साथिया - 29 डॉ. शैलजा श्रीवास्तव द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
  • इश्क दा मारा - 25

    राजीव की हालत देख कर उसे डैड घबरा जाते हैं और बोलते हैं, "तु...

  • द्वारावती - 71

    71संध्या आरती सम्पन्न कर जब गुल लौटी तो उत्सव आ चुका था। गुल...

  • आई कैन सी यू - 39

    अब तक हम ने पढ़ा की सुहागरात को कमेला तो नही आई थी लेकिन जब...

  • आखेट महल - 4

    चारगौरांबर को आज तीसरा दिन था इसी तरह से भटकते हुए। वह रात क...

  • जंगल - भाग 8

                      अंजली कभी माधुरी, लिखने मे गलती माफ़ होंगी,...

श्रेणी
शेयर करे

साथिया - 29

नेहा और सांझ भी अपने घर पहुंच गई। नेहा को देखते ही अवतार और उनकी पत्नी ने उसे गले लगा लिया। आखिर आठ महीने बाद बेटी घर आई थी । सांझ के चेहरे पर भी मुस्कुराहट थी उन तीनों को देख कर पर उन लोगों ने सांझ की तरफ ज्यादा ध्यान नही दिया।

" नमस्ते चाचा जी.. नमस्ते चाची।" सांझ ने कहा।

" खुश रहो बेटा.. और दिल्ली में सब ठीक है न.. कोनहु परेशानी तो नही।" अवतार ने उसके सिर पर हाथ रखकर पूछा।

" सब सही है चाचा जी!" सांझ बोली और फिर सब बातचीत में लग गए।

सांझ ने हमेशा की तरह रसोई और काम सम्भाल लिए और चाचा चाची नेहा के साथ व्यस्त हो गए।

दिवाली की तैयारियां हो चुकी थी और त्यौहार धूमधाम से मनाया जाने लगा।

इसी बीच में सौरभ और निशांत दोनों ही अवतार के घर आये नेहा और साँझ को देखने के लिए। दोनों ने ही अपने दिल की बात अपने दिल में दबा रखी थी आने वाले समय के इंतजार में। आने वाला समय आगे क्या लाएगा इस बात को तो कोई भी नहीं जानता था

दिवाली का त्यौहार बीता और सब वापस अपने अपने कामों पर लग गए

नेहा और सांझ दिल्ली निकल गए। जहां पर नेहा ने सांझ को दिल्ली छोड़ा और फिर आनंद के साथ मुंबई के लिए निकल गया तो कहीं सौरभ जी अपनी स्टडी करने के लिए शहर निकल गया।

सबकी जिंदगी में आगे बढ़ने लगी। अक्षत और सांझ ने एक दूसरे से अपने एहसास ना कहने का तय कर लिया था क्योंकि दोनों ही ना ही तो खुद के लिए और ना ही एक दूसरे की उन्नति में बाधक बनना चाहते थे।

नियति और सार्थक का प्यार भी धीरे-धीरे गहरा होता जा रहा था। दोनों एक दूसरे से बात करते और अपने आने वाले भविष्य की खूबसूरत कल्पना करते रहते।

शालू और ईशान का रिश्ता भी धीमे धीमे गहरा होता जा रहा था। पर उन दोनों को ही इस बात का एकदम क्लियर था कि आगे जो भी बात होनी है वह उनकी स्टडी पूरी होने के बाद ही होनी हैं इसलिए दोनों पूरे मन से अपनी पढ़ाई में लगे हुए थे साथ ही साथ एक दूसरे से मिलना मिलाना भी जारी था।

समय के साथ नेहा और आनंद भी एक दूसरे को समझ रहे थे और एक दूसरे के लिए फीलिंग जन्म ले चुकी थी।

अक्षत और नील के एग्जाम हो गए और दोनों का रिजल्ट भी बहुत अच्छा आया। उसी के साथ-साथ रिया का भी रिजल्ट आ गया था और उसने भी अच्छा स्कोर किया था।
अब रिया को उसके फादर विदेश भेजना चाहते थे और रिया को भी इस बात में कोई आपत्ति नहीं थी।

मनु और नील के बीच क्या था क्या नहीं यह तो ना ही वो लोग जानते और न कोई और शायद वह दोनों ही जानना भी नहीं चाहते थे।

रिया के विदेश जाने की तैयारी हो गई थी कि तभी एक दिन वह यूनिवर्सिटी अपने डॉक्यूमेंट कलेक्ट करने आई

जाते समय उसकी नजर मनु गई और वह जानकर मनु के पास आई।

"और मानसी सक्सेना व्हाट्स गोइंग ऑन..?" रिया ने कहा।

" एवरी थिंग इज फाइन मैम और मैं भी ठीक हूं। आप बताइए। आप का रिजल्ट आ गया होगा कैसा रहा?" मानसी ने बातचीत आगे बढ़ाई।

" एकदम बढ़िया और अब मैं स्टडी के लिए फॉरेन जा रही हूं।" रिया नखरे से बोली।

"यह तो बड़ी अच्छी बात है!" मानसी ने कहा।

"अच्छी बात तो है। वैसे मैं जाना तो नहीं चाहती थी क्योंकि मुझे नील और तुम्हें लेकर हमेशा टेंशन ही रहती है। पर मैं जानती हूं कि तुम इतनी गिरी हुई लड़की नहीं हो कि मेरे जाते ही मेरे बॉयफ्रेंड पर डोरे डालो।" रिया बोली तो मानसी का चेहरा तमतमा गया।

"आप कहना क्या चाहती है।क्यों बिना मतलब के इल्जाम लगाती रहती है। मैंने पहले भी कहा ना आपसे, मुझे आपसे और आपके बॉयफ्रेंड से कोई लेना देना नहीं है।" मानसी ने गुस्से से कहा।

" यह तो मैं नहीं मान सकती कि तुम्हें कोई लेना देना नहीं है..!तुम्हारी नजर हमेशा से नील पर रहती है और हो भी क्यो न वो हेंड्सम् है गुड लुकिंग है और हॉट भी।" रिया बोली।

" व्हाट एवर..!" मनु बोली।

"पर अब तुम जान गई हो कि मेरा और नील का रिश्ता कितना गहरा है... वह किस तो सिर्फ इस कॉलेज के सामने हुई थी बाकी मैं और नील इतने करीब आ चुके हैं जितना तुम सोच भी नहीं सकत मैं फॉरेन जा रही हूं तो उससे पहले नील एक ऐसी याद चाहता था च जिसे वह मुझे हमेशा मिस करता रहे।" रिया बोली तो मनु को दिल चिरता हुआ सा महसूस हुआ।

"हम दोनों को किस करते तो तुम देख ही चुकी हो बाकी किसी से कहना मत प्लीज तुम फ्रेंड हो तो बता रही हूँ। हम दोनों कई रातें एक साथ गुजार चुके हैं। उसकी पीठ पर एक तिल है जिससे वो बेहद हॉट लगता है!" रिया ने धीमे से मानसी के काम में कहा तो मानसी का चेहरा लाल हो गया और आंखें भर आई।

दर्द को उसने अंदर ही अंदर समेट लिया।

"बहुत अच्छी बात है मैडम...! आप लोगों प्यार करते हैं ना एक दूजे को तो चाहे जितनी मर्जी आगे बढिये मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता है। और मुझे वैसे तो यह सब शादी के पहले पसंद भी नहीं है। भले मेरे मां-बाप नहीं है पर मेरे अंकल आंटी ने मुझे संस्कार दिये है और शादी से पहले जो लड़का लड़की ये सब करे मेरी नजर में कोई इज्जत नहीं है। आप तो पहले ही गिरी हुई थी मेरी नजर में आज नील भी बुरी तरह गिर गया।" मानसी बोली।

" ओह्ह कम ऑन मानसी.. ऐसी बाबा आदम के जमाने की बातें मत किया करो। और हां नील ने तो मना किया था। वह नहीं चाहता था कि कोई हम दोनों के बारे में कोई भी जाने पर फिर भी मेरा मन नहीं माना और तुम्हें बता दिया। इसका कारण एक यह भी है कि अब तो तुम जान गई हो कि हम दोनों का रिश्ता कितना गहरा है तो कम से कम तुम मेरे यहां रहने का फायदा नहीं उठाओगी और वैसे भी तुमने अभी खुद ही कहा ना कि तुम्हें ऐसे लड़के लड़कियां पसंद नही। और तुम्हारे संस्कार ऊँचे है। तो अब मैं श्योर् हूँ कि तुम उस लड़के में बिल्कुल भी इंटरेस्ट नहीं दिखाओगे जो किसी और लड़की के साथ एक बार नहीं न जाने कितनी बार फिजिकल हो चुका है।" रिया धूर्तता और बेशर्मी से बोली।

"आप निश्चिंत रहिए रिया मैडम...! मुझे वैसे भी आपके बॉयफ्रेंड में कोई इंटरेस्ट नहीं था और अब आपको मैं बता दूं कि अगर नील इस दुनिया का सबसे आखरी लड़का होगा ना तब भी मैं उससे शादी नहीं करूंगी और ना ही कोई रिश्ता रखूंगी। आगे आप खुद समझदार हो।" मानसी बोली और चली गई

उसी समय नील वहां से गुजरा। सारी बातें तो उसने नही सुनी थी पर मानसी का कहना कि नील आखिरी लड़का होगा तब भी वह नील से शादी नही करेगी और ना ही कोई रिश्ता रखेगी।

मनु के मुंह से यह बात सुनकर नील को भी ना जाने क्यों तकलीफ हुई पर उसने अपना सिर झटक दिया।

"ठीक है तुम्हें मुझसे कोई रिश्ता नहीं करना तो मैं भी मरा नहीं जा रहा तुम्हारे साथ रिश्ता रखने के लिए..! तुम अपनी लाइफ में खुश रहो। मैं अपनी लाइफ में खुश रहूंगा। जो हमारी डेस्टिनी होगी वह मुझे मंजूर है।" नील बोला और ऑफिस की तरफ चल दिया उसको भी अपने डॉक्यूमेंट लेने थे क्योंकि उसका भी अब इस यूनिवर्सिटी में कोई काम नहीं था और उसने तय कर लिया था कि वकालत की प्रैक्टिस करेगा और साथ ही साथ कॉन्पिटिटिव एग्जाम की तैयारी करेगा।

**********

रिया विदेश जा चुकी थी और जाते-जाते उसने नील और मनु के बीच एक ऐसी खाई बना दी थी जो शायद कभी नहीं भरने वाली थी,

अक्षत भी अपना लो होने के बाद वकालत की प्रैक्टिस के साथ-साथ जज के एग्जाम की तैयारी करने में लग गया था पर उसका मनु को रोज कॉलेज लाना और छोड़ना अभी भी अनवरत जारी था।

मनु को लेने और छोड़ने के बहाने वह सांझ को भी देख लेता था।

उस दिवाली के पहले वाली मुलाकात के बाद उसने कभी कोशिश नहीं की सांझ से मुलाकात करने की या किसी भी तरीके की बात करने की। क्योंकि वह नहीं चाहता था कि सांझ किसी भी तरीके से असहज हो।

सांझ भी अपनी पढाई लिखाई में डूब गई थी बस दोनों ही एक दूजे को देख आँखों की प्यास बुझा लेते थे।

न सांझ समझती थी कि अक्षत उसे चाहता है और सिर्फ उसे देखने आता है और न अक्षत जानता था कि सांझ के दिल मे उसके लिए गहरे एहसास है।

समय अपनी रफ्तार से बढ़ रहा था और साथ-साथ बढ़ रहे थे सब लोग अपने अपने लक्ष्य की तरफ।

*वर्तमान में*

फ्लैश बैक खत्म।

उस दिन जब सांझ को अक्षत ने बचाया और कहा कि सांझ उसकी है।

सांझ ने आंखें खोली और अतीत की यादों से बाहर आई।

हमेशा से मुझे ऐसा लगता था कि आप मुझे पसंद करते हो पर मैं कभी समझ नहीं पाई क्योकि खुद पर और अपनी किस्मत पर विश्वास नही है मुझे।

शालू हमेशा कहती थी कि आप मेरे लिए आते हो पर मैने हमेशा इस बात को इग्नोर किया क्योंकि मुझे लगता था कि मेरे जैसी एवरेज लड़की में आप क्यों इंट्रेस्ट लोगे।" सांझ खुद से बोली।

और फिर उठकर खिड़की मे खड़ी हो गई।

बारिस अब भी हो रही थी।
सांझ ने आँखे बन्द की और अक्षत के साथ बीते पल याद करने लगी।

"हिम्मत कैसे हुई तेरी मेरी सांझ के साथ बदतमीजी करने की।" अक्षत ने कहा और उन दोनों को मारने लगा।

सांझ के कानों में बस अक्षत के कहे शब्द गूंज रहे थे " मेरी सांझ "

" हाउ डेयर यू टू टच माय गर्ल।" अक्षत गुस्से से बोला और उसी के साथ दोनों लड़के सड़क पर पड़े कराह रहे थे

आज जो आपने अपने मुंह से कहा उन गुंडों को मारते हुए कि मैं आपकी हूँ। इसका मतलब आप मुझे अपना मानते हो। आप मेरी केयर करते हो तभी तो आप मेरे पीछे-पीछे शालू के घर तक आये। आपने अपने मुंह से अपनी मोहब्बत का इजहार नहीं किया आपने नहीं कहा कि आप मुझे प्यार करते हो। आपने मुझे आई लव यू नहीं कहा पर आज के आपके शब्दो ने आपके दिल की हर एक बात को बयां कर दिया है और अब मुझे भी बेसब्री से इंतजार है उस दिन जब आप मुझे अपने दिल का हाल बताओगे वो भी एकदम अपने अंदाज में।

और तब मै भी आपको बताऊंगी आपको कि हाँ मै भी सिर्फ और सिर्फ आपको मोहब्बत करती हूँ। वो भी सालों से। शायद उसी दिन से जब पहली बार आपको देखा था।" सांझ आंखें बंद कर बिस्तर पर लेट गई।

आंखों के आगे बार-बार अक्षत का चेहरा चला आ रहा था।

"आई लव यू...! आई लव यू..! लव यू सो मच ..!! और जैसा नेहा दीदी ने कहा मुझे किसी से कोई मतलब नहीं रखना है। बस मेरा भी फाइनल ईयर है और इसके साथ ही में जॉब ढूंढ लूंगी और फिर कभी गांव वापस नहीं जाऊंगी। आपके साथ यही रहूँगी। आपकी और मेरी जिंदगी कितनी खूबसूरत होगी।" सांझ ना जाने कितने सपने अपनी जागती आंखों से अक्षत के साथ जिंदगी बिताने के देख रही थी।

उधर नेहा का एमबीबीएस कंप्लीट हो चुका था और इंटर्नशिप चल रहा था जो कि अगले महीने में खत्म होने वाला था। उसके साथ साथ ही आनंद का भी एमबीबीएस कंप्लीट हो चुका था और आनंद ने आगे की स्टडी के लिए पेरिस जाने का तय कर लिया था क्योंकि उसकी मम्मी पेरिस में शिफ्ट हो गई थी, जहां उनके और बाकी रिश्तेदार थे और वहां पर उन्होंने वहां के हॉस्पिटल में काम करना शुरू कर दिया था। और वह चाहती थी कि अब आनंद पोस्ट ग्रेजुएशन पेरिस में ही करें और हमेशा वही रहे।

इन सालों में आनंद और नेहा का रिश्ता बेहद गहरा हो गया था। और अब दोनों एक दूसरे के बिना जिंदगी जीने की कल्पना भी नहीं कर सकते थे। उन दोनों ने ही प्यार का इजहार कर लिया था और अपने आने वाले फ्यूचर के लिए अनिगिनित खूबसूरत सपने देख लिए थे।
और बस अब नेहा को इंतजार था कि उसकी इंटर्नशिप खत्म हो और वह जाकर अवतार से अपने और आनंद के रिश्ते की बात करें और फिर उनकी जिंदगी में सब कुछ सही होता चला जाए।

शालू और ईशान के रिश्ते के बारे में दोनों परिवारों को पता था और दोनों ही परिवारों में किसी को भी इस बात से कोई आपत्ति नहीं थी। उन्होंने खुशी खुशी शालू और ईशान की सगाई करवा दी।

और अब शालू और ईशान भी निश्चिंत थे।

सौरभ का मास कम्युनिकेशन का कोर्स पूरा हो चुका था और उसने दिल्ली के एक जाने माने न्यूज़ चैनल में जॉब शुरू कर दी थी।

अव्या की में आ गई थी और उसकी भी मेडिकल मे जाने की इच्छा थी तो वो तैयारी में लग गई और एग्जाम के बाद वो तैयारी करने सौरभ के पास दिल्ली आने वाली थी।।

नियति और सार्थक का प्यार भी समय के साथ गहरा हो गया था और अब नियति का ग्रेजुएशन हो चुका था और जैसे तैसे उसने परमिशन लेकर पोस्ट ग्रेजुएशन भी शहर से करने का तय कर लिया था ताकि उसका और सार्थक का मिलना जारी रहे।

हालांकि नियत जानती थी कि उसके और सार्थक के रिश्ते को कोई भी स्वीकार नहीं करेगा पर जब उसने इस रास्ते पर कदम बड़ा ही दिया था तो उसने विद्रोह करने का मन बना लिया था।।

अब यह विद्रोह उसकी जिंदगी में उसकी जिंदगी और उसके साथ-साथ बाकी की जिंदगियों में क्या बदलाव लाएगा यह तो वक्त ही जानता था

अगले कुछ पार्ट कहानी का पुरा रुख बदल देंगे तो तो आगे क्या मोड लेगी इन सब की जिंदगी और कैसे प्रभावित होगा कुछ लोगों के कारण दूसरे लोगों का जीवन।

जानने के लिए बने रहिए मेरे साथ।

क्रमश:

डॉ. शैलजा श्रीवास्तव।

प्लीज फॉलो कीजिये और कमेंट कीजिये 🙏🙏