मंजिल अपनी अपनी - 7 Awantika Palewale द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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मंजिल अपनी अपनी - 7


चंदा बोली कितने खुश होंगे चाचा जब हम कहेंगे आपके प्रताप से ही खिलौना आया है! कल के दोनों कार्यक्रम आप ही की देखरेख में होंगे !हम आपको लेने आए हैं !पर वह आने से मना तो नहीं कर देंगे??

सुरजने कहा नहीं नहीं। वह बहुत उदार है। कहेंगे अच्छा तो यह बात है। अभी लो। फिर जल्दी से अपना कोई नया कुर्ता पजामा पहनेंग कंधे पर झोला लटका आएंगे फिर कहेंगे अब ठीक है चलो।
चंदा बोली बाहर आकर कहेंगे तुम दोनों तो कार लेकर आ पहुंचे मैं कोई पराया थोड़े ही हूं।

सूरज ने कहा यही है चाचा की कोठरी चाचा जी चाचा जी दरवाजा खोलिए देखिए कौन आया है।।


चंदा कुछ टटोलती बोली यहां तो कुंडी लगी है और हां ताला भी लगा है। इस वक्त चाचा कहां गए जरा पड़ोस से पता लगाओ।


सूरज ने कहा पड़ोसी का दरवाजा खटखटा दे जरा दरवाजा खोलीए तो।

पड़ोसी हल्के से दरवाजा खोलते हुए पूछा कौन ?किस पूछते हो भाई।?


सूरज ने कहा यहां मोहन जी रहते थे ‌

बुढा पड़ोसी बोला अच्छा तो वह मास्टर जी को पूछते हो। ओ आप तो सूरज जी लगते हो।


सूरज ने कहा जी हां मैं सूरज ही हूं।


बुढा पड़ोसी बोला तो क्या आपको पता नहीं। आपके यहां तो खूब आना-जाना चलता था।।

सूरज अपराध भाव से बोला कुछ एरसे से नहीं आए ।क्यों कोई खास बात है।

बुढा पड़ोसी बोला मैं खुद यहां पर नहीं था। सुना है ।पिछले नवंबर की 20 तारीख को वह देवता ।देवताओं के साथ जा मिला बहुत ही ईमानदार और भला आदमी था।

सूरज ने कहा है यह क्या बता रहे हैं आप......

चंदा ने कहा चंदा एकाएक फफडी हाय चाचा जी आपने हमें माफ नहीं किया रुलाई खत्म होने में नहीं आती।।।।

सूरज ने कहा सारी रात तो बिलख बिलख कर रोती रही हो ।अब चुप हो जाओ ।होनी को कौन टाल सकता है ।जल्दी से नहा धोकर हवन की तैयारी करो पंडित जी आते होंगे।

चंदा रोती रोती बाथरूम की ओर बढ़ जाती है।

ओम भूर भुवा स्वाहा ततसवितुवरेणयम भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न प्रचोदयात्।

पंडित जी ने कहा आहुति दीजिए।

पंडित जी ने कहा सभी एकाग्रचित्त होकर उस सर्व शक्तिमान का ध्यान करें, जिसकी कृपा से यह बालक आया है।।

पंडित जी ने कहा बालक का जन्म स्थान जन्म स्थल समय ठीक लिखा है। जन्म तिथि स्पष्ट पढ़ने में नहीं आ रही। जरा जन्म तिथि बोलिए।

सुरजने कहा बीस नवंबर है पंडित जी।

अति उत्तम अति उत्तम मंत्रोच्चारण ओम् भुरभुव स्व ततसवितुवरेणयम भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न प्रचोदयात्।

पंडित जी ने कहा ग्रह नक्षत्र सब शुभ है।बालक मेधावी, सद्गुण सम्पन्न हैं।राशी कि गणना से म शब्द उत्तम है।म से कोई भी नाम रख ले।

चंदा और सुरज एक साथ बोले मोहन राज।
वहां बैठे सभी लोग बोले बधाई हो बधाई हो।हम भी देखें मोहन राज को।लाओ हमें भी दो मोहन राज को मोहन राज कि मां।

चंदा बोली आप सब को भी बधाई हो सबको प्रसाद दो।

चंदा रसोईघर में जाती है।साडी से आंखें पोंछती है।सुरज हाथ जोड़कर सबको विदाई दे रहा है।।‌।