तु ही मेरी मोहब्बत - 5 Arati द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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तु ही मेरी मोहब्बत - 5

तु ही मेरी मोहब्बत - ५



रिया और अराध्या घर के लिए निकल गई। इधर मॉल में “यार तू खड़े खड़े मेरा मुंह क्या देख रहा है बताना,,,,,,,, ये वाली कैसी है,,,,,!!” कृत्विक ने शर्ट अपने ऊपर लगाते हुए ऋषि से कहता है। “यार यह 7th शर्ट है जो तू ट्राई कर रहा है! और तुझे पसंद ही नही आ रहा कुछ भी,,,,,,!! ब्रो तुझे तो नॉर्मल शॉपिंग में इतना टाइम लग रहा है पता नहीं,,,,,,,, खुद की शादी के शॉपिंग में तू तो घर ही नही जायेगा,,,,,!!” हंस कह कर कहता है।

“चिंता मत कर तू भी घूमेगा मेरे साथ मैं अकेला थोड़ी घूमूंगा।” कृत्विक भी कहां पीछे रहने वाला था।

“अच्छा बेटा,,,,,! वैसे एक बात तो है जब तेरी शादी हो जाएगी और तेरी वाइफ ने किसी दिन तुझे गिफ्ट के तौर पर कोई शर्ट दे दिया गलती से तो तेरा तो मुंह बन जाना है,,,,,यह अच्छी नहीं है वो अच्छी नहीं है,,,,,,,,, है ना!!” इस बार ऋषि से हंसी कंट्रोल ही नहीं हुआ तो वो जोर जोर से हंसने लगा।

“अबे तू क्या कोई पर्सनल पंडित है क्या मेरा जो तबसे मेरे शादी के पीछे पड़ा है,,,,,,,“और वैसे भी रही बात मेरी शादी की तो उसमे अभी बहुत वक्त है,,,,,,!” कृत्विक ने फुल एटीट्यूड से क्या।


वैसे तो कृत्विक ने एटीट्यूड में आ कर कह दिया मगर शादी की बात से मन ही मन मुस्कुरा रहा था। कुछ बातें और हँसी उसके कानों में गूंजने लगी। फिर पता नहीं सुबह वाला हादसा उसके आंखों के सामने तेर गया। वो,,,,,,,,,, चेहरा ना जाने क्यों जाना पहचाना लगा वो मासूमियत और वो भी इतने करीब से किसी लड़की को देखना उसके जिंदगी में ऐसा पहली बार हुआ था। हालाकि वो कॉलेज में सबसे हैंडसम लड़का था लड़कियां मरती थी उस पर,,,,,,,,, मगर उससे प्यार व्यार में अभी तक कोई इंटरेस्ट नहीं आया था।,,,,,,,,,,,,,,,,,, या फिर यह कह लें की उसको उसकी जैसी कोई मिली ही नहीं थी जो उससे समझ सके उससे संभाल सके।

हमारे कृत्विक बाबू तो अपने धुन में ही मगन रहना पसंद करते थे,,,,,,,,,। घूमना फिरना बस इसमें ही खुश।

“क्या हुआ हीरो कहा खो गया! शादी की बात कही तो कहीं सच में तो शादी के सपने देखने नही लग गया ना तू,,,,,,,,,,,!!” कृत्विक के कंधे पर हात रख कर हंसते हुए कहता है।

“हम्म्म वेरी फनी,,,,,,,,!!” कह कर कृत्विक अपना कंधा साइड कर लेता है।

“अच्छा यार छोड़ ना अभी यह सब,,,,,,,!!यह सी ब्लू वाली अच्छी है और एक ऑलिव ग्रीन ले ले और ब्लैक तो ऑलवेज फेवरेट रहा ही है तेरा,,,,!” ऋषि ने उसके हात से शर्ट्स लिए और एक एक कर के डेस्क के ऊपर रखते हुए कहा।

“थैंक्स ब्रो,,,,,!!” कृत्विक ने ऋषि से कहा।

“ब्रो यह पैक कर दीजिए!” वहां पे खड़े लड़के से कहा और काउंटर पर आकर कृत्विक ने बिल पे किया और दोनों वहां से निकल गए।

“अच्छा सुन तू मेरे घर आ जाना शाम को वहीं से निकलेंगे ओके!” बोलते हुए कृत्विक ने बाइक स्टार्ट किया।

“ठीक है ब्रो,,,,,,!!” कहते हुए ऋषि बाइक पर बैठ गया और दोनों निकल गए वहां से। कृत्विक ने ऋषि को उसके घर छोड़ा और खुद घर के लिए निकल गया।



अराध्या और रिया घर पहुंचे। घर पहुंचते ही अराध्या भागते हुए अंदर आई और फिर ऊपर अपने कमरे की तरफ़ बढ़ गई। कमरे में आ कर बैग बेड पर रख कर स्टडी टेबल पे रखे बुक्स में अपनी डायरी ढूंढने लगी। परेशान अराध्या,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!! ढूंढते ढूंढते उसकी नज़र बेड से लगे टेबल पर गई तो उसने राहत की सांस ली। बेड के पास आकर डायरी को उठाया और अपने सीने से लगा लिया,,,,,,, “आज अगर यह डायरी मैं खो देती तो शायद आपको भी खो देती,,,,,,,!!” अराध्या उस डायरी को सीने से लगते हुए ही खुदसे बड़बड़ाती है। उसकी धड़कने तेज हो गई थी और गला भी भर आया था। अब तक रिया भी कमरे में आ गई। उसने जब अराध्या के हात में डायरी देखा तो बैग स्टडी टेबल पर रखा और उसके पास चली आई,,,,,,।

“मिल गई,,,,,,,!” आते ही रिया ने अपनी आंखें बड़ी कर के कहने लगी।

हम्मम,,,,,,,,,! कह कर हल्का सा मुस्कुरा कर अराध्या ने रिया की तरफ नज़रें घुमाई।

“थैंक गॉड की तूझे तेरी डायरी मिल गई,,,, वरना तू तो मेरी जान ही ले लेती।” थोड़ा खिचाई करते हुए कह कर रिया बेड पर बैठ जाती है।

“ऐसा तो मत बोलो,,,,,,,,,!” अराध्या थोड़ा झेंप गई और अपनी नजरें चुराने लगी।

“देख लिया वो तो मैंने कॉलेज कैंटीन में,,,,,,,, मैडम जी!” रिया ने थोड़े ऊंचे आवाज में कहा।

“अच्छा बाबा सॉरी,,,,, नेक्स्ट टाइम ऐसा नहीं होगा,,,,!!” प्यारी सी शकल बना कर कहती है।

“ठीक है,,,,,,,,एक शर्त पर मैं तुम्हें माफ करूंगी बोलो मंजूर है?”रिया ने अपना हात आगे कर के कहा।

“ठीक है बोलो क्या शर्त है तुम्हारी।” अराध्या ने भी उसके हात के उपर अपना हात रखते हुए कहा।


“तुम्हें आज मुझे यह बताना ही होगा कि इस डायरी में ऐसा क्या है जो तुम इससे लेकर इतना परेशान हो जाती हो,,,,,,,,,, इस डायरी को खो देने का डर लगा रहता है तुम्हें हमेशा ऐसा क्यों,,,,,,,,,,,, अराध्या??” रिया एक सांस में अपने मन में चल रही बातो को अराध्या के सामने रख दिया।

अराध्या ने सुना तो झटके से अपना हात पीछे ले लिया।

“क्या हुआ अराध्या,,,,,,,,,तुम चुप क्यों हो गई?” रिया ने अराध्या की आंखों में देखते हुए कहा।

“कुछ,,,,,,कुछ भी तो नहीं,,,,!” अराध्या ने थोड़ा हिचकिचाते हुए कहा।

“तो फिर,,,,,क्या हुआ बताओ क्या है इस डायरी में!!” रिया समझ नही पा रही थी की आखिर अराध्या उस डायरी को ले के इतना क्यों बेचैन रहती है।

“तुम आज अचानक से यह सब क्यों पूछ रही हो रिया,,,,,,,??” अराध्या कहते हुए बेड से उतर गई उसने अपना मूंह भी फेर लिया था।

“क्योंकि मैं जनना चाहती हूं,,,,,,,,,,तुम मुझे बता सकती हो अराध्या हम दोनों बहनों के साथ साथ अच्छे दोस्त भी हैं तुम अपनी बातें मेरे साथ तो शेयर कर सकती हो ना।” रिया ने उसे तसल्ली देते हुए कहा।

अराध्या खामोश थी,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,।

अराध्या और रिया का बॉन्डिंग तो अच्छा था लेकिन रिया ने कभी भी डायरी की बारे में अराध्या से नही पूछा था। शायद इसीलिए भी की अराध्या के माता पिता (जानकी और संजय) को गुजरे कुछ वक्त ही हुए थे ऐसे में उससे और चीज़ों को ले के सवाल करना रिया को सही नही लगा।


(आखिर क्या था उस डायरी में ऐसा जिसके बारे में रिया अराध्या से सवाल कर रही थीं,,,,,,,,आखिर अराध्या क्या छुपा रही थी रिया से क्या अराध्या जवाब देगी रिया के बातों का या फिर रिया के सवाल, सवाल बन के ही रह जाएंगे,,,,,,,जाने के लिए आगे पढ़ते रहिए,,,,,,,!!

तु ही मेरी मोहब्बत)



क्रमश



आरती गोछायत