Bunch of Stories - 8 - महिला सशक्तिकरण (उपहास) Devaki Ďěvjěěţ Singh द्वारा प्रेरक कथा में हिंदी पीडीएफ

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Bunch of Stories - 8 - महिला सशक्तिकरण (उपहास)

नंदिनी और राघव की शादी को 5 साल हो गए थे।
बहुत मन्नत और कोशिशों के बाद उनके घर खुशियों की किलकारी गुंजी।

5 साल के लंबे इंतजार के बाद उनकी बेटी मन्नत का जन्म हुआ।
मन्नत बहुत ही सुन्दर, नटखट थी।
जैसे जैसे बड़ी होती गयी उसकी सुंदरता में निखार आता गया।
पढ़ाई में, पेंटिंग, खेलकूद में भी बहुत तेज थी।
वह माता-पिता की बहुत लाडली थी।

जब वह 13 साल की हुई की हुई। तभी से उसे मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जाने लगा।
कभी उसके वक्ष को छूना ,कभी उसके अंगों को सहलाना ।
पहले तो उसे इस bad touch का ज्ञान नहीं था।
लेकिन जब समझ आया तो उसने विरोध करना शुरू किया।
विरोध करने पर उसे मारना पीटना ।अपने शरीर के अत्याचार को रोकने के लिए उसने मार खाना भी सहन कर लिया ।

पर पुरुष हैं वो इतनी आसानी से उसे कैसे छोड देता अब उसने अपनी हीन भावना को शांत करने के लिए अपनी ही बेटी को सेक्स के लिए मजबूर करने के लिए उसकी माँ के साथ भी बुरा बर्ताव करना शुरू कर दिया उसे भी बिना बात के मारता पीटता ।


मन्नत अपनी माँ से बहुत प्यार करती थी। पर पिता ने उसे धमकी दी थी कि अगर उसने किसी को भी कुछ बताया तो वह उसकी माँ को जान से मार देगा। इसलिए वह माँ से अपार प्रेम के कारण झुक जाती थी।


वह अंदर से बहुत दुखी हो गई थी। उसने खुश रहना छोड दिया,उसकी पढ़ाई पर भी इस स्थिति का बहुत बुरा असर पड़ने लगा। उसके स्कूल से शिकायत आने लगी ।

टीचर भी हैरान थे, कि इतनी ब्रिलीयनट स्टूडेंट के साथ ऐसा क्या हो गया जो वह इतनी चुपचाप रहने लगी l


मन्नत की पढ़ाई का स्तर गिरने लगा वह अपने साथ हो रहे अत्याचार के बारे मे किसी से कुछ नहीं बताती।


उसकी टीचर ने माँ को स्कूल बुलाकर उनसे बात की पर किसी को कारण का कुछ पता नहीं चला रहा था।

नंदिनी अपने पति से कुछ कहती तो कह देता, क्या करना है शादी करके दूसरे के घर ही तो जाना हैं और खाना पकाना है ,कुछ भी उल् जलूल बातें करके नंदिनी को चुप करा देता।

मन्नत से कुछ भी बोलने को मना कर देता।

मन्नत यह सब 2 सालों से झेल रही थी। एकदिन उनके विद्यालय में एक नई टीचर आयी सेमीनार के लिए ।
वैसे आजकल तो बहुत से विधालय में ल़डकियों के लिए स्पेशल लेक्चर रखे जाते हैं । इन लेक्चर में उन्हें माहवारी , सेक्स,स्ट्रेस जैसे विषयों पर जानकारी दी जाती हैं, मेंटली डिस्टर्ब बच्चों की काउंसलिंग भी की जाती हैं।

इस काउंसलिंग में मन्नत भी शामिल थी।
मन्नत की काउंसलिंग में टीचर के सामने जो बातें आई उसने टीचर को हिला कर रख दिया कि वह एक सेक्सुअली अबयूजड चाइल्ड है।

उस टीचर ने प्रिन्सिपल से बात कर जो की खुद एक महिला थी,उसकी मां को स्कूल बुलाया और उनसे बात की, पता चला कि उसकी मां इन सब बातों से बिल्कुल अनभिज्ञ थी। टीचर की बातें सुन कर तो उसके पैरों तले जमीन खिसक गयी, काटो तो जैसे खून नहीं।

हमारी कुछ बेटियां अपने घर में ही सुरक्षित नहीं हैं।
अत्याचार सहना उन्होंने बचपन से ही सीख लिया।
महिलाएं समाज में बदनामी के डर से मुह ही नहीं खोलती।
उन्हें समाज में इज़्ज़त का वास्ता देकर उनका मुहं बंद करा दिया जाता है।
कुछ इस तरह ही मगरमच्छ के आंसू दिखाकर उसके पिता ने मन्नत को मुहं खोलने से रोक लिया था ।

इस तरह के पिता दूसरे पिता पर भी उंगली उठाने को मजबूर कर देते हैं।
हमारे समाज में बहुत से रिश्तेदारों में से भी कई लोग ऐसी नीच हरकत करते हैं।

इनसे हम महिला सशक्तिकरण की क्या उम्मीद करें। जो अपनी कामुक इच्छाओं को काबु नहीं रख सकते। पिता पुत्री के अनमोल,पवित्र रिश्ते को कलंकित करने से भी नहीं हिचकिचाते ।

प्रधानाध्यापिका ने दोनों माता-पिता को स्कूल बुलाकर उनसे बात की।
पिता यहाँ पर रोने गिड़गिड़ाने लगा इसलिए बात पुलिस तक नहीं पहुंची। बाद में पिता पुत्री दोनों की काउंसलिंग की गयी। कम से कम 3 महीने काउंसलिंग चली।

बाहर से देखने में तो अब सब कुछ समान्य लगता है। मन्नत का परिवार अब दूसरे राज्य में जाकर रहने लगा। मन्नत की पढ़ाई अच्छी चल रही हैं वह बड़ी होकर पायलट बनना चाहती हैं। तथा पढ़ाई के साथ-साथ छोटे-छोटे बच्चों को ट्यूशन भी देती हैं।

प्रधानाध्यापिका की कोशिश से मन्नत के जीवन में दुबारा खुशियां रंग लाई। अब मन्नत की माँ उसे उसके पिता के साथ एक पल के लिए भी अकेला नहीं छोड़ती है l


हम महिला सशक्तिकरण की बात करते हैं पर कुछ बेटियां अपने परिवार के बीच ही सुरक्षित नहीं हैं l