Tanmay - In search of his Mother - 10 Swati द्वारा थ्रिलर में हिंदी पीडीएफ

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Tanmay - In search of his Mother - 10

10.

 

मर्डर

 

मॉल में अभिमन्यु अपने बिज़नेस को बढ़ाने के बारे में वेंडर से बातें कर रहा हैं। प्लास्टिक और खानपान के सामान के अलावा अब वह फुटवियर  और कपड़े  रखने की भी सोच  रहा है। अब उसके  मॉल में  कस्टमर की संख्या बढ़ती जा रहीं है। मालिनी के बनाए केक और बिस्किट्स  लोगों की  ख़ास पसंद बनते जा रहें हैं। अविनाश मॉल में  काम करने वाले सभी लोगों को काम के बारे में  समझा रहा है। तभी उसकी नज़र  जीन्स-टॉप पहने एक महिला पर पड़ती है। छरछरी काया और दमकता चेहरा  होने की वजह से उसकी उम्र का पता लगाना आसान नहीं है। वह उसकी तरफ़ बढ़ते हुए बोला,

 

यस मैम।

 

मुझे अभिमन्यु सिंह से मिलना है।

 

सर अंदर मीटिंग में  है, आप चाहे तो वेट कर सकती है।

 

ठीक है, यह  कहते हुए वह मॉल में  लगा, सामान देखने लगी। पल्लवी ने अविनाश के पास आकर पूछा,

 

यह  कौन है?

 

पता नहीं, मगर हमारे सर बड़े पॉपुलर है। वह हँसते हुए बोला।

 

पल्लवी ने एक नज़र उस लड़की  पर डाली और फ़िर  मुँह बनाते हुए काम करने लगी। करीब आधे घंटे बाद अभिमन्यु की मीटिंग खत्म हो गई । वह  अपने केबिन में आया और उसके बाहर आते  ही अविनाश लपककर उसके पास गया और बोला, 

 

सर  वो मैडम आपसे मिलना चाहती है।

 

कौन ?

 

सर वो, उसने कोने में सामान देखती लड़की की तरफ़  हाथ से ईशारा किया।

 

सनशाइन नाम सुनते  ही  मालिनी लपककर सोफ़े से उठी और बाहर दरवाजे की तरफ़  दौड़ी और ज़ोर से बोली,

 

भैया आप? यहाँ?  फ़िर राजीव की तरफ़ मुँह करके बोली, मैं इन्हें जानती हूँ।

 

पर कैसे ? इनके होटल में  मैंने और मेरी  फ्रेंड्ज़ ने मेरा बर्थडे सेलिब्रेट किया था ।  उसने होटल वाले को चुप रहने का ईशारा किया। तुम  जाओ, तुम्हारा ऑफिस टाइम चल रहा है।  राजीव ने गुस्से में  मालिनी को देखा और अंदर चला गया।

 

आप यहाँ क्यों आए?

 

मैडम, आपका सामान रह गया था।  वहीं  देने आए है।  अभिमन्यु जी को मॉल में  दे देते। 

 

मैं किसी काम से आपकी  सोसाइटी में  आया  था ।

 

ठीक है, अब जाओ।  उसने थैला  पकड़ाया  और चला गया ।

 

वह खाने के कुछ पैकेट्स वहीं  छोड़ आई थीं। अभि भी कितने सीधे है, जान पहचान वाले होटल में  ले गए।  यह वहीं  आदमी कर सकता है, जिसके मन में  कोई गलत बात न हों । मगर इस बात को राजीव नहीं समझेंगे ।  उसने  लम्बी साँस छोड़ी और दरवाजा बंद करके अंदर चली गई।    

 

अभिमन्यु ने उस  युवती को  हैरान होकर देखा, फ़िर उसकी तरफ़  बढ़ने लगा,

 

प्रिया ! तुम यहाँ ?

 

प्रिया का ध्यान हटा और उसने उसकी तरफ मुस्कुराकर देखा,

 

कैसे हो ?

 

ज़िन्दा हों।  अभि ने गहरी साँस लेते हुए कहा।

 

तुम्हें ज़िंदा देखकर ख़ुशी हुई ।

 

अब दोनों  मुस्कुराने लगें।  चलो, अंदर चलकर बात करते हैं।  उसने हाथ में उठाया  सामान वहीं रख दिया और उसके साथ उसके केबिन में चली गई।

 

नैना के बारे में पता चला, बहुत अफ़सोस हुआ।  उसने कुर्सी पर बैठते हुए कहा।

 

तुम उससे मिली थी?

 

एक बार  जतिन ने मिलवाया था । वैसे भी उसको आदत है दूसरी औरतों के सामने अपना दुखड़ा  रोने की ।

 

तुम खुश नहीं हो ?

 

क्या तुम ख़ुश हों ?

 

शायद अब नहीं हूँ ।  प्रिया ने उसके ज़वाब को उसकी आँखों में  पढ़ने की कोशिश की।

 

ये सब कब हुआ ? अभिमन्यु ने उसे सारी बीती बात बता दीं।

 

तुम्हें जतिन पर शख है कि उसका और नैना का अफेयर था।  अभि ने कुछ नहीं कहा पर प्रिया उसका ज़वाब  समझ गई । अफेयर का तो पता नहीं, मगर  नैना की किडनेपिंग में उसका हाथ नहीं हो सकता । 

 

हाँ, तुम्हारा पति है, तुम तो कहोगी।

 

मेरा पति है, इसलिए कह रहीं हूँ।

 

उसे छोड़ क्यों नहीं देती?

 

जब उसे  मुझे छोड़ देना चाहिए था, तब उसने नहीं छोड़ा इसलिए अब मैं उसे नहीं छोड़ पाती। 

 

क्यों तुममें  कोई कमी है ? जो वो तुम्हें  छोड़ेगा।

 

हाँ है।  मैं माँ नहीं  बन सकती। 

 

अभि ने उसे हमदर्दी से देखा तो वह बोल पड़ी, ऐसे मत देखो। 

 

आजकल तो विज्ञान ने बहुत तरक्की कर ली है।

 

पहले हमने भी यहीं  सोचा था कि  सेरोगेसी से बच्चा करवा लें। मगर कुछ सालों से जतिन इस शादी के लिए सीरियस ही नहीं है। ऐसे में बच्चा पैदा करके क्या करना है।

 

सही कह रहीं  हों,  जिस रिश्ते का कोई भविष्य नहीं, उस रिश्ते से एक नया रिश्ता क्या जोड़ना।

 

रिश्ता तो तुम्हारा भी बहुत मजबूत नहीं लग रहा।  जतिन ने बताया था। अब उसकी त्योरियाँ चढ़ गई, वो आदमी  बकवास कर रहा हैं। उसने ही नैना के कान भरे हैं।

 

जो भी है..... उसने उसकी बात बीच में  काटते हुए कहा,

 

प्रिया, तुम तो  मुझे अच्छे से जानती हो।

 

बिलकुल, जब तुम मुझे छोड़कर नैना के साथ  जा सकते हों तो तुम नैना को कैसे छोड़ सकते हों।

 

प्रिया हम अच्छे दोस्त थे, यार, उसकी आवाज़  नरम  हो गई ।

 

प्रिया की आँख भर आई उसने अभि से नज़रे  फेर लीं।

 

छुट्टी की घंटी बज चुकी है। सभी बच्चे स्कूल से जा रहें हैं। राघव तन्मय को पूरे  स्कूल में  ढूँढ रहा है। तभी उसकी नज़र स्कूल ग्राउंड के  एक कोने में बैठे तन्मय पर गई । वह भागता हुआ उसकी ओर गया।  तनु क्या यार ! मैं तुझे पूरे स्कूल में  ढूँढ रहा हूँ और तू यहाँ बैठा हुआ है। तन्मय ने उदास नज़रो से  उसकी तरफ़ देखा और  कहा,

 

क्या करो ?

 

कुछ मत कर ।  आज  मेरी दादी ने ख़ास तेरे लिए पुलाव और कढ़ाई पनीर बनाए है ।  उन्होंने मुझे कहा था कि  तन्मय को अपने साथ ले आना ।  चल उठ !दादी  इंतज़ार कर रहीं  होगी । 

 

मॉल में  अविनाश और पल्लवी  केबिन में  बतिया रहें  प्रिया  और अभिमन्यु के बारे में  ही बात कर रहें हैं। अविनाश  मसखरी कर रहा है पर  पल्लवी  अंदर ही देख रहीं  हैं । शीशे का केबिन होने की वजह से अंदर का दृश्य साफ  नज़र  आ रहा है ।  तभी अविनाश ने उसे टोका --

 

इस तरह देखने से  अंदर का दृश्य नहीं बदल जायेगा ।

 

शटअप ! अविनाश हँसने लगा । 

 

अरे ! हमारे सर किसी से कम है, तभी तो इनकी इतनी फैन फोल्लोविंग है । 

 

हाँ, सर स्मार्ट लम्बे और हैंडसम है।

 

 पर नैना मैडम के मयार के नहीं है । 

 

पल्लवी ने अविनाश को  घूरकर देखा, मगर अविनाश की नज़रे बाहर  का नज़ारा देखकर चौक गई।  उसने पल्लवी को भी उधर देखने के लिए कहा तो उसने देखा कि  पुलिस की जीप  वहाँ आकर रुकी है और  उसमे से दो कांस्टेबल और एक लेडी ऑफिसर निकल  रहें हैं । पुलिस अंदर आई और  उस लेडी ऑफिसर  ने उन दोनों  से पूछा मिस्टर सिंह कहाँ है?

 

अपनी केबिन में, अविनाश ने सहमी हुई आवाज़  में  कहा ।  पुलिस उन दोनों को नज़रअंदाज़ करती हुई केबिन की तरफ़  बढ़ गई ।  अंदर केबिन में  पुलिस को आया देखकर दोनों बुरी तरह  चौंके ।  शिवांगी ने एक नज़र प्रिया पर डाली और अभिमन्यु को देखते हुए बोली, तुम्हें  हमारे साथ पुलिस स्टेशन चलना होग।  वारंट साथ लाये लाए  हैं । अभिमन्यु को  लगा कि उसके पैरो के नीचे से ज़मीन खिसक गई और प्रिया भी भौचक्की रह  गई।

 

मैंने किया क्या है?

 

अपनी बीवी नैना राठौर सिंह का मर्डर!!!!