राजकुमारी शिवन्या - भाग 15 Mansi द्वारा पौराणिक कथा में हिंदी पीडीएफ

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राजकुमारी शिवन्या - भाग 15

भाग १५

अब तक आपने देखा की राजकुमारी महल वापिस आ गई थी , राजा रानी ने उन्हे आवाज दे कर बुलाया लेकिन वह उनकी बात बिना सुने कोई उत्तर दिए बगैर ही अपने कक्ष में चली गई, अब आगे की कहानी देखते है।

रानी निलंबा उनके पीछे पीछे कक्ष में गई वह राजकुमारी के कक्ष में पहुंच गई , रानी ने देखा की राजकुमारी बहुत क्रोधित लग रही थी ओर अपनी शेय्या में बैठी थी , रानी कक्ष के अंदर गई वह राजकुमारी शिवन्या के पास जाकर बैठी ओर राजकुमारी का मुंह उन्हों ने प्यार से अपनी ओर किया , शिवन्या ने कहा .... माता आप अभी चली जाए मुझे किसी से कोई वार्तालाप नही करना , रानी ने कहा भले आप किसी से बात न कीजिए परंतु में माता हु आपकी मुझे जानने का अवश्य अधिकार है की आप किस बात से इतना क्रोधित है , क्या कोई परेशानी है आपको?? रानी निलंबा ने पूछा।

राजकुमारी शिवन्या ने कहा माता कोई परेशानी तो नहीं लेकिन जब आज में अपना तलवार बाजी का अभ्यास करने हेतु पास ही के मैदान में गई तब वहा एक लड़का कबसे मुझे देखे जा रहा था , रानी ने कहा लड़का कोन था वो? राजकुमारी ने कहा माता वह बहुत ही बद्तमिज था मेरे सामने बहुत जबान चल रही थी उसकी आज तक किसी ने इतनी बद्तमिज़ तरीके से बात नही की थी , मुझे लगता है वह हमारे नगर का नही था इसलिए वह मेरे सामने बोले जा रहा था।

रानी निलंबा ने फिर पूछा अच्छा ये बताए केसा दिखता था कोई साधारण लड़का था या कोई राजकुमार?? उस पर शिवन्या कहती है पहनावे और दिखाव में तो कोई राजकुमार समान लग रहा था तब रानी कहती ये तो बहुत अच्छी बात है पुत्री क्या आपको वह पसंद आया शिवन्या ने कहा "माता माता माता आप शांत रहिए मेरे विवाह के पीछे ही पड़ गई आप तो" इतनी परेशान करती हु क्या आपको में , रानी कहती है ऐसा मत बोलिए पुत्री आप तो मेरे जिगर का टुकड़ा है पर विवाह भी तो जरूरी है ना।

राजकुमारी ने कहा ठीक है ठीक है समझ गई मे आपकी भावना वैसे में कह रही थी वह सिर्फ राजकुमार जैसा दिखता था पर मुझे राजकुमार लगा नही क्युकी अगर राजकुमार होता तो सैनिकों के साथ अपने रथ पर आता लेकिन वह तो अकेला अपने अश्व के साथ आया था। अगली बार मिला न तो उसका मुंह तोड़ दूंगी में न रहेगा मुंह न रहेगी उसकी जुबान, तब रानी निलंबा ने कहा नही पुत्री किसी के बारे में ऐसे नही बात जब आप उसे अच्छे नही जानते है ओर छोड़िए ये बात क्युकी कल तो आपको देखने एक राजकुमार आने वाला है, भूल जाइए उस लड़के को आप कल बहुत अच्छे से सज कर आना ताकि लड़का आपको एक नजर में देखते ही पसंद करले ।

शिवन्या ने कहा में क्यों सज सवर कर आऊ अगर वह राजकुमार मेरी खूबसूरती देख कर विवाह के लिए मानेगा तो वह मूर्ख होगा विवाह खूबसूरती देख कर नही होता है , अगर विवाह हेतु किसी को पसंद करना है तो उसकी सुंदरता पर नहीं स्वभाव और गुण देख कर पसंद किया जाता है और में जेसी हू वैसे ही वस्त्र पहन कर आऊंगी , रानी निलंबा कहती है "ठीक है ठीक है मेरी मां" आपको तो बोलना ही फिजूल है जैसा आपको ठीक लगे वैसे कीजिए फिर रानी वहा से चली गई।

समय कब निकल गया पता ही नही चला रात हो चुकी थी राजा रानी और राजकुमारी ने मिलकर भोजन कर लिया था फिर वह लोग बैठ कर बाते कर रहे थे, फिर राजकुमारी अपने बगीचे में टहलने चली गई उन्हे रात्रि में सोने से पूर्व खुली हवा में चलना पसंद था , वह बाहर चल ही रही थी की उन्हे महल के दरवाजे के पास एक घर के बाहर दो परछाई नजर आई उन्हे खुशफुसाने की आवाज आई रानी ने सोचा इतनी रात को कोन बाते कर रहा है वह सीधे अपनी कक्ष में गई वह उन्हों ने खिड़की से देखा दो आदमी उस घर के बाहर हथियार ले कर खड़े थे।

इस कहानी को यही तक रखते है दोस्तो , कहानी का अगला भाग जल्द आएगा।😊