जिन्नातों की सच्ची कहानियाँ - भाग 26 सोनू समाधिया रसिक द्वारा डरावनी कहानी में हिंदी पीडीएफ

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जिन्नातों की सच्ची कहानियाँ - भाग 26

महबूब जिन्न, भाग - ०५

लेखक - सोनू समाधिया 'रसिक'


पिछले अध्याय से आगे.....


विशेष :- यह कहानी सत्य घटना से प्रेरित है।

👻 -:- कहानी -:-👻

जर्जर हो चुकी घर की छत से पानी तेज बहाव के साथ शोर करते हुए बह रहा था। जंगली बरसाती कीड़ों की आवाज के साथ शबीना ने एक व्यक्ति के कराहने की आवाज के बिल्कुल करीब थी।

तभी बिजली चमकी और शबीना के सामने था खून से लथपथ उसका प्यार शकील जो कुछ कहने की कोशिश कर रहा था, लेकिन उसके मुँह से निकल रहे खून से उसकी स्वास नली अवरूद्ध हो रही थी, जिससे वो बीच बीच में खांस रहा था।


शबीना के पैर आधारहीन हो गए, उसे महसूस हुए जैसे उसके पैर निर्जीव पड़ गये हों। खौफ़ से फटी शबीना की आँखें उस डरावने माहौल की गवाह थीं।

डर से शबीना ने अपने दोनों हाथों से कान बंद करते हुए चीखी, जिससे खंडहर का जर्रा जर्रा गूंज उठा।


“क्या हुआ शबीना... क्या आप ठीक हो?”
शकील ने शबीना के कंधों को पीछे से अपने हाथों का सहारा देते हुए कहा।

शबीना शकील को महफूज देख कर रो पड़ी और डरते हुए उसे गले से लगा लिया।

“सब ठीक है... क्या आपने कुछ बुरा देखा...?” - शकील ने गले से लगी शबीना की पीठ पर अपना हाथ फेरते हुए पूछा।


“मैंने एक बहुत बुरा सपना देखा.... मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूं.. मैं तुम्हें खोना नहीं चाहती... शकील प्लीज यहां से मुझे ले चलो.... ।” - शबीना ने शकील के कंधे से अपना सिर शकील के चेहरे के सामने लाते हुए गुहार लगाई।


शकील कुछ कहता कि तब तक शबीना बेहोश हो चुकी थी।


जब शबीना की आंख खुली तो उसने देखा कि वह दरगाह में थी। उसने अपने आसपास देखा कि उसकी अम्मी और अब्बू दरगाह के मौलाना से कुछ बातचीत कर रहे हैं, जो बहुत घबराए और परेशान दिख रहे थे।

शबीना घबराते हुए बैठ गई और हालात का जायजा लेने के ख़ातिर खड़ी हुई, तो पीछे से आवाज आई।


“शबीना बेटा.. आराम से..! तुम कई घंटों से बेहोशी की हालत में थी। तुम्हारे अब्बू और अम्मी ने सारी कोशिश कर ली, तुमको होश में लाने की, लेकिन देखो खुदा की मर्जी हुई तो बिना कुछ किए ही तुम होश में आ गई।”


“खाला जान.. आप ये बतायीए कि मेरे साथ क्या हुआ...? और मैं यहां कैसे पहुंच गई?” - शबीना ने अपनी खाला रुख्सार से पूछा,।

“वो क्या बताएंगी...? मैं बताती हूँ।”


“अम्मी...?” - शबीना ने पीछे मुड़कर देखा तो उसकी अम्मी खड़ी थी।



“हम सबके मना करने के बाद भी तुम घर से निकली और वो भी इतने खराब मौसम में......।”



“अम्मी वो मैं.....!”

“बस मुझे कुछ नहीं सुनना.... हद तो तब हो गई.... जब तुम उस जिन्नातों के बसेरे उजड़ी मस्जिद वाले रास्ते पर बेहोश मिली...।”



“ये आप क्या कह रही हो, अम्मी..?” - हैरान होते हुए शबीना ने अपनी अम्मी की ओर देखा।

“तुम्हें जिन्नात ले गया था...?” - रुखसार ने कहा।


“क्या...?”



To be Continued (कहानी अभी जारी है.......)

कहानी को अपना सपोर्ट ♥️ देना न भूलें, thanks for reading 📖 😊♥️♥️📖


(©SSR'S Original हॉरर)
💕 राधे राधे 🙏🏻 ♥️