तु ही मेरी मोहब्बत - 2 Arati द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
  • अनोखा विवाह - 10

    सुहानी - हम अभी आते हैं,,,,,,,, सुहानी को वाशरुम में आधा घंट...

  • मंजिले - भाग 13

     -------------- एक कहानी " मंज़िले " पुस्तक की सब से श्रेष्ठ...

  • I Hate Love - 6

    फ्लैशबैक अंतअपनी सोच से बाहर आती हुई जानवी,,, अपने चेहरे पर...

  • मोमल : डायरी की गहराई - 47

    पिछले भाग में हम ने देखा कि फीलिक्स को एक औरत बार बार दिखती...

  • इश्क दा मारा - 38

    रानी का सवाल सुन कर राधा गुस्से से रानी की तरफ देखने लगती है...

श्रेणी
शेयर करे

तु ही मेरी मोहब्बत - 2

तु ही मेरी मोहब्बत - २


(अब तक आपने पढ़ा “अराध्या पाठक” जीसका हंसता खेलता हुआ परिवार बिखर चुका था। जो दो इन्सान उसकी पुरी दुनिया थे वे अब इस दुनिया को छोड़ कर जा चुके थे। माँ और पापा के गुजर जाने के बाद अराध्या के मामा उसे अपने साथ मुंबई ले कर आ गए ! यहां रिया के साथ उसका एडमिशन मुंबई के एक कॉलेज में हो गया। अराध्या अपने मामा जी के परिवार के साथ काफी घुल मील गई थी। सब उसे बहुत प्यार करते थे।रिया और अराध्या बहनों के साथ साथ दोनों अच्छी दोस्त भी थीं। आज अराध्या का कॉलेज में पहला दिन था! अब आगे-:


रिया ने कहा तो अराध्या बालकनी से अंदर आते हुऐ झूठ-मुट का गुस्सा हो कर कहती है„„„„„„„„„!


“हाँ है जरूरी अब तुम उठो चलो„„„„! जाओ नहा लो जल्दी फिर निकलेंगे कॉलेज के लिए।”


तो रिया प्यारी सी शकल बना के अपने दोनों हाथों को जोड़कर कहती है

“ठीक है मेरी देवी माँ आती हूं मैं नहा कर तुम तब तक मेरे बुक्स बेग में रख दो प्लीज़”।

बोल कर रिया नहाने चली गई।„„„„„„„„„ अराध्या ने रिया के बुक्स बेग में रखे और नीचे चली आई उसने आज लाइट पिंक का शॉर्ट कुर्ता और नीचे पटियाला पैंट पहना हुआ था। नीचे आ कर वो सीधे पुजा घर के में आई तो उसकी नज़र सामने जल रहे दीपक की ओर गई जिसमें तेल लगभग खत्म होने ही वाली थी”“ तो अराध्या ने उसमें और थोड़ा तेल डाल दिया। और फिर वो भगवान के सामने हाथ जोड़कर कहने लगी!


“हे महादेव”..... “मुझे आर्शीवाद दीजिए„„„„„„„ आज हमारे कॉलेज का पहला दिन है। हम खुब मन लगाकर पढ़ाई करेंगे! माँ और पापा का जो सपना था वो हम जरूर पुरा करेंगे”।

प्रार्थना करने के बाद वो किचन में आई तो देखा गरिमा ब्रेकफास्ट तैयार करने में लगी हैं। गरिमा ने अराध्या को देखा तो कहा

“अरे अराध्या उठ गई तुम?”

“हाँ मामी जी!” अराध्या ने कहा

“रिया कहाँ है? उठी नहीं वो क्या अभी तक?” गरिमा ने पूछा।

“हाँ उठ गई है……. नहाने गई है आती ही होगी।” अराध्या ने सहजता से जवाब दिया।

“अछा ठीक है तुम बैठो मैं चाय लेकर आती हूं!” गरिमा ने कहा तो अराध्या बोली मामीजी चाय “मैं ले जाती हूँ”। अच्छा ठीक है गरिमा ने कहा तो अराध्या ने रॉ से कप निकले और चाय छान कर ट्रे में रखा और लेकर बाहर डाइनिंग टेबल पर आ गई। रिया भी नहा कर आ गई। नक्श भी वहां आ चुका था!


“गुड मॉर्निंग दी” अराध्या को देख कर नक्श ने मुस्कुराकर कहा तो बदले में अराध्या ने भी मुस्कुराकर “वेरी गुड मॉर्निंग नक्कू” कह दिया वो नक्श को प्यार से नक्कू बुलाया करती थी।

“क्यों बे मोटे मुझे मार्निंग विश कोन करेगा”। रिया ने नक्श को चिढ़ाते हुए कहा।

“देखो ना मांँ दी मुझे कैसे चिढ़ा रही हैं”! नक्श ने रोता हुआ चेहरा बना कर कहा। तो गरिमा ने रिया के सिर पर धीरे से चपत लगाते हुए कहा “क्यों तंग कर रही है उसे तु।” ये देख की गरिमा ने रिया को डांटा नक्श मुस्कुरा उठा तभी “बस कर मोटे ज्यादा मत हंस” रिया ने उससे घूरते हुए कहा। तो नक्श ने उसे देख कर मू बना लिया। अराध्या दोनों का नोक-झोंक देख हंसने लगी और फिर,,,,,,,,,,,, “मामी जी,’ मामा जी कहा है?” अराध्या ने गरिमा से पूछा? “वो तो सुबह ही निकल गए बेटा उनको कुछ काम था इसलिए!” गरिमा ने पराठे नक्श के प्लेट में परोसते हुए कहा।

अराध्या के कोई भाई बहन नही थे लेकिन रिया और नक्श को वो सगे भाई बहन की तरह ही मानती थी”””””” वही रिया और नक्श भी अराध्या को अपने खुद की बहन की तरह ही मानते थे। तीनों में बॉन्डिंग बहुत अच्छी थी और प्यार भी।

गरिमा ने रिया और अराध्या को बैठने का इशारा करते हुए कहा “ चलो अब बैठ जाओ तुम दोनो नाश्ता कर लो जल्दी! फिर कॉलेज के लिए भी निकलना है ना। दोनों ने नाश्ता किया और फिर अपना अपना बैग उठाए कॉलेज के लिए निकल गईं! कॉलेज का पहला दिन और पहले ही दिन रिया के जल्दी ना उठने के वजह से वो दोनों ऑलरेडी लेट हो चुकी थीं। थोड़ी देर बाद वो दोनों कॉलेज पहुंची कॉलेज पहुंच कर वो दोनों जल्दी जल्दी कॉरिडोर में चलने लगीं ! “जल्दी चलो रिया अगर सर आ गए होंगे तो बहुत डांट पड़ेगी अराध्या जल्दी जल्दी चलते हुए बोलने लगी।”


दोनों का क्लासरूम 1st फ्लोर में था तो इसलिए दोनो सीढ़ियों की तरफ बढ़ गईं। जल्दी जल्दी क्लासरूम पहुंचने के चक्कर में अराध्या सामने से आते हुए लड़के से टकरा गई””””””””””””,रिया चिल्ला पड़ी “अराध्य„„„„„„!” अराध्या गिरने ही वाली थी की उस लड़के ने उसे पकड़ कर अपनी तरफ़ खींच लिया जिसे अराध्या गिरते गिरते बची। डर के मारे अराध्या ने अपनी आंखें बन्द कर ली थी लेकिन लड़का एकटक उससे ही देखे जा रहा था। इतना प्यारा चेहरा उसने पहली बार देखा था। मगर न जाने क्यों उसके अंदर एक अलग सा एहसास जाग उठा!


तभी रिया ने घबरा कर पुछा “अराध्या तुम ठीक तो हो ना?” रिया की आवाज से अराध्या ने अपनी बड़ी बड़ी आंखें खोली तो बस देखती ही रह गई„„„„„„„„! नशीली आंखें, गौरा रंग, सुर्ख होंठ, हवा से उसके बाल उड़ कर माथे पर आ रहे थे। उसे देख कर एक वक्त के लिए अराध्या की आंखे बड़ी हो गई! लड़के का हात अराध्या के कमर पर था तो वहीं अराध्या के हात उसके सीने पर, दोनों एक दूसरे के काफ़ी करीब थे। रिया के आवाज से दोनों एक झटके से एक दूसरे से दूर हो गए। “ओ हेलो दिखाई नहीं देता क्या तुम्हें?” लड़के ने अराध्य को घूरते हुए कहा!

“I'm I'm so sorry!” हम जल्दी मैं थे तो देखा नही।” सॉरी घबराते हुए अराध्या ने कहा लड़का उसे ओर कुछ कह पाता उसे पहले ही अराध्या जल्दी जल्दी वहां से चली गई! लड़का उसे जाते हुए देखता रहा। ना जाने क्यों उसे एक खिंचाव सा महसूस हो रहा था। कोन था ये लड़का? और इनका एक दूसरे से टकराना कोई इत्तफाक था या फिर किसी नए रिश्ते को आगाह कर रहा था!




क्रमशः




आरती गोछ्छायत