और माँ के अतीत से माया के मन मे एक डर बैठ गया।उसके मन मे मर्द की नकारात्मक छवि बन गयी।उसे सब मर्द धोखेबाज ऑड बेवफा नजर आने लगे और मर्द से दोस्ती करना तो दूर वह उनसे दूर रहने लगी।उसकी कम्पनी में नौकरी लग गयी और इस फ्लेट में वह किराए पर आई लेकिन उसने किसी मर्द से वास्ता नही रखा।सिर्फ दो से उसकी दोस्ती थी।एक तनुजा दूसरी श्रुति।लेकिन तनुजा जब से एक लड़के के साथ लिव इन मे रहने लगी थी।तब से माया ने उससे दूरी बना ली थी।
माया को तलाश थी राघव की।
और एक दिन अपनी कार से जा रही थी तभी उसकी नजर एक दुकान पर खड़े राघव पर पड़ी थी।माया अपनी
कार को पार्क करके उसकी तरफ जाती उससे पहले वह कार में बैठ गया।उसके साथ एक लड़की भी थी।माया ने आवाज लगाई पर उसने सुनी नही थी।
राघव तो चला गया लेकिन माया ने उसकी कार का नम्बर पढ़ लिया था।माया ने आर टी ओ ऑफिस से पता कर लिया।कार पाल के नाम रजिस्टर थी।माया ने पाल का नाम सुना था।पाल बहुत बड़ा बिजिनेसमेंन था।
और माया एक दिन पाल की कोठी पर जा पहुंची।गेट पर गार्ड बैठा था।उसने उससे पूछा,"यहाँ क्या राघव रहता है?
"राघव सर।"
"हा
"क्या करता है वह?"
"स्वेता का बॉडीगार्ड।"
"स्वेता कौन है?"
"पाल साहब की इकलौती बेटी।"
मुझे राघव से मिलना है
वो बहार गए है श्वेता के साथ।2दिन बाद मिलेंगे
और माया के मन मे अनेक विचार आने लगे।उसने राघव के प्यार को ठुकरा दिया था।अब कही
और 2 दिन बाद माया फिर पाल के बंगले पर जा पहुची।उस समय राघव श्वेता के साथ जाने को निकल रहा था।माया ने आवाज लगाई,"राघव
राघव ने आवाज सुनकर उसे देखा था और फिर कार में बैठ गया था।
पाल बहुत अमीर था।एक बार उसकी बेटी के अपहरण का प्रयास हो चुका था।इसीलिए पाल ने राघव को उसकी सुरक्षा के लिए रखा था।जब भी श्वेता बाहर जााती राघव साये की तरह उसके साथ रहता था।माया कई बार उससे बात करने का पर्यस कर चुकी थी।उसके पास पहुच कर भी वह उससे अपने दिल की बात नही कह पाााईई थी।लेकिन कहना चाहती थी।
माया राघव से मिल नही पा रही थी।लेकिन उसने उसका पीछा करना नही छोड़ा।
एक दिन श्वेता ने राघव से कहा,"हर समय तुम मेरे साथ लगे रहते हो।मैं भी खुले में जीना चाहती हूँ
"मैं क्या करूँ मजबूर हूँ।तुम पर हर समय खतरा रहता है।इसलिए मैं तुम्हे अकेली नही छोड़ सकता
"अकेली मत छोड़ो।लेकिन पार्क में तो चलो
और राघव, श्वेता के साथ पार्क में आ गया।श्वेता घूमने लगी।पार्क मे काफी लोग थे।
माया की कमपनी की छुट्टी थी।वह भी पार्क में आई हुई थी।राघव, श्वेता के इर्द गिर्द ही था।श्वेता उसे अपने पास देखकर बोली,"तुम तो ऐसे पीछे लगे हो जो मैं तुम्हारी लुगाई हूँ।और मैं भाग जाउंगी।इसलिए मुझे अकेला नही छोड़ रहे
"तुमहारी शादी हो जाये तो मैं भी इस ड्यूटी से फ्री हो जाऊं
"कैसे
"फिर तुम्हारी रक्षा की जिम्मेदारी तुम्हारे पति की होगी
"तुम ही पति बन जाओ
वे बाते कर रहे थे तभी अचानक4 लोगो ने उन्हें घेर लिया।हवाई फायर करके उन्होंने लोगो को डरा दिया था।और उसी समय माया, राघव के पास आ गयी।श्वेता भी वही थी।वे लोग श्वेता का अपहरण करने आये थे