तु ही मेरी मोहब्बत - 4 Arati द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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तु ही मेरी मोहब्बत - 4

तु ही मेरी मोहब्ब्त - ४



क्लासेस के बीच एक लड़के की नज़र काफी देर से अराध्या पर ही थी। वो एकटक बस उसे देखे जा रहा था। क्लास खत्म हुई तो लड़का उठ कर उनकी तरफ बढ़ ही रहा था की दो लड़की उनके आगे वाले बैंच पर आकर बैठ गए ये देख लड़का वापस अपने सीट पर जा बैठा। तो उनमें से एक लड़की पीछे मुड़ कर हात आगे बढ़ाते हुए कहा। “है,,,,, आई एम पल्लवी और ये मेरी बहन त्रिशा!”। मुस्कुरा कर कहा।

-“हेलो,,,,,,,,, आई एम त्रिशा,,,,,,,,, नाइस टू मीट यू,,!!” दूसरी लड़की ने भी मुस्करा कर कहा।

“नाइस टू मीट यू टू,,,!!” अराध्या ने भी मुस्कुरा कर हात मिलाते हुए कहा।

-“तुम दोनों कॉलेज में नई हो?”

त्रिशा ने पूछा।

-“हां”! अराध्या ने भी सहजता से जवाब दिया।

“लगता है तुम दोनो बेस्ट फ्रेंड हो?” पल्लवी ने बेस्ट फ्रेंड शब्द पर जोर देते हुए कहा। पल्लवी के इतना कहते ही रिया अराध्या को साइड हग करते हुए कहती है “freinds with cousin's sister's है हम,,,,,,!”

उसके ऐसे कहते ही चारों एक साथ हंस पड़ी।


-“इसके बातों से तुम दोनों का दिमाग पक जायेगा बहुत बोलती है ये पागल!” अराध्या उसके सर पर चपत लगाते हुए कहती है।

-“बाय द वे बहुत अच्छा बोल लेती है।” त्रिशा भी मज़ाक में कह कर हंसने लगती है।

“So we are friends??” इस बार त्रिशा ने हात आगे करते हुए कहा तो रिया और अराध्या ने एक दूसरे को देखा और फिर एक साथ कहा “आके फ्रैंड्स,,,,,,,!” चारों में दोस्ती हो गई अराध्या और रिया खुश थे की पहले ही दिन दो अच्छी दोस्त बन गई।


क्लासेस खत्म होने के बाद पल्लवी ने कहा

-“चलो कैंटीन चलते हैं पहले दिन सुखा सुखा अच्छा नहीं लगेगा।”

-“हां सही कह रही है पल्लवी वैसे भी फ्रैंडशिप भी तो नई है तो उसको सेलिब्रेट करना तो बनता हैं।” रिया भी कहां पीछे रहने वाली थी बच्चों की तरह मचलते हुए कहने लगी।

“ठीक है ठीक है चलो!” कह कर चारों अपने अपने बुक्स और कॉपी बैग में रखने लगे।

अराध्या के बैग का चैन नहीं लग रहा था तो उसने -“तुम सब चलो हम आते है,,,,,!” कह कर अराध्या चैन लगाने लगी तो रिया पल्लवी और त्रिशा को आगे चलने का बोल कर खुद वहीं रुक गई,,,,,,। वो कभी भी अराध्या को कहीं भी अकेले नहीं छोड़ती थी हमेशा उसके साथ रहती थी।

अराध्या ने थोड़ा ज़ोर लगा कर चैन बंद किया तो चैन बंद हो गया तो अराध्या राहत की सांस ली और कहा “चलो रिया,,,,,,,,,,,!”

जैसे ही दोनों बैंच से उठ कर आगे बढ़े की एक लड़का उनके सामने आ कर खड़ा हो गया ये वही लड़का था जो तबसे अराध्या को देखे जा रहा था उसने अपना हात आगे बढ़ाते हुए कहा,,,,! “हेलो,,,,,,,,,,आई एम निखिल,,!तुम नई आई हो कॉलेज में शायद?” लड़के ने कहा।

अराध्या ने उससे कोई जवाब नहीं दिया। रिया जानती थी की अराध्या को लड़को से ज्यादा घुलना मिलना पसंद नहीं इसीलिए उसने कहा “हां हम कॉलेज में नए हैं एंड आज ही 1st डे है कॉलेज में हमारा,,,,,!” उससे घूरते हुए कहती है तो लड़का जो अब तक हात बढ़ाए खड़ा था रिया की बात सुनकर हात पीछे कर लिया।

“रिया घर चलते हैं,,,,,,,,,!” अराध्या ने कहा।

हां अराध्या चलते हैं,,,,,,,,! रिया ने अराध्या से कहा तो तभी लड़का बोल पड़ा

अराध्या,,,,! नाइस नेम” अराध्या शब्द पर जोर देते हुए कहा। अराध्या ने एकटक लड़के को घूरा और बिना किसी भाव से कहा “शुक्रिया,,,,,,!”

तभी रिया ने लड़के से कहा “साइड प्लीज!” तो लड़का साइड हो गया। दोनों वहां से चली गई,,,,,,,,,,,,,,! लड़का मुस्करा कर मन ही मन कहने लगा “हो तो तुम बड़ी कमल की मिस अराध्या,,,,,,,,,,!”


अराध्या रिया पल्लवी और त्रिशा चारों कैंटीन में चलीं आईं। एक खाली टेबल देख कर चारों बैठ गई त्रिशा को कॉल आने की वजह से वो बहार चली गई और पल्लवी चारों के लिए पिज्जा और जूस ऑर्डर करने चली गई। तभी रिया ने अराध्या को एक्साइटेड हो कर कहा

“तुझे पता है वो लड़का,,,,,,,,,,,जो सुबह तुझे से सीढ़ियों पर टकराया था।”

“कोन लड़का,,,,,,,,??” अराध्या ने बिना रिया के बातों पर ध्यान देते हुए कहा।

अरे वही लड़का हेंडसम सा जिसने सीढ़ियों पर तुझे गिरने से बचाया था,,,,,,,,,,,,,,,! सच में दिखने में कितना हैंडसम था। रिया ने कृत्विक को याद करते हुए और अपना कोहनी टेबल पर टिका कर हात को गाल से लगाते हुए कहा।

(क्योंकि एक वक्त के लिए रिया की नज़रें भी कृत्विक पर ठहर गई थी।) रिया अपने ही बातों में व्यस्त थी और हमरी अराध्या वो अपने बैग के अंदर कुछ ढूंढने में,,,,,,,,!!


“नही मिल रही यहां तो,,,,,,,,!!” अराध्या ने मासूम सा चेहरा बना कर कहा। अराध्या के ऐसा कहने पर रिया ने उससे घूर कर देखते हुए कहा।

“मैं क्या कह रही हूं और तू क्या कह रही है मुझे,,,,,,,,,,,,,,,,!” तो अराध्या झेंप गई और चेहरे पर प्यारी सी मुस्कान लाते हुए कहा “सॉरी,,,,,,,! मेरा ध्यान नहीं था,,,,,,, मेरी डायरी नही मिल रही मुझे,,,,,,,,,,,,बैग में भी नही है!,,,,,,,,,,,,, तुझे पता है ना मुझे मेरी डायरी से कितना लगाव है।”

रिया ने जैसे ही सुना तो अराध्या से बैग लेकर चैक करने लगी। “हां,,,,,,,,,,,सच में ही नहीं है यहां तो।” रिया ने परेशान होकर कहा। अराध्या हां में अपना सिर हिलाने लगी।

“तू घर पे तो भूल कर नहीं आ गई?” रिया ने पूछा। “पता नहीं रिया याद नहीं आ रहा,,,,,,।” अराध्या ने अपने चेहरे पर परेशानी के भाव लाते हुए कहा। रिया ने देखा की अराध्या अपने डायरी के ना मिलने से परेशान है तो अपने हात को अराध्या के हात के उपर रखते हुए कहा “तू टेंशन मत ले मिल जायेगी घर पे ही होगी शायद।” उससे तस्सली देते हुए कहने लगी।

“हम्म्म,,,,,,,,,!!” अराध्या ने कहा।

इतने में त्रिशा और पल्लवी भी आ गई। चारों ने बातें करते हुए पिज्जा खाया और बिल पे कर के निकल गई।


कॉलेज के बाहर आकर चारों ने एक दूसरे को बाय कहा और अपने अपने घर के लिए निकल गईं। रिया ने अपनी स्कूटी निकाली स्टार्ट किया और अराध्या को बैठने का इशारा किया,,,! अराध्या अभी भी उदास थी वो चुपचाप स्कूटी पर बैठ गई उसके बाद दोनो घर के लिए निकल गई।



क्रमश



आरती गोछ्छायत