साथिया - 20 डॉ. शैलजा श्रीवास्तव द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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साथिया - 20

रिया के जाने के बाद नील ने चारों तरफ नजर दौड़ाई पर उसे मानसी कहीं पर दिखाई नहीं दी।

" थैंक गॉड के मनु यहां पर नहीं थी..! आज रिया ने जो हरकत कि मुझे बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि वह ऐसा कुछ करेगी। अगर मानसी ने देख लिया होता तो ना जाने क्या सोचती?" नील सोचते हुए चला जा रहा था। अचानक से रुक गया।

"पर मुझे इतना फर्क क्यो पड़ रहा है मनु के देखने या ना देखने से? देख भी लेती तो क्या फर्क पड़ता ? बाकी सब ने भी तो देखा देखा? यह शायद रिया सही कहती है मुझे फर्क पड़ता है मानसी से। उसकी हर बात से...! उसके देखने ना देखने से...! उसकी तकलीफ से उसकी खुशी से..! हीं समझ पाया मैं पर रिया ने समझ लिया था।" नील खुद से बोला।

"हां यही सही है मुझे फर्क पड़ता है और रिया मेरे साथ रहती है इसलिए उसे समझ में आ गया कि मुझे मानसी की हर बात से फर्क पड़ता है। मेरा ध्यान मानसी कि हर एक्टिविटी पर रहता है। जिस तरीके से मुझे फर्क पड़ता है मानसी की हर बात से उसकी हर एक्टिविटी से क्या मानसी को भी फर्क पड़ता है? क्या उसकी नजर भी मुझ पर रहती है?" नील ने खुद से सवाल किया।



"नहीं नहीं वह तो मुझे सिर्फ अक्षत का दोस्त समझती है, और हां रिया का बॉयफ्रेंड भी और फिर उसे क्यों फर्क पड़ेगा मेरी किसी भी बात से, वह बहुत पहले से ही एक गलतफहमी पाले हुए हैं कि मैं और रिया रिलेशनशिप में है, ना जाने कितने लोगों को यही लगता है तो मानसी को भी तो लगेगा ही ना। जब खुद रिया को गलतफहमी है और साथ ही साथ उसके बाकी दोस्तो को भी ,मुझसे भी गलती हुई मुझे इतना ज्यादा दोस्ती नहीं रखना चाहिए थी रिया से पता नहीं मनु मेरे बारे में क्या-क्या सोचती होगी? नील सोच रहा था।

" यार अभी मुझे इन सब बातों के बारे में नहीं सोचना है, एग्जाम सर पर है अभि सिर्फ और सिर्फ मुझे पढ़ाई करनी है एक बार यह फंक्शन खत्म हो उसके बाद मैं यूनिवर्सिटी आना ही बंद कर दूंगा और पूरा ध्यान अपनी स्टडी पर लगाऊंगा मुझे हर हाल में अच्छे ग्रेड चाहिए ही चाहिए। "नील ने खुद से ही कहा और फिर सेमिनार हॉल की तरफ बढ़ गया जहां पर आज का प्रोग्राम होना था।

अक्षत भी गाड़ी पार्क करके सेमिनार हॉल में आ गया, इस बीच रिया और नील के बीच क्या हुआ इस बात से अक्षत बिल्कुल अनजान था वह भी आकर नील के पास बैठ गया और प्रोग्राम शुरू होने का इंतजार करने लगा।

कुछ देर में प्रोग्राम शुरू हुआ, जहां चीफ गेस्ट ने दीप प्रज्वलित किया और उसी के साथ सामने का पर्दा उठा और सबकी नजर वहां पर गई, वहां सांझ बैठी हुई थी अपने गिटार के साथ सांझ को देखते ही अक्षत के दिल की धड़कने फिर से बेकाबू हो गई।

सांझ की पतली पतली लंबी उंगलियां गिटार पर चली और उसी के साथ उसके होठों से मधुर आवाज में सरस्वती वंदना गूंज उठी।

अक्षत को आज पहली बार पता चला थाकि सांझ इतना खूबसूरत गाती।
अक्षत के साथ साथ पूरा हॉल सांझ की उस खूबसूरत और कुछ अलग सी आवाज में डूब गया।।

हे वीणा वादिनी सरस्वती,
हंस वाहिनी सरस्वती |
विद्या दायिनी सरस्वती,
नारायणी नमोस्तुते ||

तू राह दिखाना मात मेरी,
साथ निभाना मात मेरी |
अँधियारा है अंतर मन,
ज्योत जलना मात मेरी,
ज्योत जलना मात मेरी |

वंदना खत्म हुई और पूरा हॉल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा।

अक्षत सांझ की आवाज के सम्मोहन से वापस आया, सांझ की आवाज़ उसके कानों के रास्ते उसके दिल में हमेशा हमेशा के लिए समा गई थी,

"कितनी खूबसूरत और प्यारी आवाज है, एकदम अलग सी इस आवाज़ को मैं हजारों की भीड़ में भी पहचान सकता हूं, मुझे तो पता ही नहीं था कि इस मासूम चेहरे के पीछे इतनी प्यारी और मासूम आवाज़ भी है।" अक्षत ने अपने मन ही मन कहा और उसकी नजरें वापस से सांझ की तरफ चली गई जो कि हाथ जोड़कर सबका अभिवादन कर रही थी और फिर अपना गिटार लेकर बैकस्टेज चली गईं।



सरस्वती वंदना के साथ ही साथ ही प्रोग्राम शुरू हो गया जहां पर चीफ गेस्ट और यूनिवर्सिटी के फैकल्टी मेंबर्स की स्पीच के बाद एक-एक करके स्टूडेंट की परफॉर्मेंस शुरू हो गई।

किसी ने खूबसूरत डांस किया तो किसी ने खूबसूरत गाना गाया, किसी ने कोई और प्रेजेंटेशन भी तो किसी ने कुछ और।

अक्षत अब बोर होने लगा था तो उसने नील की तरफ देखा।

" मुझे लगता है अब हमें चलना चाहिए....!! बहुत टाइम हो गया है वैसे भी स्टडी करनी है! जितना प्रोग्राम होना था हो गया!" अक्षत बोला।

" और मनु?" नील ने सवाल किया।

" उसको मेसेज कर दीया है और आज वापस वो अपनी फ्रेंड्स के साथ आयेगी। " अक्षत ने कहा।

"ठीक है जैसी तेरी मर्जी!" नील बोला और उठ खड़ा हुआ कि तभी एंकर ने अनाउंसमेंट किया।

"अब आपके सामने आ रही है नर्सिंग की फर्स्ट ईयर की स्टूडेंट सांझ सिंह जो कि अपने खूबसूरत डांस के साथ अपनी प्रस्तुति आप लोगों के सामने देंगी!"
और अक्षत के जाते हुए कदम रुक गए।

"चल ना क्या हुआ? " नील ने कहा।

" बस ये परफॉर्मेंस देख कर फिर चलते हैं।" अक्षत बोला तो नील ने आंखें छोटी कर उसे देखा बदले में अक्षत मुस्कुरा उठा,

" बस एक लास्ट परफॉर्मेंस। " अक्षत ने कहा तो नील भी मुस्कुरा कर उसके पास बैठ गया, उसे भी तो जानना था कि उसका दोस्त जो अभी जाने वाला था और किसी के लिए इस तरह नहीं रुकता वह अचानक से क्यों रुक गया? कौन है वह लड़की जिसे देखने के लिए अक्षत रुका है।

कुछ ही देर में खूबसूरत सा पिंक लहंगा चोली पहने और उसके ऊपर ग्रीन कलर का दुपट्टा ओढ़े सांझ स्टेज पर आ गई। म्यूजिक शुरू हुआ और उसी के साथ सांझ का डांस शुरू हो गया।

अक्षत के तो मानो होश ही उड़ गए, सांझ की मासूम खूबसूरती और और सलीकेदार डांस को देखकर।


मधुबन में जो कन्हैया किसी गोपी से मिले,
कभी मुस्काये कभी छेड़े कभी बात करे,
राधा कैसे न जले, राधा कैसे न जले,
आग तनमन में लगे ।
राधा कैसे न जले,
राधा कैसे न जले…
सांझ ने आंखों को गोल घुमा कर जैसे ही शिकायती अंदाज से डांस शुरू किया अक्षत के चेहरे पर क्यूट सी मुस्कुराहट आ गई


"तुम ही नहीं समझती हो कि तुम मेरी राधा हो, मैं भी किसी से बात करूं न करूं पर सिर्फ और सिर्फ तुम्हारा हूं और जिस दिन तुम यह बात तुम समझ जाओगे उस दिन तुम्हें किसी से जलन नहीं होगी!" अक्षत ने मन ही मन कहा।



गोपियाँ तारे हैं चाँद है राधा,
फिर क्यों है उसको बिसवास आधा
कान्हा जी का जो सदा इधर उधर ध्यान रहे,
राधा बेचारी को फिर अपने पे क्या मान रहे,
गोपियाँ आनी जानी हैं,
राधा तो मन की रानी है,
साँझ सखारे जमुना किनारे,
राधा राधा ही कान्हा पुकारे,
ओये होए ओये होए,
बाहों के हार जो डाले कोई कान्हा के गले ।

राधा कैसे न जले, राधा कैसे न जले,
आग तनमन में लगे ।
राधा कैसे न जले,
राधा कैसे न जले…

मन में है राधे को कान्हा जो बसाये,
तो कान्हा काहे को उसे न बताए,
प्रेम की अपनी अलग बोली अलग भासा है,
बात नैनों से हो कान्हा की यही आसा है,
कान्हा के ये जो नैना हैं,
जिनमें गोपियों के चैना हैं,
मिली नजरिया हुई बावरिया,
गोरी गोरी सी कोई गुजरिया,
कान्हा का प्यार किसी गोपी के मन में जो पले ।

राधा कैसे न जले, राधा कैसे न जले,
आग तनमन में लगे ।
राधा कैसे न जले,
राधा कैसे न जले…


"और कितनी खूबियां है तुम्हारे अंदर? ना जाने कब तक पता चलेंगी मुझे और अब तो यूनिवर्सिटी भी नहीं आया करूंगा सिर्फ तुम्हें देख पाया करूंगा, तुम्हारे बारे में जानने में तभी बहुत टाइम लगेगा मुझे। " अक्षत ने डांस खत्म होते ही मन ही मन कहा और फिर नील के साथ उठकर बाहर निकल गया।

उन दोनों के फाइनल एग्जाम थे तो उन्हें तैयारी करनी थी।


रिया इस प्रोग्राम में नहीं आई थी वह बेहद नाराज थी और नील के इस तरीके के बात करने से बहुत ही ज्यादा अपसेट भी। वहां से निकलकर गार्डन एरिया में जाकर बैठ गई कि थी तभी निखिल उसके पास आकर बैठ गया।

" क्या हुआ आखिर उसने आज तुम्हारी भी बेज्जती कर ही दी ?" निखिल बोला।

" तुम अपने काम से काम रखो समझे, हम लोगों के बीच में पड़ने की जरूरत नहीं है।" रिया ने कहा।


"मैं तो दोस्त बनकर दोस्ती का हाथ बढ़ाने आया था पर जैसी तुम्हारी मर्जी!" निखिल बोला और उठ कर चला गया।

" जब जरूरत होगी तो तुमसे दोस्ती भी कर लूंगी पर अभी नहीं। मैं नहीं चाहती कि कुछ भी ऐसा हो कि नील मुझसे और भी ज्यादा चिढ़ जाए मुझे सही समय का इंतजार करना होगा और वैसे भी हम नील के फाइनल एग्जाम है और मेरा भी फाइनल हे। अभी मुझे भी दो साल के लिए ऑस्ट्रेलिया जाना है लौट के आ कर पापा से सीधा बात करूंगी और कहूंगी नील से शादी करनी है, फिर देखती हूं कि नील क्या करता है? मानसी की तो अब चिंता करने की मुझे जरूरत नहीं है क्योंकि आज मैंने मानसी को दिखाने के लिए ही नील को किस किया था और उसने देख लिया तो अब उसको अपने मन में पक्का यकीन हो गया होगा कि मेरे और नील के बीच में रिलेशनशिप है, तो वह अब नील को कभी घास नहीं डालेगी और फिर अब नील का भी कॉलेज आना बंद हो जाएगा तो टेंशन लेने की कोई जरूरत नहीं है।" रिया ने कुटिल मुस्कान के साथ कहा और फिर अपना बैग लेकर यूनिवर्सिटी से निकल गई।

वही मनु का पूरा दिन उदासी के साथ ही बीता, उसका बिल्कुल भी मन नहीं लग रहा था जब से उसने रिया और नील की वह को यू किस करते देखा, तो उसका दिल बेचैन हो गया था पर फिर उसने अपने दिमाग को झटका।

" अगर वह दोनों गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड है तो मुझे क्यों बुरा मानना? उन दोनों की आपस की बात है और उन लोगों के रिलेशनशिप के बीच में मुझे नहीं आना है इसलिए अब नील से दूर रहूंगी बिल्कुल भी बात बात नहीं करूंगी। "मनु ने मन ही मन सोचा।

थोडी देर बाद शालू और इशान का भी डांस परफॉर्मेंस हुआ और दोनों ने बहुत ही खूबसूरत डांस किया।

"कहा था ना मैने प्रेक्टिस कर लेंगे तो हमारा डांस अच्छा ही जाएगा।" शालू ने इशान के कंधे पर हाथ रख कर कहा।

"यह डांस इसलिए अच्छा नहीं गया कि हमने प्रेक्टिस कर ली थीं बल्कि इसलिए अच्छा हुआ क्योंकि हमने इसे फील किया था।" इशान ने उसकी आँखों में देख कुछ अलग जज्बात के साथ बोला तो शालू ने एक नजर उसे देखा और फिर नजर झुका कर वहां से जाने लगी पर अगले ही पल इशान ने उसका हाथ पकड़ लिया।

क्रमश:

डॉ. शैलजा श्रीवास्तव