चिड़िया की कहानी DINESH KUMAR KEER द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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चिड़िया की कहानी

राजा और चिड़िया की कहानी

एक राजा के विशाल महल में एक सुंदर वाटिका थी, जिसमें अंगूरों की एक बेल लगी थी। वहां रोज एक चिड़िया आती और मीठे अंगूर चुन - चुनकर खा जाती तथा अधपके व खट्टे अंगूरों को नीचे गिरा देती।
माली ने चिड़िया को पकड़ने की बहुत कोशिश की, पर वह हाथ नहीं आई। हताश होकर एक दिन माली ने राजा को यह बात बताई। यह सुनकर राजा भानुप्रताप को आश्चर्य हुआ। उसने चिड़िया को सबक सिखाने की ठान ली और वाटिका में छिपकर बैठ गया। जब चिड़िया अंगूर खाने आई तो राजा ने तेजी दिखाते हुए उसे पकड़ लिया।
जब राजा चिड़िया को मारने लगा, तो चिड़िया ने कहा, 'हे राजन, मुझे मत मारो। मैं आपको ज्ञान की चार महत्वपूर्ण बातें बताऊंगी। राजा ने कहा, 'जल्दी बता!' चिड़िया बोली, 'हे राजन, सबसे पहले, तो हाथ में आए शत्रु को कभी मत छोड़ो। 'राजा ने कहा, 'दूसरी बात बता!' चिड़िया ने कहा, 'असंभव बात पर भूलकर भी विश्वास मत करो और तीसरी बात यह है कि बीती बातों पर कभी पश्चाताप मत करो ।' राजा ने कहा, 'अब चौथी बात भी जल्दी बता दो।' इस पर चिड़िया बोली, 'चौथी बात बड़ी गूढ़ और रहस्यमयी है। मुझे जरा ढीला छोड़ दें क्योंकि मेरा दम घुट रहा है। कुछ सांस लेकर ही बता सकूंगी।' चिड़िया की बात सुन जैसे ही राजा ने अपना हाथ ढीला किया, चिड़िया उड़कर एक डाल पर बैठ गई और बोली, 'मेरे पेट में दो हीरे हैं।' यह सुनकर राजा पश्चाताप में डूब गया। राजा की हालत देख चिड़िया बोली, 'हे राजन, ज्ञान की बात सुनने और पढ़ने से कुछ लाभ नहीं होता, उस पर अमल करने से होता है। आपने मेरी बात नहीं मानी। मैं आपकी शत्रु थी, फिर भी आपने पकड़कर मुझे छोड़ दिया। मैंने यह असंभव बात कही कि मेरे पेट में दो हीरे है, फिर भी आपने उस पर भरोसा कर लिया। आपके हाथ में वे काल्पनिक हीरे नहीं आए, तो आप पछताने लगे।

सीख - उपदेशों को जीवन में उतारे बगैर उनका कोई मोल नहीं।


2. कहानी छोटी सी चिड़िया की

एक छोटे से गाँव में एक चिड़िया रहती । चिड़िया छोटे-बड़ो का सम्मान भी करती थी। चिड़िया बहुत ही प्यारी थी। वह हमेशा खुश रहती थी और अपने आसपास के सभी जानवरों से प्यार से रहती।एक दिन, चिड़िया पेड़ पर बैठी हुई थी। तभी, उसे एक छोटा सा बच्चा रोता हुआ दिखा । वह बच्चा अपने घर से खो गया था और उसे घर नहीं मिल रहा था।चिड़िया ने सोचा कि उसे बच्चे की सहायता करनी चाहिए। वह बच्चे के पास उड़कर गई और उसे चुप करा दिया। फिर, वह बच्चे को अपने घर ले गई। उस चिड़िया ने सहायता की और बच्चे को उसके घर पहुंचा दिया। बच्चे के माता - पिता अपने खोए हुए बच्चे को पाकर बहुत खुश हुए। उन्होंने चिड़िया को तहेदिल से बहुत - बहुत धन्यवाद दिया। चिड़िया ने कहा, "धन्यवाद स्वीकार है। मैं हमेशा खुशी से आपकी सहायता करूंगी।"चिड़िया की सहायता से खोया हुआ बच्चा अपने घर वापस आ गया। बच्चे के माता - पिता ने चिड़िया को एक छोटा सा घर (घोंसला) पुरुस्कार स्वरूप दिया। जिसे देख प्यारी सी चिड़िया बहुत खुश हुई।

सीख:
चाहे वह इंसान हो या जानवर। हमें दूसरों के सुख - दुख में शामिल होना चाहिए और उनकी निस्वार्थ सहायता करनी चाहिए।