वो बिल्ली - 1 Vaidehi Vaishnav द्वारा डरावनी कहानी में हिंदी पीडीएफ

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वो बिल्ली - 1

(भाग 1)

शोभना एक गृहणी हैं, जिसका लगभग सारा दिन घर के काम-काज में ही बीत जाया करता हैं । पति रघुनाथ की सरकारी नौकरी हैं, इसलिए सुबह 9 से शाम 6 बजे रोज ही घर से दफ्तर औऱ दफ्तर से घर तक का सफर तय करते हैं। दो बच्चे किटी औऱ गोलू हैं जिनकी दिनचर्या स्कूल, ट्यूशन औऱ टीवी तक सिमट कर रह जाती हैं।

इन सबकी रोजमर्रा की दिनचर्या में रविवार ही एक ऐसा दिन हुआ करता हैं जो कुछ अलग होता हैं । इसी दिन पूरा परिवार एक दूसरे के साथ मौज- मस्ती, सैर- सपाटा करता हैं ।

आज शनिवार हैं, बच्चे कल के लिए योजना बना रहे हैं । शोभना किचन में हैं। घड़ी में समय देखकर उसने चाय बनाने के लिए भगोने में गर्म पानी में चायपत्ती डाल दी। ताकि रघुनाथ को दफ्तर से आते ही गर्मागर्म चाय समय पर मिल जाए ।

शाम के 7 बज गए थे। शोभना चिंतित होकर रघु को कॉल कर रहीं थीं । पूरी रिंग जाने पर भी जब कॉल रिसीव नहीं हुआ तो उसकी चिंता औऱ बढ़ गई । उसने ऑफिस के नम्बर पर कॉल किया तो वहाँ से पता चला कि अभी मीटिंग चल रहीं हैं, सभी कर्मचारी मीटिंग में हैं।

माथे से पसीना पोछते हुए शोभना सोफे पर बैठकर पँखे की हवा लेने लगी। तभी डोरबेल बजी। शोभना ने दरवाजा खोला। सामने उदास औऱ थकावट से चूर रघु खड़ा था। शोभना ने उसके हाथ से बैग ले लिया औऱ कुछ न बोली । किचन में चलीं गई। उसे लगा मीटिंग के कारण आज अधिक समय हो जाने के कारण रघु थक गये होंगे।

शोभना चाय का प्याला रघु को देते हुए बोली...

आज तो तुम 7 बजे तक भी जब घर नहीं आए तो मैं घबरा गई थीं, औऱ तुमने फोन भी नहीं उठाया। शुक्र हैं ऑफिस का नम्बर था। वरना मेरी तो आज जान ही निकल जाती।

रघु-" जान तो अब निकलेगी शोभा " । मेरा ट्रांसफर हो गया हैं ।

शोभना (चौकते हुए) - तुमनें तो कहा था अब ट्रांसफर नहीं होगा । फिर अचानक कैसे कर दिया ?

रघुनाथ - अचानक ही तो सब चीज़े होतीं हैं । अब फिर से नया मकान देखों, घर शिफ्ट करो, बच्चों को नए स्कूल में दाखिला दिलवाओ । अब तो तंग आ गया हूँ, सोचता हूँ बिज़नेस ही कर लेता तो अच्छा होता।

अप्रैल महीने में ही निवाड़ी, (ओरछा) जाने की तैयारी करना पड़ेगी। शोभना यह खबर सुनकर उदास हो गई ।

दिन तेज़ी से बीतते गए औऱ वह दिन भी आ ही गया जब रघुनाथ का ट्रांसफर ओरछा हो गया औऱ उन्हें अप्रैल माह मे ओरछा शिफ़्ट होना पड़ा।

ऑनलाइन ही किराए का घर देख लिया था। इसलिए घर ढूंढने में इस बार कोई मशक्कत नहीं करना पड़ी। मकान मालिक स्टेशन पर ही रघुनाथ की प्रतीक्षा कर रहा था। वह रघुनाथ को स्टेशन से घर ले गया। घर को देखकर शोभना औऱ बच्चे खुश हो गए। चाबी देकर मकान मालिक वहाँ से चला गया।

ताला शोभना ने खोला । दरवाजा खोलते ही वहाँ एक बिल्ली बैठी दिखीं । सबको देखकर वह भाग गई।

शोभना ने एक सप्ताह में ही पूरी गृहस्थी बसा ली।

बच्चे भी ओरछा आकर खुश थे। दोनों ने आते ही योजना बना ली थीं कि रविवार को किला देखने जाएंगे।

एक रात शोभना पानी पीने के लिए उठी। वह किचन की औऱ अलसाई सी धीमी गति से जा रही थी । तभी उसे किचन से बर्तन बजने की आवाज आई। आवाज सुनकर उसकी गति तेज हो गई।

किचन के दरवाजे पर पहुँची तो उसने देखा एक महिला खड़ी हैं । चौककर शोभना ने बत्ती जलाई तो देखा वहाँ वो बिल्ली थीं। जो उसे गृहप्रवेश के समय दिखीं थीं। बिल्ली खिड़की से भाग गई। शोभना अचरज में पड़ गई। मैंने अभी यहाँ एक औरत को देखा,पर लाइट में बिल्ली दिखीं । ये कैसे हो सकता हैं ?

शायद मैं ही नींद में थीं और अंधेरा भी तो था, मुझें वहम हो गया होगा। ऐसा सोचकर वह पानी लेकर वहाँ से चली गई।

हर दिन शोभना के साथ कुछ न कुछ नई बात होतीं। कल रघुनाथ शिकायत कर रहें थे कि शोभना तुमने मुझें ख़ाली टिफिन ही दे दिया।

तो आज बच्चें कहने लगें - मम्मा आज तो आपने हम दोनों के टिफिन में कुछ नहीं रखा। बहुत भूख लगी हैं जल्दी से खाना दे दो।

शोभना सोच में पड़ गई। टिफिन मैंने खुद तैयार करके रखा फिर खाली कैसे निकला ?

बरसात के दिन थे। रात के 8 बज रहें थे । शोभना किचन में बर्तन साफ़ कर रहीं थीं । तभी हॉल में टीवी देख रहे गोलू ने कहा-मम्मा सीढ़ी से पानी आ रहा हैं।

शोभना किचन से बाहर आई तो देखा छत के दरवाजे से पानी रिसता हुआ सीढ़ी पर आ रहा था। शोभना ने छाता लिया और छत की औऱ गई।

पानी निकासी के लिए छत पर एक ही होल बना हुआ था जिस पर छोटी जाली लगी हुई थीं । कचरा अटक जाने के कारण पानी बह नहीं पाता और छत पर ही एकत्रित होने लगता। छत से कचरा हटा देने के बाद जैसे ही शोभना खड़ी हुई, वह ठिठक गई । सामने छत की मुडेर पर एक महिला को बैठे हुए देखा। जैसे ही बिजली चमकी उसे वहाँ फिर से वो बिल्ली दिखीं । जो अक़्सर उसके घर में दिख जाया करतीं हैं ।

शोभना को कुछ भी समझ नहीं आ रहा था कि जो उसने देखा वह सच था या फिर आँखों का धोखा। पर ऐसा उसके साथ दूसरी बार हुआ। इसलिए उसे कुछ शंका होने लगीं ।

शेष कहानी अगले भाग में.....

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