मंजिल अपनी अपनी - 5 Awantika Palewale द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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मंजिल अपनी अपनी - 5



सूरज बोला आईए चाचा जी आईए।

मोहन चाचा बोले बहुत दिन हो गए ।सोचा आज इतवार है दोनों मिल ही जाएंगे।

सूरज बोला बहुत अच्छा किया आपने हमारी शुद्ध बुद्ध ले जाते हैं।

मोहन चाचा बोले चंदा की चारपाई की ओर बढ़ते हुए अरे हमारी बहु रानी को क्या हुआ इस वक्त लेटी क्यों है।

सूरज बोला इसकी तबीयत ठीक नहीं है कमर में दर्द है आप बैठिए आपके लिए चाय बना कर लाता हूं।

मोहन चाचा बोला तुम क्यों तकलीफ करते हो रहने दो चाय बाय।


सूरज बोला इसमें तकलीफ कैसी? आज नौकरानी नहीं आई है! बूढी औरत है !उसे भी तो कभी छुट्टी चाहिए!( उठना है रसोई घर में जाता है।)

मोहन चाचा बोले ठीक है। मैं चंदा के पास बैठता हूं। क्या हुआ बेटी! ठीक हो जाओगी! मैं अपने कुल देवता से प्रार्थना करूंगा! एक खिलौना तो होना ही चाहिए।।


चंदा कठोर स्वर में बोली।आप आप क्यों चले आते हैं। यहां मुझे आपकी दुआ नहीं चाहिए ।मैं आपके या किसी के कुल देवता को नहीं मानती।।

मोहन चाचा शांत स्वर में बोले। ऐसा नहीं बोलते तुम एक दिन खुद देखोगी कुल देवता सभी पर कृपा करते हैं।


चंदा बोली आपके मुंह से जग आती है क्या कुल देवता को घीन ना आती होगी।।

मोहन चाचा बोले अभी तुम्हारा जीत शांत नहीं है सब ठीक हो जाएगा।।


चंदा बोली आपको किसी प्रकार की चिंता करने की जरूरत नहीं आगे से आप यहां मत आया कीजिए।।


मोहन चाचा बोले अच्छा बहू जैसी तुम्हारी इच्छा। सदा सुखी रहो।


सूरज बोला लीजिए चाचा जी मैं आपके लिए शानदार कम मीठे की चाय बना लाया अरे चाचा जी कहां गए। क्या बात है हम गए हैं चंदा चाचा जी के साथ क्या बातें हो रही थी।

चंदा बोली आपके चाचा जी चले गए।
सूरज बोल चले गए ऐसे कैसे बिना मिले??

चंदा बोली आज मैंने वह सब कुछ कह डाला जो लंबे समय से मेरे मन में था। अब वह यहां कभी नहीं आएंगे।

सूरज बोला हाय मेरा दुर्भाग्य ।हाथ से ट्रेन गिरती है और प्यालो को टूटने की आवाज आती है।

चंदा बोली वाह सारी चाय गिरा डाली बड़ा दुख हो रहा है ।चाचा के लिए।।।

सूरज बड़े दुखी स्वर में बोला कितना बड़ा अनिष्ट हो गया है ।मैं किसी को मुंह दिखाने काबिल भी नहीं रहा।

चंदा बोली मेरे नन्हे राजा चुप हो जा ।अभी तेरे पापा आएंगे खूब खिलौने लेंगे ।नन्हे प्यारे प्यारे राज दुलारे।

सूरज बोल लो हम आ गए ।तुम इसे चुप कर रही हो ।या शोर मचा मचा कर डरा रही हो।

चंदा बोली मुन्ने के आने के बाद आपको मेरी आवाज खराब लगने लगी ।चलो अब मेरे साथ बोलने तो लगे। वरना चाचा को लेकर ठीक से बोलना भी बंद कर रखा था।।

सूरज बोला अच्छा यह बताओ पंडित जी आए थे।

चंदा बोली हां आए थे ।बोले 20 नवंबर को मुन्ना हुआ है ।लगन कुछ ऐसा है कि एक महीने के बाद ही इसका नामकरण संस्कार होना चाहिए।

सूरज कुछ सोचते हुए बोला तब ठीक है ।अच्छा चंदा अपनी 26 दिसंबर यानी अपनी मैरिज एनिवर्सरी वाले रोज ही क्यों ना दोनों कार्यक्रम रख ले।।।।