मंजिल अपनी अपनी - 6 Awantika Palewale द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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मंजिल अपनी अपनी - 6


चंदा बोली खूब कहा क्या बढ़िया आईडिया है ।एक साथ ही नामकरण और हमारी शादी की सालगिरह।

सूरज ने कहा यानी की डबल रौनक डबल पार्टी अब तो खुश।

चंदा ने कहा पंडित जी ने यह भी कहा था कि अभी मुन्ना के पैदा होने की सूचना ज्यादा लोगों तक नहीं पहुंचनी चाहिए समझे।

सूरज ने कहा तुम इन बातों को कब से मानने लगी।

चंदा ने कहा औलाद के लिए सब मानना पड़ता है।

सूरज बोला चलो यही सही तुम खुश रहो और तुम्हारा मुन्ना भी।।।


चंदा बोली ओहो आज यह मुझे दिन प्रतिदिन क्या होता जा रहा है। पहले पहल तो मेरी समझ में नहीं आता था ।मैं असाविद शिकार हो चली हूं ।मुझे किसी की प्रतीक्षा है ।थोड़ा रूकती है साथ ही रुक रुक कर चलती है जरा सी आहट होती है तो दिल एक साथ खुशी और अनजाने दर से संकेत होता है पर दरवाजे पर कोई और होता है ।मुन्ने के जन्म के 15 रोज बाद मुझे भास होने लगा ।मैं मैं अपने दरवाजे पर इस चिर परिचित मुद्रा में हां हां ढीला कुर्ता पजामा पहने कंधे पर झोली लटकाए पोपल गालों वाले चाचा मोहन को देखना चाहती हूं ।स्वर में परिवर्तन आता है लो बेटी में आ गया ।मैं कहता ना था एक दिन हंसता खेलता खिलौना जरूर आएगा ।तो मुझे क्या होता जा रहा है ।आपसे आप बबडाती रहती हूं ।खुश होने की चेष्टा में रुलाई फूट निकलती है। कोई मेरी ऐसी दशा देख तो मुझे पागल ही समझेंगे। असली पागल तो मैं तब थी जब जब चाचा खिलौने की बात करते थे मुझे लगता मेरे अभाव के जख्मों को कुरेद रहे हैं। लो आज का दिन और गुजर गया। हर रोज इसी तरह सुबह दोपहर शाम का पल-पल मेरे मानस से कुछ छीजता हुआ निकल जाता है।
चंदा फिर बोली अपने आप को आज 25 दिसंबर का दिन भी बीत गया ।शाम फिर आई चाचा आज भी.......

चंदा बोली हां हां चाचा ही होंगे दरवाजे की तरफ दौड़ पड़ती है।

सूरज ने कहा क्या बात है चंदा बड़ी हड़बड़ी में लगती हो।।।

चंदा ने लंबी सांस खींचते हुए कहा अरे मैंने सोचा चाचा आए होंगे।

सूरज ने कहा क्या तुमने सूचना भेजी थी।।।

चंदा ने कहा वह तो हमारे घर की हर गतिविधियों को दूर से ही सूंघ लेते हैं।।।

सूरज ने कहा पर क्यों आएंगे वह क्या बूढ़े आदमियों का कोई आत्मसम्मान नहीं होता।।।

चंदा पश्चाताप करते हुए बोली हां ठीक कहते हैं आप। पर मैंने सोचा आपने सूचना दे दी होगी।।।

सूरज ने कहा कैसे देता। सोचा घर में फिर से कलह होगी यही सोच कर चुप मार गया।।।।

चंद झट से बोली लेकिन इस भव्य समारोह में मुझे चाचा का ना आना बहुत खलेगा चलिए हम उनसे माफी मांग कर जीद करके उन्हें मना लेंगे चलिए देखिए अपने नए खिलौने को।।

सूरज ने कहा ठीक कहा हां मुन्ने को उनका आशीर्वाद मिलना ही चाहिए तुम जल्दी से तैयार हो जाओ।

चंदा ने कहा मैं ऐसे ही ठीक हूं आपने तो कपड़े पहन ही रखे हैं जल्दी कीजिए अंधेरा बढ़ रहा है।।

सूरज ने कहा तो बाहर निकालो मैं। गाड़ी निकलता हूं।