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प्यासा कौआ

प्यासा कौआ

एक बार की बात है किसी जंगल में एक कौआ रहता था। एक दिन उसे बड़ी जोर से प्यास लगी । वह पानी की तलाश में वह बहुत दूर तक उड़ता रहा, परन्तु कहीं भी उसे पानी नहीं मिला। जब वह बहुत थक गया तो उसे आखिर में एक घड़ा दिखाई दिया जिसमे बहुत थोड़ा-सा पानी था ।

जब कौए ने पानी पीना चाहा तो उसकी चोंच पानी तक नहीं जा सकी। उसने हर तरह से पानी पीने की कोशिश की, पर सब बेकार गई। कौआ बेचैन हो उठा, तभी उसे एक उपाय सूझा। उसने आस- पास से कंकड़ एकत्रित करे और एक-एक करके अपनी चोंच से घड़े में तब तक डाले जब तक पानी ऊपर नही आ गया। फिर कौए ने जी भरकर पानी पिया ।


*ये कहानी आपके जीने की सोच बदल देगी!*

एक दिन एक किसान का बैल कुएँ में गिर गया।

वह बैल घंटों ज़ोर -ज़ोर से रोता रहा और किसान सुनता रहा और विचार करता रहा कि उसे क्या करना चाहिए और क्या नहीं।

अंततः उसने निर्णय लिया कि चूंकि बैल काफी बूढ़ा हो चुका था। अतः उसे बचाने से कोई लाभ होने वाला नहीं था और इसलिए उसे कुएँ में ही दफना देना चाहिए।

किसान ने अपने सभी पड़ोसियों को मदद के लिए बुलाया। सभी ने एक-एक फावड़ा पकड़ा और कुएँ में मिट्टी डालनी शुरू कर दी।

जैसे ही बैल कि समझ में आया कि यह क्या हो रहा है। वह और ज़ोर-ज़ोर से चीख़ चीख़ कर रोने लगा और फिर अचानक वह आश्चर्यजनक रुप से शांत हो गया।

सब लोग चुपचाप कुएँ में मिट्टी डालते रहे तभी किसान ने कुएँ में झाँका तो वह आश्चर्य से सन्न रह गया..।

अपनी पीठ पर पड़ने वाले हर फावड़े की मिट्टी के साथ वह बैल एक आश्चर्यजनक हरकत कर रहा था। वह हिल-हिल कर उस मिट्टी को नीचे गिरा देता था और फिर एक कदम बढ़ाकर उस पर चढ़ जाता था।

जैसे-जैसे किसान तथा उसके पड़ोसी उस पर फावड़ों से मिट्टी गिराते वैसे -वैसे वह हिल-हिल कर उस मिट्टी को गिरा देता और एक सीढ़ी ऊपर चढ़ आता। जल्दी ही सबको आश्चर्यचकित करते हुए वह बैल कुएँ के किनारे पर पहुंच गया और फिर कूदकर बाहर भाग गया।

ध्यान रखें, आपके जीवन में भी बहुत तरह से मिट्टी फेंकी जायेगी। बहुत तरह की गंदगी आप पर गिरेगी। जैसे कि आपको आगे बढ़ने से रोंकने के लिए कोई बेकार में ही आपकी आलोचना करेगा।

-- कोई आपकी सफलता से ईर्ष्या के कारण आपको बेकार में ही भला बुरा कहेगा।

-- कोई आपसे आगे निकलने के लिए ऐसे रास्ते अपनाता हुआ दिखेगा जो आपके आदर्शों के विरुद्ध होंगे...।

ऐसे में आपको हतोत्साहित हो कर कुएँ में ही नहीं पड़े रहना है, बल्कि साहस के साथ हर तरह की गंदगी को गिरा देना है और उससे सीख ले कर उसे सीढ़ी बनाकर बिना अपने आदर्शों का त्याग किये अपने कदमों को आगे बढ़ाते जाना है।

सकारात्मक रहे.. सकारात्मक जिए! क्योंकि:-

इस संसार में....

सबसे बड़ी सम्पत्ति *"बुद्धि "*
सबसे अच्छा हथियार *"धैर्य"*
सबसे अच्छी सुरक्षा *"विश्वास"*
सबसे बढ़िया दवा *"हँसी"* है

और आश्चर्य की बात कि *"ये सब निशुल्क हैं..!!


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