मंजिल अपनी अपनी - 3 Awantika Palewale द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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मंजिल अपनी अपनी - 3



चंदा ने कहा पूछी थी बोले एक ही बार शाम को आकर पी लूंगा ।है मेरे भगवान वह हमारी मैरिज एनिवर्सरी की डेट भूलते भी तो नहीं।

सूरज ने कहा तुम समझती क्यों नहीं चंदा आज की भाग दौड़ में किस किसी के जन्मदिन या सालगिरह की याद रहती है या उनका अपनापन है ही तो है कि निसंकोच अपने आप आकर हमें संभल जाते हैं।

चंदा बोली यही तो कमाल है सूरज !जिन्हें हम बुलाना चाहते हैं वह तो ना आए और जिसे ना चाहे.......


सूरज ने बीच में टोकते हुए कहा बस बस इस बहस को यही बंद करो और शॉपिंग के लिए चल पडो ।


सूरज बोला वह भाई डार्लिंग ।मेरी चंदा अब तो खुश हो ।क्या शानदार पार्टी हुई लोग बढ़ चढ़कर तारीफ कर रहे थे ना ।खाने पीने से लेकर व्यवस्था तक की इसी सारे इंतजाम की खातिर होटल मैनेजर ने अपने दो बुजुर्ग बैरो को भेज दिया कि किसी को शिकायत का मौका ना रहे।।।

चंदा ने कहा अच्छा यही रहा कि उन्होंने अपने काम से काम रखा आपके चाचा की तरह ज्यादा चटर-पटर करते तो मैं जरूर भगा देती।।।


सूरज ने कहा वे बेचारे तो बस अपनी ड्यूटी बजा रहे थे। चाचा तो घर के आदमी ठहरे ।मेरी समझ में नहीं आता। वह थोड़ा हंस बोल लेते हैं तो तुम्हें चिढ़ क्यों लगती है।।


चंदा ने कहा चलो यही समझ लो। अपना अपना स्वभाव है। मुझे खुशी इस बात की है कि आपके चाचा मोहन जी नहीं आए।।।


सूरज ने कहा तुम्हारे लिए यह जरूर खुशी की बात हो सकती है। मेरे बिग बॉस भी आए थे और कितने दूसरों से मिलने जुलने वाले भी लेकिन उन सब के बीच चाचा को न पाकर मेरा मन उदास रहा था। तुम नहीं समझोगी उनके हमारे घर वालों पर कितने उपकार है।।।


चंदा ने उखड़े स्वर में कहा बस बस अब रहने दो। कई बार सुन चुकी हूं ।अब घड़ी की तरफ देखो ।इस समेटा का समेटी में रात के 11:00 बज गए अब कपड़े बदलो और सोने की तैयारी करो।।।


सूरज बोला वाह इस नए गाऊन में खूब खल रही हो चंदा।


चंदा भी नखरे करती ज्यादा खुशामत की जरूरत नहीं है चुपचाप सो जाओ।


सूरज ने उत्साह से कहा वाह इतनी जल्दी कैसे सो जाओ। आज तो हमारी शादी की सालगिरह है। जरा सा रुक कर सातवीं सालगिरह।।।।


चंदा थोड़ा चौक के बोली है सातवीं??


सूरज ने कहा यही तो बात है। लगता है कल ही की बात हो। वह किस कदर रौनक थी। सभी लोग आए थे ।पता है पिताजी के खास दोस्त यही चाचा मोहन उसे वक्त आंध्र प्रदेश में सर्विस करते थे तो भी इतनी दूर से चाचीजी को लेकर शादी वाले दिन जैसे तैसे पहुंच ही गए थे। पिताजी ने उन्हें धन्यवाद किया था पता है क्या बोले आता कैसे नहीं। मेरे सूरज बेटे की शादी है। तो अब चाचीजी के न रहने पर बेचारे चाचा कैसे अकेले पड़ गए हैं।।।



चंदा ने कहा दो दो बेटे हैं वही क्यों नहीं ले जाते।।


सूरज ने कहा एक तो अमेरिका में है ।चाचा कहते हैं वहां के रंग डांग नहीं सह सकते। छोटे वाले की बहू सुनते हैं। जरा तुनक मिजाज है।।