Bunch of Stories - 6 - अंधेरे में साये का डर Devaki Ďěvjěěţ Singh द्वारा प्रेरक कथा में हिंदी पीडीएफ

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Bunch of Stories - 6 - अंधेरे में साये का डर

सर्दियों की रात थी। तृष्णा अपने कोचिंग से लौट रही थी।
उस वक़्त सिर्फ 8 ही बजे थे । तृष्णा ऑटो स्टैंड पर
उतरकर अपने घर की ओर पैदल चल दी। उसके घर की ओर जाने वाले रास्ते पर इस समय एक दो लोग ही दिख रहे थे।
कड़ाके की ठंड की वज़ह से सब लोग अपने घरों में सिमट गए थे।
रास्ता थोड़ा सुनसान सा था।
तृष्णा को चलते चलते आभास हुआ,जैसे अंधेरे में कोई साया उसका पीछा कर रहा हो।

जब उसने पीछे मुड़ कर देखा तो कोई नहीं था।

फिर वो आगे बढ़ गयी।लेकिन थोड़ी देर बाद उसे फिर लगा जैसे कि कोई हैं ,इस बार उसे दो आदमी दिखाई दिए। उस वक़्त पुरी सड़क सुनसान थी।
वह उन्हें देख कर घबरा गई और तेज चलने लगी।
वो दोनों भी उसके पीछे पीछे तेज चलने लगे।

तृष्णा तेज़ी में आगे बढ़ ही रही थी कि अचानक
एक लड़के को देखकर उसके कदम भी धीरे हो गए।
अन्य आदमी को देखकर वो दोनों आदमी वही रुक गए।

इस लड़के को देखकर तृष्णा और भी ज्यादा घबरा गई। क्योंकि यह एक आवारा आशिक था ।जो हमेशा उसे घूरता रहता था। कभी-कभी पीछा भी करता था।

अब वह ठीक उसके पीछे धीरे -धीरे चल रही थी।
उस वक़्त उसके दिमाग बहुत सी बातें चल रही थी।
कहीं ये भी उनसे मिला हुआ तो नहीं है। डर के मारे उसके दिमाग में बहुत से उल्टे सीधे विचार आ रहे थे।
उस व्यक्ति के पास आकर,
जब दुबारा उसने पीछे मुड़ कर देखा तो वो आदमी धीरे-धीरे चल रहे थे। अब इतना समझ गई की यह उनसे मिला हुआ नहीं है। क्योंकि अगर वो मिला होता तो वो आदमी धीरे नहीं होते, या रुकते नहीं।

उसका दिल कह रहा था कि यह एक आशिक है यह उसके साथ कुछ गलत नहीं करेगा। क्योंकि वो कितने दिनों से उसके पीछे प़डा है पर उसने कभी उसे परेशान नहीं किया।

ऐसा सोचकर और हिम्मत करके बोली! ,अम्बर
(नाम सुनते ही वो पीछे मुड़ा, और तृष्णा को देख कर अचंभित सा हो गया। )
मुझे तुम्हारी मदद चाहिए।

इस वक़्त अम्बर,तृष्णा के चेहरे पर डर के भाव को अच्छी तरह महसूस कर रहा था। और बोला- हाँ बोलो क्या बात हैं ?
तृष्णा बोली क्या तुम मुझे घर तक छोड दोगे ?
अम्बर बोला - हाँ हाँ क्यों नहीं। चलो।

दोनों को साथ जाते देख उन आदमियों ने तृष्णा का पीछा करना छोड दिया था और दूसरी ओर चले गए । अम्बर ने तृष्णा से कहा डरों नहीं वो लोग अब चले गए हैं।

तब जाकर तृष्णा के मन का डर थोड़ा कम हुआ।
पूरे रास्ते दोनों चुपचाप चलते रहे।
इस बीच अम्बर बहुत खुशी का अनुभव कर रहा था
कि तृष्णा ने ऐसे बुरे वक़्त में उस पर विश्वास किया।

जैसे ही तृष्णा का घर आया उसने चैन की साँस ली।
उसने अम्बर से कहा - तुमने ऐसी विकट परिस्थिति में मेरी मदद की उसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद।
पर हाँ:
हम दोनों दोस्त बन सकते हैं। लेकिन इससे ज्यादा की उम्मीद मत रखना।
यह बोलकर वह अपने घर चली गई।
इस घटना के बाद वे दोनों एक अच्छे दोस्त बन गए।

आधार रेखा:
सच्चा आशिक सामने वाले को कभी दुःख नहीं पहुंचाता है ।

✍🌹देवकी सिंह 🌹