प्रेम दीवानी आत्मा - भाग 10 Rakesh Rakesh द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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प्रेम दीवानी आत्मा - भाग 10

सिद्धार्थ से अपने प्यार का इजहार करने से पहले ही जब अंकिता पादरी साहब के डॉक्टर बेटे टोनी की तरफ आकर्षित होने लगती है तो इस वजह से वह अपनी ही नजरों में गिरने लगती है कि मैं सिद्धार्थ की भी प्रेमिका बनने की सोच रही हूं,और डॉक्टर टोनी को भी अपने प्रेमी के रूप में देखना मुझे अच्छा लग रहा है, इस बात का उसके दिमाग पर इतना गहरा असर पड़ता है कि वह अपने मन में ठान लेती है कि चाहे मेरी जान चली जाए लेकिन मैं नर्स मारथा के पादरी भाई के घर कभी नहीं आऊंगी क्योंकि उनके डॉक्टर बेटे टोनी को देखकर मुझे ना जाने क्या होने लगता है।

और वह सिद्धार्थ की देख भाल अस्पताल में जाकर करने की जगह अपने घर चली जाती है।

जब सीमा को एहसास होता है कि नर्स मारथा के पादरी भाई की वजह से नंदू की आत्मा ने कुछ दिनों से हम दोनों बहनों को प्रताड़ित करना छोड़ दिया है और नंदू की आत्मा की वजह से जो हमारे परिवार जीवन में मनहूसियत छाई हुई थी, वह भी पूरी तरह खत्म हो गई है, तो वह गुरु जी को जीसस क्राइस्ट की प्रार्थना से फायदे की सारी बात बताती है।

तो गुरु जी सीमा को समझाते हुए कहते हैं "किसी भी तरह नंदू की क्रोधित बेचैन भटकती आत्मा को दिवाली तक शांत रखना है और एक बात सबको समझा देना खास करके सिद्धार्थ को क्योंकि अब सिद्धार्थ को अंकिता के साथ ऐसा व्यवहार करना पड़ेगा जैसे कि अंकिता नंदू की पत्नी है और आपके सिद्धार्थ के परिवार को भी अंकिता के साथ नंदू की पत्नी जैसा व्यवहार करना होगा यदि नंदू की आत्मा को थोड़ा सा भी ऐसा लगा कि अंकिता मेरी पत्नी नहीं है, तो नंदू की आत्मा हद से ज्यादा क्रोधित हो जाएगी और अंकिता एक दिन भी सिद्धार्थ के घर जाना ना भूले क्योंकि बेटी आपकी मां ने पहले ही नंदू की आत्मा को क्रोधित कर दिया है, वह अंकिता की अपने परिवार से दूरी अब बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं करेगी, क्योंकि आपकी मां तांत्रिक मामा और मोहल्ले के लोग सिद्धार्थ को अंकिता से अलग करने की सोच रहे हैं, ऐसा नंदू की आत्मा समझ रही है और अपने परिवार की रक्षा के लिए आपको जो भी कार्य करना है, वह करें है, लेकिन जो भी कार्य करे सोच समझ कर करे।"

"जैसा आपका आदेश गुरु जी।" सीमा कहती है

सिद्धार्थ के अस्पताल से घर आने के बाद सीमा अपने और सिद्धार्थ के परिवार वालों को बताती है कि "गुरु जी ने कहा है कि अब हम सबको अंकिता के साथ नंदू कि पत्नी जैसा व्यवहार करना होगा।"

तब सिद्धार्थ अपने मन में सोचता है अंकिता खुद नहीं चाहती है कि वह उसका पति बने इसलिए भगवान भी नहीं चाह रहा है कि अंकिता मेरी नकली पत्नी भी बने।

सिद्धार्थ के चेहरे की उदासी देख कर अंकिता सोचती है मैं अब कुछ नहीं कर सकती हूं, शायद सिद्धार्थ को अब मेरी जुदाई में जिंदगी भर तड़पना पड़ेगा, क्योंकि मेरे दिल दिमाग पर धीरे-धीरे टोनी का राज होता जा रहा है।

और उसी समय सीमा अंकिता की तरफ इशारा करके उसे सिद्धार्थ के घर से बाहर बुलाती है और कहती है "जल्दी तैयार हो जा, शाम की प्रार्थना के लिए नर्स मारथा के भाई पादरी साहब के घर जाना है।"

पादरी साहब के घर जाने की बात सुनकर अंकिता अपने पर काबू नहीं रख पाती है और बहुत खुश होती है कि डॉक्टर टोनी से आज फिर मुलाकात होगी।

और पादरी साहब के घर पहुंच कर अंकिता और पादरी साहब के बेटे डॉक्टर टोनी की नजरे आपस में मिलती है तो अंकिता डॉक्टर टोनी को अपनी नजरों से जाहिर कर देती है कि मुझे आपसे प्रेम हो गया है।

डॉक्टर टोनी भी समझ नहीं पता कि एक दो मुलाकात में ही अंकिता मुझे इतना ज्यादा अपनापन क्यों दिख रही है।

डॉक्टर टोनी अंकिता की भावनाओं की कदर करते हुए दोनों बहनों को पास के रेस्टोरेंट में कॉफी पिलाने ले जाता है।

और सीमा अंकिता से नंदू की भटकती बेचैन क्रोधित आत्मा की पूरी बात सुनकर उसे बेकसूर अंकिता पर बहुत दया आती है कि सीमा नंदू के बीच में बेचारी अंकिता पिस रही है, अपने दिल की यह बात वह अंकित से जब कहता है तो अंकिता की नजरों में वह और उठ जाता है।

नादान अंकिता डॉक्टर टोनी की दया हमदर्दी को प्रेम समझ कर दूसरे दिन डॉक्टर टोनी से मिलने उसके क्लीनिक में पहुंच जाती है और डॉक्टर टोनी से ऐसे पेश आती है, जैसे वह उसकी प्रेमिका है और डॉक्टर टोनी भी उसके प्रेम में पागल हो गया है।

तो डॉक्टर टोनी को अपने प्रति अंकिता का यह व्यवहार बिल्कुल भी पसंद नहीं आता है और वह अंकिता से कहता है "आप बहुत खूबसूरत पढ़ी-लिखी समझदार लड़की है, आपको मुझसे कहीं ज्यादा अच्छा लड़का मिल जाएगा, आप मेरे चक्कर में अपना जीवन बर्बाद मत करो, मैं उस लड़की से शादी करूंगा जिससे मुझे सच्चा प्यार होगा और वह लड़की आप कभी भी नहीं हो सकती है।'

अंकिता को पहली बार प्रेम में चोट खाए आशिक के दुख का एहसास होता है, इसलिए वह सीधे अपने सबसे अच्छे दोस्त सिद्धार्थ के घर जाती है, क्योंकि उसे पता था कि सिद्धार्थ ने उससे प्यार करके प्यार मे हार का दुख बर्दाश्त किया है।

सिद्धार्थ के घर पहुंच कर अंकिता सिद्धार्थ को उसकी सबसे ज्यादा पसंदीदा जगह उसकी छत पर लेकर जाती है, क्योंकि सिद्धार्थ अपनी छत पर अकेले गमले में लगे फूलों की महक के बीच बैठकर दूर बहती गंगा नदी को देखते हुए बहुत सुकून शांति महसूस करता था, लेकिन अंकिता समझ नहीं पा रही थी कि डॉक्टर टोनी जो उसके प्यार को ठुकरा कर उसके दिल को जो दुख पहुंचाया है, वह बात सिद्धार्थ को बात कर मैं अपने दिल का बोझ कैसे हल्का करूं, क्योंकि एक तो नंदू की क्रोधित आत्मा दूसरा सिद्धार्थ उसका दीवाना सिद्धार्थ का दिल वह किसी भी हालत में दुखाना नहीं चाहती थी।

फिर वह सोचती है क्योंकि मुझे अब समझ आ गया है कि एक तरफा प्रेम कितना दुखदाई होता है, अंकिता को चुपचाप बैठकर किसी सोच में डूबा देखकर सिद्धार्थ अंकिता से बोलता है "हो सके तो मुझे माफ कर देना।" किस बात के लिए अंकित पूछती है? "अगर मैं तुम्हारे से तुम्हारे परिवार से नज़दीकियां नहीं बढ़ता तो तुम्हारी जान को नंदू भैया की आत्मा से कोई खतरा नहीं होता।' सिद्धार्थ जवाब देता है ।

"तुम्हारी कोई गलती नहीं है, प्यार पर किसी का भी जोर नहीं चलता है , और एक तरफा प्यार बहुत दुखदाई होता है।" अंकिता बोली

"क्या मेरा प्यार एक तरफ है।" सिद्धार्थ पूछता है?

दोनों आपस में इस तरह बात कर रहे थे, जिससे कि अगर नंदू की आत्मा आस पास हो तो वह समझ ना पाए अंकिता फिर सोच में पड़ जाती है कि अगर हां कहा तो सिद्धार्थ दुखी हो जाएगा और मैं किसी भी हालत में सिद्धार्थ को प्यार में नाकाम होने का दुख नहीं दे सकती हूं, इसलिए वह कहती है "तुम्हें याद है जिस दिन छत से गिरने वाली दुर्घटना हुई थी, उसी समय विक्रम का भी फोन आया था, विक्रम भी मुझसे वही उम्मीद कर रहा है जो उम्मीद तुम कर रहे हो मैं किसको हां का हूं।"

"विक्रम अच्छा लड़का है, वह तुम्हें मुझसे ज्यादा खुश रखेगा। सिद्धार्थ कहता है

"ऐसा नहीं है मैं जिसके साथ पूरा जीवन जीना चाहती हूं, उसका नाम लिखकर दिखाती हूं। अंकिता बोली

सिद्धार्थ सोचता है शायद नंदू की आत्मा से डर कर अंकिता मेरा नाम बोलने की जगह लिख कर बता रही है और जब अंकिता डॉक्टर टोनी लिखती है, तो सिद्धार्थ उदासी भरे स्वर में धीरे से पूछता है? "कौन है यह डॉक्टर टोनी।'

तब अंकिता अपने गले का प्रभु यीशु मसीह का क्रॉस का लॉकेट दिखा कर डॉक्टर टोनी के बारे में सब कुछ बताती है, सारी बात सुनाने के बाद सिद्धार्थ अंकिता से कहता है "कल सुबह मैं तुम्हारे साथ पादरी साहब के घर जीसस क्राइस्ट का लॉकेट लेने चलूंगा, और मुझे डाक्टर टोनी से मिलवाना।"