ईशान लेटा हुआ अपने मोबाइल में कोई गेम खेल रहा था। मनु अक्षत की गोद में सिर रखे हुए लेटी थी।



"तुमने अब सांझ के बारे में क्या सोचा?" अचानक से मनु उठकर बोली तो अक्षत ने आंखें छोटी करके उसके देखा।

मतलब कि तुमने कहा था कि जब तुम एग्जाम क्लियर कर लोगे तो उसे अपने दिल की बात कहोगे तो मुझे लगता है कि अब समय आ गया है तुम्हें अपने दिल की बात बता देनी चाहिए सांझ को ।" मनु बोली।

"हां तो मैं अपने दिल की बात बता चुका हूं!" अक्षत ने कहा।

"व्हाट..?" मनु और इशान एक साथ बोले।

"मतलब कि तूने उसे प्रपोज कर दिया और हमें बताया तक नही?" इशान तुरंत उठकर बैठ गया।

" हा तो?" अक्षत बोला।

" दिस इज नॉट फेयर..! बताना तो था क्या हुआ कैसे हुआ?" ईशान बोला तो अक्षत ने बरसात वाली बात बता दी।


" ले...!! खोदा पहाड़ निकली चुहिया।" मनु बोली तो अक्षत ने उसे आंखें छोटी करके देखा।

"मतलब कि जज साहब ने ऐसे प्रपोज किया। यह भी कोई प्रपोजल होता है? भाई जरा थोड़ा ढंग से प्रपोज करो उसे तो समझ में नही आया होगा कि तुमने उसे क्या कहा और फिर एक डरी सहमी लड़की जिसे गुंडे परेशान कर रहे हैं तुमने अगर बोल दिया कि "मेरी सांझ" इससे थोड़े ना कभी समझ में आता है। भाई जरा तरीके से तो कुछ करो।" मनु ने कहा।

"हां बिल्कुल सही कह रही है आज चुड़ैल वैसे तो हमेशा इसकी बातें उटपटांग ही होती है। लगता है लाइफ में पहली बार इसने सही बात की है।" इंसान ने कहा तो मनु ने खा जाने वाली नजरों से उसे देखा.

"ठीक है चुड़ैल भूत जो भी हो पर मैं हमेशा सही सोचती हूं। तेरी बारी मौका मिलता तो तेरे लिए जरूर कुछ उल्टा सीधा कर सकती थी पर तुमने तो मौका नहीं दिया और ना हमसे कोई बात की। जाकर उसको बोल दिया आई लव यू। " मनु ने शिकायत की।


"तो तू क्या कही की पंडिताइन है जो तुझ से मुहूर्त निकलवाया जाता प्रपोज करने के लिए। मेरा दिल किया और मैंने बोल दिया बात खत्म।
अब मेरा काम अक्षत के जैसा नहीं है कि सालों तक इंतजार करते रहो सही मौके का। मेरी जिंदगी का एक ही उसूल है अगर मौका मिला है तो आज जी लो। क्या पता कल हो ना हो?" ईशान बोला।


"वेरी फनी..!" मनु बोली।


" यार तुम दोनों झगड़ना बंद करो। अब मुझे बताओ कि मैं कैसे उसे प्रपोज करूं? मैं न बहुत ही शानदार तरीके से उसे अपने दिल की बात कहना चाहता हूं। ऐसे कि वह कभी ना भूले आखिर इतने सालों तक इंतजार किया है मैंने और शायद उसने भी। तो उस दिन को खास बनाना तो बनता ही है ना।" अक्षत ने कहा और फिर तीनों बैठकर आगे की प्लानिंग करने लगे।

फाइनली एक घंटे में तीनों को सेटिस्फेक्शन मिला और तीनों ने अपनी प्लानिंग कर ली।

ठीक है तो फिर आप ऐसा ही करूंगा अक्षत ने कहा।


दो-तीन दिन निकल गए थे। अगले दिन सांझ का बर्थडे था। इस दौरान अक्षत ईशान और मनु ने मिलकर सारी तैयारियां कर ली अब बस अक्षत को सांझ के उस खास दिन को और भी खास बनाना था ।


"बस कल का दिन इतना खास और प्यारा बना दूँगा कि तुम कभी नही भुलोगी न कल का दिन और न मुझे।" अक्षत ने खुद से कहा और सांझ को याद करते हुए आँखे बन्द कर ली।


अगले दिन सांझ की नींद खुली तो यह दिन उसके लिए एक नॉर्मल दिन ही रहा क्योंकि वह जानती थी कि किसी को उसके बर्थडे से कोई फर्क नहीं पड़ने वाला और कोई उसे फोन नहीं करने वाला सिवाय नेहा के। एक नेहा ही थी जिसे सांझ से मतलब था।

सांझ ने स्नान करने के बाद भगवान के आगे हाथ जोड़ें और अपनी आंखें बंद कर ली।


"आज मेरा जन्मदिन है...! मुझे नहीं पता यह जन्मदिन मेरा असली है या नहीं है। बस जो मम्मी पापा ने बताया वही मैंने माना। पर पर मम्मी पापा ने तो मुझे जब जन्म नहीं दिया तो फिर क्या पता मुझे कि यह जन्मदिन मेरा असली जन्मदिन है या नहीं। पर जो भी हो भगवान जी मेरे मम्मी पापा मेरा जन्मदिन इसी दिन मनाते रहे है। तो मेरे लिए यही सही है

आज आपसे बस इतना कहना है कि मेरे साथ अपना साथ और अपना आशीर्वाद हमेशा बनाए रखे क्योंकि मम्मी कहती थी कि जिनके ऊपर ईश्वर का आशीर्वाद होता है वह हर मुश्किल से उबर जाते हैं? मैं जानती हूं कि मेरी जिंदगी में ऐसी कोई मुश्किल नही है पर कभी अगर मेरी जिंदगी में कोई परेशानी आए भगवान जी तो आप साथ देना।" सांझ ने मन ही मन प्रार्थना की।।

तभी उसका फोन मत उठा।

फोन पर नेहा का नाम देखते ही सांझ के चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई।

"हेलो नेहा दीदी बस आपके फोन का वेट कर रही थी मैं!" सांझ बोली

"हां तो वेट करना भी चाहिए आखिर तेरी बड़ी बहन हूं और आज के दिन तो फोन नहीं करूंगी ही न?" नेहा ने कहा।


सांझ ने कोई जवाब नहीं दिया।


सांझ भगवान तुझे हर खुशी दे..!! तु जिंदगी में हमेशा कामयाब हो, और तेरी लाइफ में ऐसे लोग आये जिन्हें तेरी वैल्यू हो। तेरी कद्र हो और जो तुझे बहुत ही ज्यादा प्यार करें।" शालू बोली।


"और आप इतना टेंशन क्यों लेती हो दीदी।। मेरी लाइफ में ऐसे लोग हैं जो मुझे बहुत प्यार करते हैं। " सांझ बोली।

"और कौन है वह तूने मुझे बताया भी नहीं? मतलब कुछ लफड़ा चल रहा है क्या? " नेहा ने कहा।

"अरे नहीं दीदी मैं आपकी बात कर रही हूँ। आप हो जो मुझे इतना प्यार करती हो और फिर मेरी फ्रेंड है ना शालू वह भी मुझे बहुत प्यार करती है।" सांझ ने कहा।

"हां हम लोग तो करते हैं प्यार पर मैं हम लोगों की बात नहीं कर रही। मैं तेरी आने वाली लाइफ की बात कर रही हूं। सांझ ईश्वर करे तेरी जिंदगी में ऐसा लड़का आये जो तुझे बहुत प्यार करें। जो तेरी अब तक की तकलीफ को अपने प्यार से खत्म कर दे। और तू अपना पुराना सब कुछ भूल जाए। ऐसी फैमिली तुझे मिले जो तुझे पलकों पर बिठा कर रखे। जिसके लिए तू सबसे ज्यादा खास हो।" नेहा ने कहा।

"आप बहुत अच्छी हो नेहा दीदी...!! आपने आज मेरा दिन बना दिया। इतनी सारी ब्लेसिंग दे कर मुझे। " सांझ ने खुश होकर कहा


"मेरा बस चले तो मैं तुझे ना जाने क्या दे दूं? पर अभी के लिए ब्लेसिंग्स से काम चला ले।" नेहा ने कहा तो सांझ मुस्कुरा उठी।

"अच्छा चल अपना ध्यान रखना और हां कुछ मीठा लेकर खा लेना आज मेरी तरफ से ठीक है..!" नेहा ने कहा और फिर कॉल कट कर दिया।

नेहा का फोन डिस्कनेक्ट हुआ वैसे ही सांझ का फोन दोबारा से बज उठा।

" हैलो!" सांझ ने कहा ।

" हैप्पी बर्थडे टू यू... हैप्पी बर्थडे टू यू... हैप्पी बर्थडे हैप्पी बर्थडे.. हैप्पी बर्थडे टू यू..!" शालू ने गाते हुए सांझ को विश किया।



" थैंक्स शालू..! थैंक्स आ लॉट।" सांझ बोली।

" थैंक्स नहीं पार्टी चाहिए मुझे। बर्थडे की भी और जॉब की भी। " शालू बोली।

" बिल्कुल.. वैसे तुम्हे याद था ? मतलब तुम सबके बर्थडे भूल जाती हो।" सांझ ने हंसकर कहा।

" सबके भूलती पर तुम्हारा कभी नही भूलूंगी।" शालू बोली।


"ऐसा क्यों? " सांझ ने कहा।

"है कुछ खास बात ...! कभी बताऊंगी तुम्हें।" शालू बोली।

"अच्छा ठीक है जब मन करे तब बता देना..! वैसे मेरे लिए तो यह खुशी की बात है कि तुम्हें मेरा बर्थडे याद रहता है अब कारण जो कोई भी हो।" सांझ ने कहा।


"अच्छा चल मिलते हैं कॉलेज में ..! फिर शाम को तो तेरी ड्यूटी है तो तू जल्दी चली जाएगी ना? " शालू बोली।

"कोई बात नहीं ड्यूटी के बाद चलेंगे हम लोग कहीं डिनर करने..! आज तुझे पार्टी दे ही देती हूं।" सांझ बोली।

"नहीं ..नहीं ..! आज नही। आज मैं बिजी हूं। आज रहने दे एक-दो दिन में चलते हैं हम।" नेहा बोली।

" फिर बाद में मत कहना कि मैंने पार्टी नहीं दी..!; देख मैं खुद से बोल रही हूं।" सांझ बोली ।

" हँ मै मान रही हूँ ना कि तू खुद से बोल रही है, पर मैंने कहा ना आज जरूरी काम है तो नहीं आ पाऊंगी। एक-दो दिन में आती हूं !" शालू बोली और फिर थोड़ी देर बाद करने के बाद कॉल कट कर दिया।

" अब आज इसको कौन सा काम याद आ गया? वैसे तो घूमने और पार्टी के नाम पर एक टांग पर खड़ी रहती है यह।" सांझ ने मन ही मन कहा और फिर कॉलेज के लिए तैयार होने लगी।

शालू ने फोन रखते ही गहरी सांस ली और फिर अपनी आंखें बंद की।

" थैंक गॉड बच गई। अच्छा हुआ ईशान ने मुझे बता दिया कि आज अक्षत का सांझ को प्रपोज करने का प्लान है। अभी मैं उसको लेकर चली जाती तो उन लोगों का प्लान तो पूरा खराब हो जाता।" शालू ने खुद से ही कहा।



"इतने लंबे इंतजार के बाद फाइनली अक्षत अपने मन की बात कहने वाला है। और ऐसे में मैं बीच में कबाब में हड्डी नहीं बन सकती।

मैं तो उसके साथ कभी भी पार्टी कर सकती हूं। आज का दिन सिर्फ और सिर्फ अक्षत और सांझ का है। बताया मुझे ईशान ने कि अक्षत ने अच्छी खासी तैयारी कर रखी है। बस अब आज इन दोनों के बीच इजहार ए मोहब्बत हो ही जाएगा और फिर सब कुछ सही होगा।

"गॉड प्लीज सब सही रखना..! मैं नहीं चाहती कि सांझ किसी भी तरीके से हर्ट हो। वह भी अक्षत को चाहती है और अक्षत उसे प्यार करता है। बस अब इन दोनों के प्यार को मंजिल मिल जानी चाहिए।" शालू ने मन ही मन भगवान से प्रार्थना की और फिर कॉलेज जाने के लिए तैयार होने लगी।

क्रमश:

डॉ. शैलजा श्रीवास्तव