12वीं फेल - फिल्म समीक्षा Seema Saxena द्वारा फिल्म समीक्षा में हिंदी पीडीएफ

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12वीं फेल - फिल्म समीक्षा

सीमा असीम सक्सेना द्वारा लिखी गयी ....

फिल्म 12वीं  फेल की समीक्षा ।

कलाकार हैं विक्रांत मैसी, मेधा शंकर,अनंत जोशी, हरीश खन्ना,अंशुमान पुष्कर, प्रियांशु चटर्जी ।

निर्देशक हैं विधु विनोद चोपडा ।

अंक मेरे हिसाब से 4.5 ।

12वीं  फेल फिल्म सिनेमा घरों में धूम मचाने के बाद अब डिज्नी हॉट स्टार ओटी टी पर भी आ गयी है।

यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर बड़ा कमाल दिखा चुकी है या यूं कहें कि इस फिल्म ने एक इतिहास बना दिया है। 12वीं फेल को दर्शकों ने बहुत पसंद किया है। इस साल रिलीज हुई एनिमल, गदर टू, जवान और पठान जैसी अनेकों फिल्में बॉक्स ऑफिस पर शानदार कमाई करके गई हैं, उन सब फिल्मों के बीच में एक बहुत कम बजट की फिल्म आई, जिसने बहुत कमाई की है और न केवल कमाई की है बल्कि लोगों के दिलों में भी बस गई है । फिल्म का नाम है 12वीं फेल, विक्रांत मैसी मुख्य भूमिका में है, इस फिल्म का निर्देशन विधु विनोद चोपड़ा ने किया है। 12वीं फेल को दर्शकों ने तो खूब पसंद किया ही और समीक्षकों ने भी जमकर इस फिल्म की तारीफ की है और अब जल्दी ही यह फिल्म ओटीटी प्लेटफॉर्म G5 पर रिलीज होने वाली है, बिधु विनोद चोपड़ा के डायरेक्शन में 12वीं फेल हर तरह से एक सफल फिल्म रही है । अब इस फिल्म को ऑस्कर 2024 के लिए भी भेजा गया है।

विक्रांत मैसी ने अभी तक जितनी भी फिल्में की हैं, उसमें उनका सबसे शानदार किरदार 12th फेल  में रहा है। आईपीएस बनने तक का सफर आपको जरूर रुला देगा। विक्रांत मैसी हर बार अपनी एक्टिंग से दर्शकों को अभी तक छूते ही आये हैं ।

सच है कि इस फिल्म ने दर्शकों की आंखें लाल कर दी हैं। बहुत दिनों के बाद कोई शानदार फिल्म देखने को मिली है।  अगर देखा जाये तो २०२३ की यह सबसे अच्छी फिल्म है। मुझे लगता है कि विक्रांत मैसी और विधु विनोद चोपड़ा दोनों ही 12th फेल  के लिए नेशनल अवार्ड डिजर्व करते हैं।

फिल्म की कहानी इस तरह है कि चंबल में रहने वाला बेहद गरीब परिवार का लड़का मनोज उसके पिता की नौकरी चली जाती है क्योंकि उसके पिता बहुत ईमानदार हैं और घर में खाने तक के लिए कुछ नहीं बचा है। एक तरह से खाने के लाले पड़ जाते हैं, मनोज १२वीं क्लास में फेल हो जाता है क्योंकि उस साल उसके स्कूल में एक ईमानदार पुलिस अफसर की वजह से एक्जाम में चीटिंग नहीं हो पाती है। मनोज भी अब उस अफसर जैसा ही बनना चाहता है और वह अफसर उससे कहता है, तुम अगर मेरे जैसे बनना चाहते हो तो, चीटिंग करना बंद करो, अगर तुमने चीटिंग बंद नहीं की, तो तुम जिन्दगी में कुछ नहीं बन पाओगे।

मनोज चीटिंग करना बंद कर देता है और फिर शुरू होता है उसका सफर लेकिन उसे तो पता ही नहीं है कि इस सफर में होता क्या है ? वह पहले ग्वालियर जाता है फिर दिल्ली के मुखर्जी नगर जाता है । अब मनोज क्या आईपीएस बन पाता है और बन भी जाता है तो किस प्रकार बनता है? यह जानने के लिए यह फिल्म तो देखना ही पड़ेगा। अगर किसी का सपना आईएएस, आईपीएस बनने का हो तो उसे इस फिल्म को जरूर देखना चाहिए क्योंकि इस फिल्म को देखकर उसके सपनों को पंख जरूर लग जाएंगे। यह फिल्म देखने के बाद हर किसी को लगेगा कि काश एक बार हम भी अफसर बनने की तैयारी करते। यह फिल्म आपको रुलाती है, मोटिवेट करती है और मनोज के साथ आपको एक ऐसे सफर पर ले जाती है, जो बहुत ही बेहतरीन है। पहले फ्रेम से यह फिल्म आपको बांधे रखती है फिर जब मनोज की जिंदगी में एक लड़की आती है तो आपको लगता है कि इसकी क्या जरूरत थी लेकिन बाद में पता चलता है, इसकी तो बहुत जरूरत थी । यह फिल्म बहुत सिंपल तरीके से सूट की गई है फिल्म में न कोई बड़ा सेट है, ना कोई धूम धड़ाके वाला बहुत अच्छा संगीत है फिर भी यह फिल्म आपको अंदर तक छू लेती है। यही इस फिल्म की खासियत है, और इसकी एक्टिंग की बात की जाये तो विक्रांत मैसी ने कमाल की एक्टिंग की है। वह शानदार एक्टर समझे जाते हैं, उन्होंने उससे भी ज्यादा अच्छी एक्टिंग की है, कोई उनसे सीखे एक्टिंग के गुर, अगर एक्टिंग की कोई वर्कशॉप हो तो विक्रांत मेसी हर पैमाने को छू लेंगे, गांव का डरा हुआ सा लड़का, झुके हुए कंधे, आंखों में ढेरों सपने भरे हुए, जो कभी लाइब्रेरी में धूल साफ करता है, तो कभी चाय बेचता है, तो कभी 15 घंटे चक्की में आटा पीसता है। यहां विक्रांत आपको एक्टिंग का वह पैमाना दिखाते हैं जो शायद अब देखने को नहीं मिलता है। इस फिल्म के लिए उन्हें वह हर अवार्ड मिलना चाहिए जो अच्छे एक्टर को दिया जाता है, इस फिल्म में मेधा शंकर ने विक्रांत की गर्लफ्रेंड का किरदार निभाया है। विक्रांत की प्रेमिका के रूप में वह बिल्कुल फिट बैठती हैं और देखने में अच्छी भी लगी हैं । प्रियांशु चटर्जी ने पुलिस अफसर का किरदार निभाया है, अनंत विजय ने विक्रांत के दोस्त का किरदार, विकास दिव्यकीर्ति भी फिल्म में नजर आते हैं, वह वैसे ही नेचुरल लगते हैं जैसे हम उन्हें सोशल मीडिया पर देखते हैं। डायरेक्शन विधु विनोद चोपड़ा ने किया है । फिल्म पर उनकी पकड़ बहुत जबरदस्त है, कहां किसको कितना इस्तेमाल करना है और किससे कितना काम कराना है, उन्होंने इसका बखूबी ध्यान रखा है । दर्शकों को लगता है कि इस फिल्म में लव एंगल क्यों डाला गया लेकिन सेकंड हाफ में डायरेक्टर साहब यह भी क्लियर कर देते हैं । यह फिल्म विधु विनोद चोपड़ा की सबसे शानदार फिल्मों में गिनी जानी चाहिए। म्यूजिक शांतनु मित्र का है जो फिल्म के साथ फील कराते हैं और सबसे शानदार है वो बैकग्राउंड म्यूजिक, जो कि है ही नहीं बल्कि उसकी जगह पर सुनाई देती है, मनोज की आटा चक्की की आवाज, उसकी थकी हुई सांसों की आवाज, जो इस फिल्म को ऐसा अहसास देती है जैसे लगता है कि बिल्कुल नेचुरल है और फिर म्यूजिक की जरूरत ही नहीं पड़ती। कुल मिलाकर यह फिल्म आपको काफी इमोशनल करती है और ऐसी जर्नी पर ले जाती है जो अपने आप में कमाल है और वहां से लोगों को यह मोटिवेट भी कर सकती है । बहुत से लोग 12वीं फेल फिल्म को देखकर आईएएस, पीसीएस भी बन सकते हैं। इस सामाजिक फिल्म को देखकर जरुर अच्छा लगेगा।

सीमा असीम सक्सेना