The Author Devaki Ďěvjěěţ Singh फॉलो Current Read ऐसे बरसे सावन - 23 By Devaki Ďěvjěěţ Singh हिंदी प्रेम कथाएँ Share Facebook Twitter Whatsapp Featured Books नफ़रत-ए-इश्क - 6 अग्निहोत्री इंडस्ट्रीजआसमान को छू ती हुई एक बड़ी सी इमारत के... My Wife is Student ? - 23 स्वाति क्लास में आकर जल्दी से हिमांशु सर के नोट्स लिखने लगती... मोमल : डायरी की गहराई - 36 पिछले भाग में हम ने देखा की फीलिक्स ने वो सारी बातें सुन ली... यादों की अशर्फियाँ - 20 - राज सर का डिजिटल टीचिंग राज सर का डिजिटल टीचिंग सामाजिक विज्ञान से बोरिंग सब्जे... 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अभी - नहीं यार हो गया ..... फिर बात बदलकर मुस्कराते हुए चल यार दीपन, जल्दी से केक काट पहले ही काफी देर हो चुकी है... फिर सभी हाँ.. हाँ ..करने लगते हैं l दीपन केक कटिंग करता हैं .....सभी दोस्तों को केक खिलाता हैं तो कुछ मस्ती में एक दूसरे के चेहरे पर क्रीम लगा देते हैं और खूब सारी फोटो भी क्लिक करते हैं l दूसरी तरफ राहा सबसे पहले स्वरा को घर छोड़ती है ....स्वरा सभी को बाय, गुड नाइट बोलकर राहा से कहती हैं घर पहुंचने के बाद फोन करना l राहा सभी को उनके घर पर छोडकर अपने घर पहुंचने पर स्वरा को कॉल करती हैं कि वह सुरक्षित घर पहुंच चुकी हैं l रात में सोने से पहले स्वरा ड्रेस चेंज करने जाती हैं तो देखती है कि उसकी ड्रेस में कुछ फंसा हुआ है जब वह गौर से देखती हैं तो वह एक खूबसूरत सा ब्रेसलेट है जिसके ऊपर स्टाइलिस्ट तरीके से दो "A" और दोनों "A" के बीच मे "श्री राम " की प्रतिमा बनी हुई हैं ....जो कि देखने में बहुत ही सुंदर लगता है l वह सोचती हैं यह किसका हो सकता है कहीं यह उस बच्चे का तो नहीं....नहीं....नहीं,,यह उसका कैसे हो सकता है देखने में तो किसी बड़े इंसान का लगता है....तभी उसे ख्याल आता है कहीं ये उस अजनबी का तो नहीं जिसने मुझे गिरने से बचाया था l तभी उसे याद आता है कि जब वो उस अजनबी से अलग हुई थी तभी उसे अपनी ड्रेस में कुछ खिंचाव का ऐहसास हुआ था जैसे कुछ फंसा हो उस वक़्त वह जल्दबाजी में आगे बढ़ गयी थी .... हो न हो ये 100% उसी का है क्योंकि और तो वह किसी से नहीं टकराई थी l यह सोचकर वह बहुत ही खुश होती है कि यह ब्रेसलेट उस अजनबी का है जिसे उसने अपनी पहली नज़र में ही अपने कॉलेज में दिल दे दिया है जिसका की उसने अबतक चेहरा नहीं देखा है ....चलो उसकी कोई तो निशानी मिली हैं जो मुझे उसे ढूंढने में मदद करेगी l यह सब सोचते हुए वह खुशी से झूमने लगती है और अपने टेडीबियर को गले लगा लेती हैं और फिर उसे प्यार से किस करती हैं ..... फिर मुस्कुराती हैं..... और सोचती है.... यह प्यार भी क्या चीज़ है " न नाम का पता हैं न पहचान का पता हैं फिर भी ये दिल क्यों उसी के लिए तड़पता हैं जिसका न चेहरे का पता हैं ढूंढ़ू तो बस उन नयनों को छवि को ढूंढ़ू जो बस मेरे दिल के एक कोने में बसा है " वह अब प्रेममय होकर बस उस ब्रेसलेट को निहारे जा रही हैं बिना बात मुस्कुराये जा रही है तभी उसका फोन बजता हैं पर उसपर उसका ध्यान ही नहीं जाता जब 2,3 बार लगातार फोन बजता हैं तब वह अपने ख्यालों से बाहर आती है देखती हैं की अमूल का फोन है उसने वीडियो कॉल किया है साथ में कॉल पर राहा और अवनी भी हैं...सभी फोटोज और "फन एण्ड फूड प्लाजा " में किए हुए मस्ती के बारे मे बात करने में लगी हुई है पर स्वरा का ध्यान उस ब्रेसलेट और अजनबी की तरफ था l उसका ठंडा रिस्पांस देखकर.... अमूल ,क्यों स्वरा तेरा ध्यान कहां हैं कब से हमी बकर बकर किए जा रहें हैं एक तू हैं की कुछ बोल ही नहीं रही है l स्वरा बात को बदलते हुए - काफी थक गयी हूँ इसलिए नींद आ रही हैं....और 12 भी बज गए हैं तुम्हें नींद नहीं आ रही क्या l अवनी - नहीं, हमें नहीं आ रही है स्वरा - तो तुम लोग बातें करो....मैं तो सोने जा रही हूँ....ऐसा बोलकर वह कॉल डिस्कनेक्ट कर देती हैं.... .पर सच तो यह था की नींद उसे भी नहीं आ रही है.....वो तो बस अजनबी के ख्यालों में डूबना चाहती है l आगे जानने के लिए पढ़ते रहिए "ऐसे बरसे सावन " ll जय श्री राधे कृष्णा l ‹ पिछला प्रकरणऐसे बरसे सावन - 22 › अगला प्रकरण ऐसे बरसे सावन - 24 Download Our App