चमकीला बादल - 13 Ibne Safi द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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चमकीला बादल - 13

(13)

जैसे ही वार्ता समाप्त करके कैप्टन बगासी ने फाउंटेन पेन जेब में रखा वैसे ही मेकफ ने उस पर छलांग लगा दी और दबोच कर बैठ गया।

"यह क्या हरकत है?" बगासी गुर्राया।

"गद्दार के बच्चे।" मेकफ दांत पीस कर बोला। "खैरियत चाहते हो तो यह ट्रांसमीटर मेरे हवाले कर दो वरना जान से मार डालूंगा।"

"क_क_ कैसा ट्रांसमीटर? खे_खे_ छोड़ो।" मगर मेकफ ने उसे छोड़ा नहीं। उसका गला दबाता ही चला गया। थोड़ी ही देर में वह शिथिल पड़ गया। मेकफ ने उसकी जेब से फाउंटेन पेन निकाल कर अपनी जेब में डाल दिया। यह घटना उस समय घटी थी जब वह वेसली के फार्म से वापस हो रहे थे। एक स्थान पर कैप्टन बगासी ने अचानक पेट में दर्द का बहाना करके गाड़ी रूकवाई थी और उतरकर झाड़ियों में घुसता चला गया था और उसने बगासी का पूरा संदेश सुन लेने के बाद उस पर छलांग लगाई थी। उसे वहीं बेहोश छोड़कर गाड़ी की और भाग आया था। और राजेश से पूछ रहा था।

"अब उसका क्या करें बोस?"

"किसका?" राजेश ने पूछा।

"उसी गद्दार बगासी का।"

"वह है कहां?"

"उधर झाड़ियों में बेहोश पड़ा है।" मेकफ ने झाड़ियों की ओर संकेत करके कहा।

"मगर वह बेहोश कैसे हुआ?"

"मैंने उसे बेहोश किया है।"

"तब तो तुमने जल्दबाजी करके मेरे लिए कठिनाइयां उत्पन्न कर दी।"

"इसके लिए मैं क्षमा चाहता हूं बोस। मगर मैं ऐसा करने के लिए विवश हो गया था।"

"क्यों?" राजेश ने पूछा।

"वह संदेश कुछ ऐसा ही था बोस कि हम गफलत में मार लिए जाते।" मेकफ ने कहा। "उसने इमारत वाली घटना की किसी को रिपोर्ट दी थी और मिस्टर कमल कांत का भी नाम लिया था। फिर मैं क्या करता बोस? मैंने यही सोचा कि अब उससे ट्रांसमीटर ले ही लेना चाहिए। पहले मैंने उसे शराफत के साथ मांगा था। उसके ना देने पर ही मुझे बेहोश करना पड़ा था।"

"वह संदेश क्या था?" राजेश ने पूछा। उत्तर में मेकफ ने पूरा संदेश उसे सुना दिया।

"वह फाउंटेन पेन कहां है?" मेकफ ने जेब से फाउंटेन पेन निकालकर उसकी ओर बढ़ाते हुए कहा।

"इसे फाउंटेन पेन न कहो बोस। यह ट्रांसमीटर है।" राजेश ने फाउंटेन पेन अपने जेब में डाल दिया और बोला।

"उसे उठा लाओ और गाड़ी की पिछली सीट पर डाल दो।" मेकफ झाड़ियों की ओर दौड़ पड़ा। थोड़ी ही देर बाद वापसी का सफ़र फिर आरंभ हो गया कमल सीट पर राजेश के बगल में था और मेकफ पिछली सीट पर था। वह पूरी तरह सतर्क था और बार-बार सीट पर पड़े हुए बेहोश बगासी को देखता जाता था। उधर कमलकांत राजेश को पोरशिया सिंगिल्टन से अचानक मुलाकात के बारे में बताने लगा था। राजेश खामोशी से सुन रहा था फिर उसके मौन होने पर बोला।

"मुझसे गलती हो गई।"

"वह क्या?" कमल ने पूछा।

"मुझे फौरन ही तुमसे संबंध स्थापित करना चाहिए था।"

"मैं समझा नहीं।"

"दारुस्सलाम में तुम्हारी निगरानी ही करता रह गया था अगर तुमसे संपर्क स्थापित किया होता तो उसी समय मुझे पोरशिया सिंगिल्टन के बारे में मालूम हो गया होता और इस समय हमारी पोजीशन कुछ और होती।"

"आपकी बातों से तो ऐसा लगता है जैसे पोरशिया सिंगिल्टन हमारे चीफ पवन की एजेंट नहीं है।"

"तुम ठीक समझे।" राजेश ने कहा। "पोरसिया हम में से नहीं है।" और कमल लंबी सांस खींच कर रह गया।

"अब अच्छी तरह सोच कर बताओ भोजन के बाद से दारूस्सलाम के अस्पताल तक पहुंचाने के मध्य की कोई बात याद आ रही है?"

"जी नहीं।" कमल ने कहा। "मैं पहले ही स्मरण शक्ति पर जोर दे चुका हूं। मैं अस्पताल तक बेहोश ही रहा था।"

उधर बगासी होश में आ चला था। मेकफ ने अपने रिवाल्वर की नाल उसकी बाई पसली से लगा दी। थोड़ी ही देर बाद बगासी कराहा फिर बोला।

"आखिर यह सब क्या हो रहा है?" मेकफ के बदले राजेश ने कठोर स्वर में कहा।

"यह तुम ही बताओगे कि यह सब क्या हो रहा है?"

"लेकिन मेरी गलती कर्नल? आखिर तुम्हारे आदमी ने मेरे साथ ऐसा व्यवहार क्यों किया?"

"तुम्हारे साथ तो इससे भी बुरा व्यवहार करना चाहिए था।"

"मगर क्यों?"

"बकवास बंद करो।" राजेश चीख पड़ा। "और अपना कोड नंबर बताओ वरना बहुत बुरी तरह पेश आऊंगा।"

"कोड नंबर?" बगासी ने दोहराया।

"हां _ कोड नंबर।" राजेश ने कहा।

"कैसा कोड नंबर?"

"फाउंटेन पेन सीरीज वाला।" राजेश ने कहा।

"तुम क्या समझते हो कि मैंने विशिष्ट रूप से तुम्हारा ही चयन क्यों किया था?" बगासी कुछ नहीं बोला।

"क्या समझ कर तुमने अपने देश से गद्दारी की सोची थी?" राजेश ने प्रश्न किया। बगासी इस बार भी मौन ही रहा।

"उत्तर दो।" राजेश दहाड़ा।

"मैंने जो कुछ भी किया है देश के हित के लिए ही किया है।" बगासी ने उत्तर दिया।

"वह किस प्रकार?"

"पूरा महाद्वीप बड़ी शक्तियों का अखाड़ा बनने वाला है इसलिए बड़ी शक्तियों के शत्रु का साथ क्यों ना दूं?"

"यदि तुमने मुझे निरुत्तर कर दिया तो मैं भी तुम्हारा साथ दूंगा।" राजेश ने कहा फिर पूछा।

"मुझे बताओ की बड़ी शक्तियों के उस शत्रु के पास कौन सी शक्ति है?"

"संसार के सर्वोच्च बुद्धिजीवी उनके साथ है।" बगासी ने कहा।

"और कुछ?"

"जी हां_ उनके शस्त्रों का तोड़ बड़ी शक्तियों के पास नहीं है।"

"वह लोग कब से कार्यरत है और उन्होंने अब तक बड़ी शक्तियों का क्या बिगाड़ लिया है?"

"यह मैं नहीं जानता किंतु मुझे विश्वास है कि हमारे देश का कल्याण उन्हीं की सहायता से होगा। वही हमारे देश के लिए हितकर सिद्ध होंगे।"

"क्या उनको तुम्हारे देश के बहुसंख्यक का समर्थन प्राप्त है?" राजेश ने पूछा।

"नहीं बहुत सारे लोगों को तो नाम भी ना मालूम होगा।"

"तो सुनो कैप्टन बगासी_" राजेश ने गंभीरता से कहा। "जिन लोगों को तुम अपने देश का हितकारी कल्याणकारी और मोक्षदाता समझ रहे हो वह अंतरराष्ट्रीय ठग है और कुछ भी नहीं। विश्व विधान या विश्व शासन की कल्पना केवल फ्राड है।"

"हां। सामान्य तौर पर यही ख्याल किया जाता है मगर मैं ऐसा नहीं समझता।" बगासी ने दृढ़ स्वर में कहा।

"न समझो।" राजेश ने कहा। "मगर कोड नंबर तो बताना ही पड़ेगा।" बगासी ने सख्ती से होंठ भींच लिए और मेकफ उसकी पसली पर रिवाल्वर का दबाव डालता हुआ कठोर स्वर में बोला।

"जल्दी से उगल दो वरना फायर कर दूंगा।"

"मेरा जीवन अफ्रीका के कल्याण से अधिक महत्वपूर्ण नहीं है। शौक से गोली मार दो। मैं तुमसे दया की भीख नहीं मांगूंगा।" बगासी ने दृढ़ स्वर में कहा। फिर आंखें बंद करता हुआ दहाड़ा। "करो फायर_"

"जल्दी ना करो। इसे सोचने का अवसर दो।" राजेश ने मेकफ से कहा। गाड़ी की गति तेज नहीं थी। राजेश बगासी को समय दे रहा था। खेमो तक पहुंचने से पहले उसकी जुबान खुलवा लेना चाहता था। बगासी आंखें बंद किए बैठा रहा। उसके चेहरे पर परेशानी या भय के लक्षण नहीं पाए जाते थे। बस ऐसा ही लग रहा था जैसे किसी बहुत ही सुखद कल्पना में डूबा हुआ हो। मेकफ उसे आश्चर्य से देखे जा रहा था। थोड़ी देर बाद राजेश ने बगासी को संबोधित करते हुए कहा।

"कैप्टन बगासी अगर तुम मुझे अपना कोड नंबर बता दो तो मैं वचन देता हूं कि तुमको निकल जाने दूंगा तुमको तुम्हारे अफसर के हवाले नहीं करूंगा।"

"बेकार है कर्नल। तुम मुझे किसी भी प्रकार इस पर आमादा न कर सकोगे।" बगासी ने कहा। फिर गर्वपूर्ण स्वर में कहा।

"मैं तो खुद ही चाहता हूं कि तुम मुझको मेरे ऑफीसरों के हवाले कर दो ताकि मेरी गद्दारी की पब्लिसिटी इस रिमार्क के साथ हो सके कि कैप्टन बगासी ने मौत को गले लगाना पसंद किया मगर मुख नहीं खोला।"

"इससे क्या होगा?" राजेश ने आश्चर्य के साथ पूछा।

"मुझ जैसे सरफरोशी और देश प्रेमियों को प्रोत्साहन मिलेगा और वह भी उस संस्था में सम्मिलित हो जाएंगे और इस प्रकार मेरे देश का_"

"यह तुम्हारा भ्रम है कैप्टन बगासी।" राजेश ने बात काटते हुए गंभीर स्वर में कहा।

"तुमको नहीं मालूम कि यह संस्था पूरे विश्व में किस हद तक बदनाम है। यह संस्था राज्यों को ब्लैकमेल करके उनसे बड़ी-बड़ी रकम है वसूल करती है और फिर उन रकमों को आपराधिक कार्यो पर व्यय कर देती है।"

"मैं जानता हूं। सामान्य रूप से यही सोचा और कहा जाता है।"

"तो फिर?" राजेश ने उसकी आंखों में देखते हुए पूछा।

"फिर यह कि मैं अपने देश अफ्रीका को अंग्रेजों से मुक्ति दिलाने के लिए शैतानो से भी गुप्त यंत्रणा कर सकता हूं।"

"अच्छी बात है। तो तुम चुपचुपाते मर जाओगे। तुम्हारे इस कारनामे का विज्ञापन न हो सकेगा।" राजेश ने कहा।

"नहीं।" बगासी ने लापरवाही से कहा। "मेरी आत्मा तो संतुष्ट हो जाएगी।"

कैप्टन बगासी को कैदियों के ही समान खेमों तक लाया गया था। और उसने अपनी मुक्ति के लिए प्रयास भी नहीं किया था। उसके चेहरे से ऐसी संतुष्टि अभिव्यक्त हो रही थी जैसे किसी पुनित ध्येय की प्राप्ति में असफल हो जाने के बाद वीरगति का प्रतीक्षक हो।

"बोस, यह कोड नंबर नहीं बताएगा।" मेकफ ने धीरे से कहा।

"मिस्टर कमलकांत ने मसोमा के बारे में भी यही बताया था।"

"क्या बताया था?" राजेश पूछ बैठा।

"उसके जख्मों पर नमक छिड़का गया था।" मेकफ ने कहा।

"तड़प तड़प कर मर गया था मगर अपना कोड नंबर नहीं बताया।"

"मेरी भी यही धारणा है। मुझे इन लोगों से हमदर्दी है। अत्यंत सुमित्र लोग है किंतु भ्रम में ग्रस्त हो गए हैं। अंग्रेजों से पीछा छुड़ाने के लिए ठगो की गोद में जा बैठे हैं।"

"तो फिर इसका क्या करोगे बोस?"

"सोचना पड़ेगा। हेडक्वार्टर के हवाले नहीं करना चाहता।"

"मैं बताऊं बोस?"

"बताओ।"

"तुम्हारे पास तो नाना प्रकार के इंजेक्शन भी है। मानसिक तौर पर बेकार कर के किसी अस्पताल में डलवा दो।"

"गुड़।" राजेश उसका कंधा थपक कर बोला। "मैं तुमसे सहमत हूं। फिलहाल नींद लाने वाली दवा इंजेक्ट करूंगा।"

अचानक एक हेलिकॉप्टर खेमों के उपर से गुज़रता चला गया। कुछ दूर जाकर फिर पल्टा था। बगासी जो घुटनों में सिर दिये बैठा था चौंक कर उसकी ओर आकृष्ट हो गया।

"जरा देखना तो_" राजेश ने मेकफ से कहा और वो खेमें से निकल गया।

इस बार कदाचित हेलिकॉप्टर कहीं कहीं वायुमंडल में विलंबित हो गया था। ओर उसकी कान फ़ाड़ देनेवाली आवाज एक जगह जमकर रह गई थी। मेकफ वापस आया और चीख चीखकर कहने लगा।

"कृषि विभाग का है। कदाचित हर खेमें पर मच्छर मार दवा छिड़क रहा है।"

फिर मेकफ खड़े खड़े धम से जमीन पर चला आया। राजेश उसकी ओर झपटा। बगासी भी बौखला कर उठ गया।

"अरे यह तो बेहोश हो गया।" राजेश जोर से बोला।

"मम_ मेरा सिर चकरा रहा है।" बगासी ने कहा और आंखें फाड़ने लगा। फिर वह भी लड़खड़ा कर गिर पड़ा।

अचानक राजेश को ऐसा महसूस हुआ जैसे सांसों द्वारा उसके पसीने में लबती हुई भट्ठी उतर गई हो। सांस की नाली में ऐसी ही जलन महसूस हुई थी। फिर आंख, नाक, कान, हर जगह से शोले निकलने लगे। वह दोनों हाथों से सिर थामें बगासी पर ढेर हो गया। अंधेरे के दलदल में दिमाग घंसता चला गया।

और फिर एक आवेगपूर्ण स्वप्न का प्रारंभ हुआ। उसने देखा कि वह काले जंगलीओ के एक झुंड में सम्मिलित हो गया है। वह जंगली अर्धनग्न थे और उनके काले शरीरों पर खरिया से रेखाएं और चक्र बनाए गए थे। उसने देखा कि खुद उसकी हुलिया भी वैसे ही है। उसकी कमर के चारों ओर भी बारीक रेशों वाली घास की झालर सी लिपटी हुई है और वह उन काले जंगलियों के साथ नाच रहा है। ढोल पीटे जा रहे हैं। नाच की गति में तीव्रता आती जा रही है। दूसरों के समान वह भी अपना भाला एक विशिष्ट भाव में नचा रहा है। फिर एक विचित्र प्रकार की तीव्र आवाज सुनाई देती है और नृत्य थम जाता है। और वह सब भयभीत नजरों से की और देखने लगते हैं। राजेश ने देखा कि हाथियों का एक झूंड तेज़ी से उन्हीं की ओर दौड़ा आ रहा है। सारे जंगली उछल-उछलकर एक ओर भागने लगे। राजेश ने भी उनका अनुसरण किया। फिर वह सब एक टीले पर चढ़ने लगे और ऊपर पहुंचकर रुक गए। राजेश ने गर्दन मोड़ कर देखा। हाथियों का झुंड निकट पहुंच चुका था। हाथियों के पीछे मानव रूप में कोई वस्तु थी। एक लंबा बलिष्ट आदमी जिसके शरीर पर जेब्रा जैसी कई और धारियां थी। और अब वह बात राजेश की समझ में आई कि उस विलक्षण आदमी से डर कर हाथी भाग रहे थे। ऐसा लगता था जैसे वह उन्हीं हाथियों में से किसी को पकड़ना चाहता हो। और फिर सचमुच उसने एक हाथी की सूंड पकड़ ली। और उधर वह सारे जंगली पेट के बल लेट गए। उनके ललाट पथरीली धरती से लग गए थे। कदाचित वह पंचांग था मगर राजेश से यह हो ना सका। वह मौन खड़ा आश्चर्य से हाथी और उसे आदमी की खींचतान देखता रहा। हाथी उससे अपनी सूंड छुड़ा लेने के लिए पिछली टांगों पर झुकता चला जा रहा था। मगर सूंड उसके बंधन से नहीं निकल सकी थी। अचानक उस विलक्षण आदमी ने अपना एक घुटना धरती पर टेक कर हाथी को एक ओर उलट दिया। और उसकी गर्दन पर सवार होकर उसके जबड़े में हाथ डाल दिए। वह हाथी का मुंह चीरने की कोशिश कर रहा था। दूसरे हाथी शोर मचाते हुए भाग खड़े हुए थे। उधर उस विलक्षण आदमी ने हाथी का मुख इस हद तक चीर दिया कि उसके दोनों जबड़े की हड्डियां अलग हो गई। अब हाथी के कंठ से बड़ी भयानक आवाजें निकल रही थी। धारीदार आदमी उसे छोड़कर हट गया और फिर उसी ओर दौड़ पड़ा जिधर दूसरे हाथी गए थे। जिस हाथी के जबड़े वह चीर गया था वह ऐंठन की स्थिति में ग्रस्त होकर दम तोड़ रहा था। जंगली शोर मचाते हुए टीले से उतरने लगे। मगर राजेश जहां था वहीं खड़ा रहा। नीचे पहुंचकर मरे हुए हाथी पर जंगली टूट पड़े और उसके शरीर से मांस के बड़े-बड़े टुकड़े काटने लगे।