चमकीला बादल - 8 Ibne Safi द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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चमकीला बादल - 8

(8)

"तुम्हारा संकेत कदाचित शिकारी बिलजेरूप की ओर है।" एक ऑफिसर ने कहा।

"यस सर। मेकफ ने कहा। बिलजेरूप तथा उसके साथी।"

"बिलजेरूप बूढ़ा हो चुका है और रिटायर्ड जीवन व्यतीत कर रहा है।" उसी ऑफिसर ने कहा।

"लेकिन सर वह हमारे लिए लाभदायक जानकारी एकत्र कर सकेगा।" मेकफ ने कहा।

फिर कोई कुछ नहीं बोला और राजेश ने मीटिंग विसर्जित कर दी। मेकफ उसके पीछे-पीछे खेमें से निकला और उसके खेमें तक चला आया।

"अंदर आ जाओ।" राजेश अपने खेमे में दाखिल होता हुआ धीरे से बोला।

मेकफ अंदर दाखिल होकर अटेंशन की पोजीशन में खड़ा हो गया।

"और तुम्हें क्या कहना है?" राजेश ने पूछा।

"क्या कहूं? बस आश्चर्य में पड़ा हुआ हूं।" मेकफ ने कहा।

"क्यों?"

"अभी-अभी जो कुछ मैंने कहा है वह बातें सब ही जानते थे मगर उनमें से किसी ने भी आपको नहीं बताया था। क्या यह आश्चर्य की बात नहीं है?" राजेश मौन रहा और मेकफ ने फिर कहा। "बिलजेरूप ही वह एक मात्र आदमी है जो रिफ्टवैली के जंगलों के बारे में सबसे अधिक जानता है।"

"यह लोग मेरी समझ में नहीं आ रहे हैं।" राजेश ने कहा।

"तुम चिंता न करो बोस। मैं सबसे समझ लूंगा।" राजेश मौन रहा। कदाचित कुछ सोचने लगा था।

"वह चिट्टा तो बिल्कुल ही मौन था। कुछ भी नहीं बोला था।" मेकफ ने कहा।

"किसकी बात कर रहे हो?" राजेश चौंक पड़ा।

"कैप्टन बगासी_" मेकफ ने कहा।

"हूं ।"

"वह काली भेड़ मालूम होती है बोस।"

"कोई प्रमाण?"

"मेरी छठी इंद्रिय बॉस।" मेकफ ने कहा।

"तुम इन लोगों को नहीं जानते मगर मैं उनकी नस नस से वाकिफ हूं।"

"क्या इसकी संभावना है?"

"किसी संभावना को निरस्त न करो बोस।" मेकफ ने गंभीरता के साथ कहा। "जब से आया हूं पूरे देश में गड़बड़ महसूस हो रही है।"

"अच्छी बात है। कैप्टन बगासी पर नजर रखना।" राजेश ने कहा। "यहां पहुंच कर मेरी तो खोपड़ी ही घूम गई है।"

"चिंता ना करो बोस। सब ठीक हो जाएगा।" "तुम अभी तक अपने लोगों से नहीं मिले। क्या बात है?"

"किस से मिलूं बोस?" मेकफ ने ठंडी सांस खींच कर कहा।

"क्या मतलब?"

"शायद अब वहीं मिले जिन्हें नन्हा नन्हा सा छोड़ कर गया था।" मेकफ ने कहा। "वह बेचारे मुझे क्या पहचानेंगे?"

"तुम्हारा अपना परिवार?"

"तुम्हारे अतिरिक्त अब मेरा कोई परिवार नहीं है।" राजेश कुछ कहने ही जा रहा था कि किसी ने बाहर से कहा।

"मैं अंदर आ सकता हूं सर?"

"आ जाओ।" राजेश ने ऊंची आवाज में कहा।

"कौन हो सकता है बोस?" मेकफ ने धीरे से पूछा। मगर राजेश कोई उत्तर ना दे सका। क्योंकि इतनी देर में रेडियो ऑपरेटर द्वार का पर्दा उठाकर अंदर दाखिल हो चुका था।

"क्या है?" राजेश ने पूछा। रेडियो ऑपरेटर एक पर्चा उसकी ओर बढ़ता हुआ बोला। "आपके लिए लासिकली संदेश है। किंतु हम इसे डिकोड करने की क्षमता नहीं रखते।"

"अच्छा लाओ।" वह राजेश को पर्चा थमा कर चला गया। यह कोड वर्ड में जोली का संदेश था। मवानजा से आया था।

"कमलकांत और मसोमा का दारुस्सलाम से पीछा करती हुई मवानजा पहुंची हूं। यहां संगही दिखाई दिया है। बहुत ही साधारण मेकअप में है। कम से कम मैं तो उसे पहचान ही सकती हूं। मसोमा की अनभिज्ञता में कमलकांत उससे मिला था। बहुत देर तक दोनों उसी की गाड़ी में बैठे बातें करते रहे थे। फिर कमलकांत होटल चला गया था और संगही किसी दूसरी ओर निकल गया था।" राजेश लंबी सांस लेकर शून्य में घूरने लगा

"कोई खास खबर बोस?" मेकफ ने पूछा।

"बहुत ही खास।"

"क्या मैं जान सकता हूं?" मगर राजेश ने उत्तर देने के बजाय उससे कहा।

"जाओ जेम्सन को बुला लाओ।" मेकफ चला गया और राजेश फिर शून्य में घूरने लगा। थोड़ी देर बाद जेम्सन को लिए हुए मेकफ अंदर दाखिल हुआ।

"बैठ जाओ।" राजेश ने स्टूल की ओर संकेत किया। जेम्सन खामोशी से बैठ गया। राजेश की गंभीर मुद्रा देखकर उसे कुछ पूछने का साहस नहीं हुआ था। मेकफ मौन खड़ा रहा।

"तुम भी बैठो।" राजेश ने कहा। मेकफ भी बैठ गया। लगभग तीन मिनट तक कमरे में जान लेवा खामोशी छाई रही। फिर राजेश ने मेकफ से कहा।

"देखो खेमें के आसपास कोई मौजूद तो नहीं है?" मेकफ उठकर बाहर निकल आया और खेमें का एक चक्कर लगाकर अंदर दाखिल हुआ और बोला।

"कोई नहीं है बोस।"

"अच्छा बैठो।" राजेश ने कहा फिर जेम्सन को संबोधित करके कहा।

"जेहन पर पूरी तरह जोर देकर बताओ कि इस मध्य तुम्हें कोई ऐसा आदमी तो नहीं मिला था जिस पर तुम्हें संगही का धोखा हुआ हो।

"नहीं श्रीमान जी। मुझे याद नहीं पड़ता।" जेम्सन ने कहा।

"जब यहां पहुंचे थे मतलब यह कि क्लीमनजारो में?"

"जी नहीं। मैं पूरे विश्वास के साथ कह सकता हूं कि अभी तक मेरी नजरों से ऐसा आदमी नहीं गुजरा।" जेम्सन ने कहा।

"यदि ऐसा हुआ होता तो मैंने आपको बता दिया होता। छिपाता क्यों?"

"ठीक है।" राजेश ने कहा और कुछ सोचने लगा।

"मामला क्या है श्रीमानजी?" जेम्सन ने पूछा "बहुत ही संगीन मामला है।" राजेश ने कहा फिर मेकफ की ओर देखकर बोला।

"जाओ और कैप्टन बगासी को बुला लाओ।" थोड़ी देर बाद कैप्टन बगासी भी पहुंच गया था। मगर उसके नेत्रों में उलझन के लक्षण थे।

"बैठ जाओ।" राजेश ने कुर्सी की ओर संकेत करते हुए कहा।

"शुक्रिया सर!" बगासी बैठता हुआ बोला। कुछ क्षणों तक नीरवता छाई रही फिर राजेश ने बगासी से कहा।

"इस पूरी भीड़ में मुझे केवल तुम्हारे नेत्रों में विवेक की झलकियां मिली है।"

"ओह! नहीं सर।" बगासी गड़बड़ा कर बोला। "श_श_शुक्रिया।"

"मैं गलत नहीं कह रहा हूं।" राजेश ने कहा। "यद्यपि तुम कभी कोई राय नहीं देते मगर तुम्हारे नेत्र मनन चिंतन में डूबे रहते हैं।"

"अब मैं क्या निवेदन करूं सर?" बगासी ने खिसियानी हंसी के साथ कहा।

"शिकारी बिलजेरूप से पूछगच्छ करने के संबंध में तुम्हारी क्या राय है? संकोच से काम न लेना। मन की बात कहना।"

"कोई संभाव्य पस्थर उल्टे बिना नहीं छोड़ना चाहिए।" बगासी ने कहा।

"उसका कोई न कोई साथी अवश्य होगा जो हमारे काम आ सके।"

"गुड़।" राजेश ने चहककर कहा। "तो बस अब केवल हम चारों ही चलेंगे।"

"कौन चारों?"बगासी ने पूछा।

"मैं, तुम और यह दोनों।"

"मगर ऐसा क्यों सर?"

"इसलिए की सैनिक चाहे सादे लिबास ही में क्यों ना हो अपनी चाल ढाल से फौरन पहचान लिया जाता है।"

"यह बात तो है सर।" बगासी ने सिर हिला कर कहा।

"दूसरी बात यह है कि_" राजेश उसे समझाता हुआ बोला। "दो-चार लोगों पर नजर रखना सरल है उनके स्वभाव और प्रवृत्ति में परिवर्तन कराया जा सकता है किंतु पूरी टुकड़ी पर प्रभावकारी होना संभव नहीं।"

"मैं समझ गया सर किंतु केवल चार व्यक्ति यह तो उचित नहीं प्रतीत होता।"

"क्यों?"

"इसलिए कि दूसरे खतरे_"

"इसकी चिंता ना करो।" राजेश ने बात काट कर कहा। "ममान्डा में ऐसे पेशेवर मजदूर मिल जाएंगे जो हमारे काम आ सके।"

"बहुत मुश्किल है।" बगासी ने कहा।

"क्यों?"

"इसलिए कि कीगोमा के आसपास गांव भी खाली होते जा रहे हैं।"

"यह कैसे मालूम हुआ?" राजेश ने पूछा।

"मैंने सुना है।" राजेश पूछने जा रहा था कि किस से सुना है कि मेकफ बोल पड़ा।

"मैं भी कुछ निवेदन करूं सर?"

"कहो_" राजेश ने कहा।

"ममान्डा से कोई नहीं हटा।" मेकफ ने कहा।

"मजदूर एकत्र करना मेरी जिम्मेदारी। इसके अतिरिक्त बिजलेरूप को भी बातचीत पर आमादा कर सकूंगा।" कैप्टन बगासी कुछ बोला नहीं। बस उसे घूर कर रह गया।

"अब क्या कहते हो?" राजेश ने बगासी से पूछा।

"मैं इनकार तो नहीं कर सकता सर, केवल खतरों का एहसास दिलाना चाहता था।" बगासी ने कहा।

"अच्छा तो बस तैयार रहना हम चारों किसी भी समय निकल पड़ेंगे।"

"जैसी आपकी इच्छा।" बगासी ने ऐसे भाव में कहा जैसे उससे जबरदस्ती यह बात मनवाई जा रही हो।

"दूसरों को हमारी स्कीम का पता न चल पाए।" राजेश ने कहा। "हम उन्हें यहीं छोड जाएंगे।"

बगासी मौन रहा और राजेश ने फिर कहा। "और यह आवश्यक भी नहीं है कि हम फौरन ही जंगलों में घुस पड़े। फिलहाल यात्रा का ध्येय केवल बिछलेरूप से आवश्यक जानकारी प्राप्त करना है।"

"जी अच्छा।" बगासी ने कहा।

"डिसमिस_" राजेश ने हाथ उठाकर कहा। कैप्टन बगासी चला गया और राजेश ने मेकफ से कहा।

"अब तुम बगासी पर नजर रखना मगर वह किसी अपरिचित से संबंध स्थापित करने की चेष्टा करें तो फौरन गला दबा देना।"

"ओके बॉस।" मेकफ ने कहा और वह भी खेमें से निकल गया।

"अब आप फरमाइए जनाब अली।" राजेश ने जेम्सन से कहा।

"मैं क्या फरमाऊं?" जेम्सन ठंडी सांस खींच कर बोला।

"क्यों? क्या हुआ?"

"हुआ क्या? बे मौत मारा गया हूं।" जेम्सन ने फिर ठंडी सांस खींची। "दोगला समझकर कोई निग्रेस भी लिफ्ट देने को तैयार न होगी।

"हां यह तो है।" राजेश ने कहा। फिर पूछा।

"आपके राजकुमार जी क्या करते फिर रहे हैं?"

"मैं क्या जानूं?" जेम्सन ने भल्ला कर कहा।

"सूचना मिली है कि वह संगही के चक्कर में पड़ गए हैं।"

"नन_ नहीं।" जेम्सन ने बौखलाकर कहा।

"सूचना सच्ची है।"

"कक_ कहां?"

"फिलहाल मवानजा में है।" राजेश ने कहा

"लेकिन योर मैजेस्टि। यह इस समय की बात मेरी समझ में नहीं आई।"

"कौन सी बात?"

"बाद में आपने मेकफ को जो आदेश दिया है उससे तो यही प्रकट होता है कि आप कैप्टन बगासी पर संदेह कर रहे हैं।"

"तुम्हारा विचार ठीक है।"

"तो फिर उससे इस प्रकार की बातें क्यों कर डाली? पूरी स्कीम ही से सूचित कर दिया।" राजेश हंस पड़ा। फिर बोला।

"संदेह को विश्वास की सीमा तक ले जाना चाहता हूं। और यदि यह बात दूसरों तक पहुंच गई तो कोई अंतर नहीं पड़ेगा। बस देखते जाओ‌।"

"आपकी बातें आप ही जानें।" जेम्सन ने कहा।फिर पूछा। "आपने मुझे क्यों तलब किया है?"

"यह पूछने के लिए कि तुम अपने लिए क्या चाहते हो?"

"वही जो आप चाहे।"

"मैं तो यह चाहता हूं कि तुम अब मेरे साथ रहो।"

"मैं इसे अपना सौभाग्य समझूंगा। जेम्सन ने कहा। "किंतु आपको इतना सीरियस देखकर मुझे दुख पहुंचा है।"

"क्या मुझे सीरियस नहीं होना चाहिए?" जेम्सन कुछ कहने ही वाला था कि मेकफ बौखलाया हुआ अंदर दाखिल हुआ। उसकी बौखलाहट देखकर राजेश चौंक पड़ा। उसने पूछा।

"क्यों? क्या बात है?"

"बब_ बगासी।"

"क्या हुआ बगासी को?"

"वह सचमुच किसी और का आदमी है बोस।" मेकफ हांफता हुआ बोला।

"कैसे मालूम हुआ?"

"अभी-अभी मैंने चेक किया है।"

"बैठ जाओ और अपने आप को संभालो।" राजेश ने स्टूल की ओर संकेत करते हुए कहा। मेकफ बैठ गया और राजेश ने कहा।

"अब बताओ।"

"यहां से निकल कर बगासी सीधा झाड़ियों की ओर गया था। कदाचित दीर्घशंका के लिए। उधर टिले की निकट वाली झाड़ियों में। मैं भी पहुंचा और आश्चर्यचकित रह गया।"

"दीर्घशंका करते देखकर?" जेम्सन बोल पड़ा। "तुम चुप रहो।" मेकफ भन्ना कर बोला। राजेश ने भी हाथ उठाकर उसे मौन रहने का संकेत किया था फिर मेकफ से कहा।

"कहो क्या कह रहे थे?"

"वह ट्रांसमीटर पर किसी से बात कर रहा था। और जानते हो बॉस कि वह ट्रांसमीटर कैसा था?"

"यह तो तुम ही बताओगे।" राजेश ने कहा। "फाउंटेन पेन जो उसके जेब में लगा रहता है और जिसे हम सब देखते रहते हैं उसी फाउंटेन पेन का कैप ईयर फोन बन गया था और नीब वाले भाग को अधरों के निकट लाकर किसी से बातें कर रहा था।"

"क्या बात कर रहा था?" राजेश ने पूछा।

"हमारे बारे में किसी को रिपोर्ट दे रहा था।" मेकफ ने कहा। कुछ देर पहले की सारी बातें दुहराई थी।"

"ठीक है।" राजेश ने सिर हिला कर कहा। फिर पूछा। "अब यह बता कि आखिर तुझे किस आधार पर वह संदिग्ध मालूम हुआ था?"

"केवल वही तुम्हारे टोह में रहता है बोस। और तुम्हारे सामने पहुंचकर ऐसा बन जाता है जैसे सम्मान और आदर करने के अतिरिक्त और कुछ जानता ही ना हो। जब कभी मीटिंग होती है तो गुमसुम बैठा रहता है। न कभी कुछ कहता है और न पूछता है।"

"ट्रांसमीटर पर किसी का नाम लेकर संबोधित किया था?" राजेश ने पूछा।

"यह मैं नहीं बता सकता बोस।" मेकफ ने कहा।

"मैं उसके निकट उस समय पहुंचा था जब वह आधी बात कर चुका था।"

"अच्छी बात है।" राजेश उठता हुआ बोला।

"अब तुम दोनों अपने-अपने ठिकाने पर जाओ।"

"जो हुक्म।" मेकफ उठता हुआ बोला। "मगर एक बात अवश्य कहूंगा।

"वह क्या?"

"बगासी के प्रति जो कुछ करना है जल्द कर डालो। वरना हो सकता है कि वह हमें किसी बड़े चक्कर में डाल दे।"

"चिंता न करो। मैं देखूंगा।" राजेश ने कहा। "अब जाओ।" मेकफ और जेम्सन बाहर निकल गए।

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