रेलवे
मैं रेलवे में उस समय बुकिंग क्लर्क था।मेरी सर्विस के वे शुरुआत के साल थे।1974 कि रेलवे की हड़ताल को मैं देख चुका था।
आपातकाल मे रेलवे मे भी भय का माहौल था।हर पल छापे पड़ते रहते थे। विजिलेंस व अन्य एजेंसीय वाले घर भी पहुंच कर पत्नी से जानकारी करते कि पति घर कितने पैसे लाता है।
स्टेशन पर नजर आने वाला हर अजनबी या परिचित कोई खुफिया विभाग का लगता।हर समय डर पसरा रहता।चाहे घर पर ही या ड्यूटी पर।
हर पल सतर्क ओर सावधान रहकर काम करना पड़ता था।पत्नी भी चिंतित रहती।
मैं आगरा में था इसलिए आगरा जम के हालात
एम जी रॉड के दोनों तरफ के मकान तोड़े गए और रोड़ को चौड़ा किया गया।।संजय गांधी के साथ अक्सर नारायण दत्त तिवारी साथ रहते थे।जबरदस्ती लोगो की नसबंदी की जा रही थी।अखबारों पर तो सेंसर शिप थी।समाचारों पर बेन था।वो ही समाचार छपते जो सरकार चाहती थी।
किशोर कुमार के गीत रेडियो पर बन्द हो गए थे।सभी प्रतिपक्ष के नेता जेल में बंद कद दिए गए थे।इनमे आडवाणी,वाजपेयी जैसे तो थे ही कांग्रेस के चन्द्रशेखर जैसे भी थे।
अखबारों के संपादकीय खाली रह गए थे।
आपातकाल के जुल्म,अत्याचार व ज्यादती से पहले एक बात और
लोगो मे डर की वजह या आप जो भी समझे।कानून व्यस्था में सुधार हुआ।लोग जागरूक हुए।सब काम नियम से होने लगे।लोग नियम का पालन करने लगे।एक अनुशासन की भावना लोगो के मन मे जाग्रत हुई।
दिल्ली का तुर्कमान गेट का भी मामला उछला।जिस तरह इंद्रा गांधी ने जबरदस्ती सत्ता हथिया कर आपातकाल लगया था।वैसे ही संजय गांधी मात्र एक सांसद थे लेकिन सत्ता चला रहे थे।और कंगरेस के पूराने,वरिष्ठ नेता जैसे
नारायण दत्त तिवारी, विधा चरण शुक्ल आदि संजय गांधी की चाटुकारिता में लगें हुए थे।उनकी ऐयासी के भी किस्से हवा में तैर रहे थे।उनमें कितनी सच्चाई थी।इसका मुझे पता नही।संजय गांधी की मेनका से किस तरह शादी हुई।यह भी किस्सा खूब लोगो के बीच चर्चा में रहा।
पूरे देश मे आपातकाल में ख़ौफ़ था।मीडिया पर सेंसरशिप थी इसलिए मीडिया भी जो सत्कार चाहती वो ही दिख रहा था।लोग कुछ बातों से खुश थे तो दुखी भी थे।लेकिन सुख दुख व्यक्त नही कर पा रहे थे।
आपात काल भी स्थायी नही रह सकता था।भारत मे मीडिया पर बेन था लेकिन विदेशी मीडिया पर तो रोक नही थी।और ये दौर 18 महीने चला।18 महीने बाद आपातकाल हटा।लोगो ने राहत की सांस ली।जेलों में बन्द नेताओ और अन्य लोगो को छोड़ा गया।
और चुनाव की भी घोषणा हो गयी।
चुनाव से पहले जनता पार्टी का जन्म हुआ।जनसंघ,स्वतंत्र पार्टी,समाजवादी आदि अनेक दलों का विलय होकर जनता पार्टी बनी थी।इस पार्टी से कॉन्ग्रेस के चन्द्र शेखर,जगजीवन राम,मोरारजी देसाई जैसे दिग्गज भी शामिल हुए थे।
चन्द्र शेखर जो युवा तुर्क के नाम से मशहूर थे उनकी रैली आगरा फोर्ट स्टेशन के पीछे हुई थी।जबरदस्त भीड़ थी।
इंद्रा गांधी की रैली राम लीला ग्राउंड में हुई थी।उसके लिए भीड़ जुटानी पड़ी थी।पूरे देश मे कांग्रेस के खिलाफ माहौल था।इसका नतीजा यह हुआ कि उत्तर भारत से कांग्रेस का पूरी तरह सफाया हो गया।खुद इंद्रा गांधी और संजय गांधी भी चुनाव हार गए थे।
जनता पार्टी सत्ता में आई और मोरारजी देसाई प्रधान मंत्री बने थे।