The Author Anki फॉलो Current Read दर्द दिलों के - 4 By Anki हिंदी प्रेम कथाएँ Share Facebook Twitter Whatsapp Featured Books मुझे ले चलो - शहर से गाँव की ओर एक गाँव में १२ वी कक्षा के सरकारी स्कूल में एक बहुत ही कर्मठ... तमस ज्योति - 51 प्रकरण - ५१मेरे मम्मी पापा अब हमारे साथ अहमदाबाद में रहने आ... Lash ki Surat रात के करीब 12 बजे होंगे उस रात ठण्ड भी अपने चरम पर थी स्ट्र... साथिया - 118 अक्षत घर आया और तो देखा हॉल में ही साधना और अरविंद बैठे हु... तीन दोस्त ( ट्रेलर) आपके सामने प्रस्तुत करने जा रहे हैं हम एक नया उपन्यास जिसका... श्रेणी लघुकथा आध्यात्मिक कथा फिक्शन कहानी प्रेरक कथा क्लासिक कहानियां बाल कथाएँ हास्य कथाएं पत्रिका कविता यात्रा विशेष महिला विशेष नाटक प्रेम कथाएँ जासूसी कहानी सामाजिक कहानियां रोमांचक कहानियाँ मानवीय विज्ञान मनोविज्ञान स्वास्थ्य जीवनी पकाने की विधि पत्र डरावनी कहानी फिल्म समीक्षा पौराणिक कथा पुस्तक समीक्षाएं थ्रिलर कल्पित-विज्ञान व्यापार खेल जानवरों ज्योतिष शास्त्र विज्ञान कुछ भी क्राइम कहानी उपन्यास Anki द्वारा हिंदी प्रेम कथाएँ कुल प्रकरण : 11 शेयर करे दर्द दिलों के - 4 (1) 2.6k 4.9k ईशा और आरवी कंटीन में बैठे हुए होते है तभी तुषार वहां आता है और कहता है - आरवी मुझे तुमसे कुछ जरूरी बात करनी है। आरवी: हां बोलो क्या जरूरी बात है? तुषार : यहां नहीं अकेले में। कहीं बाहर चले । आरवी : ऐसी क्या बात है? Everything is fine.ईशा: यार तू कितने सवाल पूछती है? चले जा न अगर इतने प्यार से बोल रहे है तो।तुषार : सही बोल रही है ईशा । अब चलो । तुषार आरवी को उसकी फेवरेट जगह लेकर जाता है। आरवी बहुत खुश होती है। तुषार आरवी से कहता है: आरवी मैं जा रहा हूं। आरवी: क्या ?? क्या मतलब है कि जा रहे हो ?तुषार : पापा का ट्रांसफर हो गया है और सब परिवार के लोग जा रहे है और मुझे भी जाना पड़ेगा आरवी : और मैं? तुम जानते हो न कि मैं तुम्हारे बिना नहीं रह सकती । हम लोग 10th क्लास से साथ है । हर सुख दुख में एक दूसरे के साथ रहे हैं और तुम कह रहे हो की तुम जा रहे हो । नहीं तुषार तुम नही जा सकते और आरवी रोने लगती है ।तुषार : यार मैं सिर्फ दूसरे शहर जा रहा हूं । रिश्ता थोड़ी ना तोड़ रहा हूं। सब कुछ वैसे ही रहेगा । मैं तुम्हें रोज़ कॉल करूंगा । रोज़ एक दूसरे से बाते करेंगे और हर महीने मिलने भी तो आऊंगा। Long distance relationship में भी तो लोग रहते हैं।हम भी वैसे रह लेंगे। अब रोना बंद करो plz.. मैं तुम्हें रोते हुए नहीं देख सकता। आरवी बहुत जायदा रोने लगती है और कहती है -रहते होंगे लोग long distance relationship में। मैं तुम्हारे बिना नहीं रह सकती। मत जाओ ना । मेरी इतनी सी बात मान लो । तुषार : आरवी । समझने की कोशिश करो । तुम तो बिना कहे मेरी बात समझ जाती हो । जान ये पापा का decision हैं और पापा का decision ही last desicion होता है। तुम तो जानती हो न जान मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूं । मुझे पता है की तुम मुझे खोने से डर रही हो । जान मेरी बात पे यकीन करो मैं हमेशा तुम्हारा ही रहूंगा । आरवी आसूं पौंछती है और कहती है - वादा करो । तुषार : पक्का वाला वादा। वैसे भी तुषार को आरवी से सिर्फ मौत ही अलग कर सकती है । आरवी तुषार को गले लगा लेती है और कहती है -खबरदार ये बात मुंह से भी निकाली तो । मरे तुम्हारे दुश्मन । तुषार: ओहो ! सारी जान आइंदा से नही बोलूंगा । आरवी : कब जाना है तुम्हे ?तुषार : एक दिन बाद । अब प्लीज रोने मत लगना। तुम्हारी आंखों में आंसू नहीं देखे जाते मुझसे ।आरवी : नहीं रोऊंगी। अब खुश । पर मुझे रोज फोन आना चाहिए । मुझसे रोज बाते करोगे और मुझसे मिलने भी आओगे । तुषार : of course jaan .. तुम्हारे बिना मेरा भी कैसे दिल लगेगा । पर क्या करूं मजबूरी है । अच्छा ये सब छोड़ो। अब smile कर दो । तुषार आरवी को गले लगा लेता है .. एक दिन बाद सब दोस्त तुषार को छोड़ने रेलवे स्टेशन जाते है और आरवी भी भारी मन से उसे bye बोलती है। दो दिन बाद .. आरवी उदास बैठी हुई होती है तभी ईशा उससे कहती है - आरवी तुषार अगले महीने आ जायेगा । यार ऐसे कब तक बैठी रहेगी । अच्छा सुन कल फ्रेशर पार्टी है और तू चल रही है तेरा मूड ठीक हो जायेगा । आरवी मना करती है पर बाद में ईशा उसे मना लेती है । क्या होगा पार्टी में । क्या करेगा अरनव? जानने के लिए पड़े अगला एपिसोड 🥀 ‹ पिछला प्रकरणदर्द दिलों के - 3 › अगला प्रकरण दर्द दिलों के - 5 Download Our App