चमकीला बादल - 9 Ibne Safi द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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चमकीला बादल - 9

(9)

कमलकांत ने तैराकी के घाट पर कोलाहल मचा दिया था। तैराकी के ऐसे ऐसे करतब दिखाता कि घाट पर भीड़ एकत्र हो जाती थी। मवानजा में उनका तीसरा दिन था। संगही से दोबारा मुलाकात नहीं हुई थी। मसोमा की तेज़ निगाहें हर समय संगही की खोज में रहती थी। यहां इस समय विक्टोरिया के इस तट पर भी जहां तैराकी होती थी उसे संगही की तलाश थी। हो सकता है कि वह संगही की असलियत को न जानता रहा हो किंतु कमल के अज्ञात साथी की हैसियत से संगही उसके लिए महत्वपूर्ण था। संगही के प्रति कदाचित मसोमा इस भ्रम में पड़ गया था कि वह कमल का वही अज्ञात साथी है जिसकी उसे तलाश थी। और कदाचित यह उन दोनों से दूर-दूर रह कर उन दोनों की निगरानी कर रहा था। मसोमा अब अकेला भी नहीं था। उसने अपने कई आदमी तलब कर लिए थे जो यहां भी उसके आसपास मौजूद थे। मगर कमल को इसका ज्ञान नहीं था। वह तो लड़कियों को अपने करतब दिखाने में मग्न था। बिल्कुल किसी डॉल्फिन मछली के समान जल के तल से ऊपर उछलता और शरीर को चक्कर देता हुआ फिर पानी में जा रहता। एक लड़की खास तौर से उसके आसपास चक्कर लगा रही थी। लहजे से इटालियन मालूम होती थी। वह बार-बार उससे कहती।

"मुझे भी सिखा दो। किस प्रकार करते हो?"

"यह सीखने की वस्तु नहीं।" कमल ने कहा।

"फिर?"

"यह आदत है।" कमल ने कहा। "मैं तो समुद्र ही में पैदा हुआ था‌।"

"मूर्ख बनाने की कोशिश न करो।" लड़की ने हंसते हुए कहा।

"इसमें मूर्ख बनाने की क्या बात है?"

"आदमी समुद्र में नहीं पैदा हुआ करता।" लड़की ने कहा फिर विनयभरे स्वर में कहा। "देखो मुझे भी यह सब करतब सिखा दो।"

"बहुत थक गया हूं।" कमल ने कहा।

"चलो किनारे पर चलें।" दोनों तैरते हुए थल पर आए और लड़की ने उसका हाथ पकड़ते हुए कहा।

"आओ चलें।"

"कहां?" कमल ने पूछा।

"मेरी छतरी के नीचे।" कमल कुछ न कह कर उसके साथ चल दिया।

"कहां से आए हो?" लड़की ने पूछा।

"फिलहाल तो दारुस्सलाम से आया हूं।" कमल ने कहा।

"मेरा मतलब यह था कि कहां के रहने वाले हो?"

"मैं जहां जाता हूं वहां का रहने वाला हो जाता हूं।" कमल ने कहा।

"शायद तुम बताना नहीं चाहते।" लड़की ने कहा।

"सवाल यह है कि अगर बता भी दूं तो तुम्हें क्या लाभ पहुंचेगा?"

"पूरा परिचय प्राप्त हो जाएगा।" लड़की ने हंसकर कहा।

"अच्छा तो सुनो। मैं तुर्की से आया हूं।" कमल ने कहा।

"तुम्हारी रंगत बहुत साफ है।"

"यह तुर्की के जलवायु का प्रभाव है।"

"मैंने तुमको उसे काले आदमी के साथ देखा था।" लड़की ने मसोमा की और संकेत करके कहा जो उनसे दूर बैठा हुआ था। मगर कभी-कभी उनकी और भी देख लेता था।

"वह यहीं का निवासी है।" कमल ने कहा। "और मेरा मित्र है।"

"बड़ी विचित्र बात है।" लड़की ने हंसकर कहा।

"क्या मतलब?"

"मित्रता करने के लिए तुम्हें और कोई नहीं मिला था जो तुमने उसे काले कलूटे आदमी से मित्रता की।" कमल हंसने लगा किंतु दूसरे ही क्षण उसकी हंसी में ब्रेक भी लग गया कारण यह था कि ठीक उसी समय उसने मसोमा को अपने स्थान से उठकर एक ओर दौड़ते हुए देखा था। वह बौखलाकर सीधा हो बेठा। कदाचित लड़की ने भी मसोमा को दौड़ते हुए देख लिया था। उसने कमल की ओर देखकर कहा।

"यह तुम्हारे मित्र को हो क्या गया है? अचानक अपने स्थान से उठ कर पागलों के समान भागा क्यों?"

"मैं क्या बताऊं? मैं तो तुम्हारे साथ हूं।" कमल ने लापरवाही का प्रदर्शन करते हुए कहा।

वैसे वह खुद चिंता में ग्रस्त हो गया था। लड़की कुछ नहीं बोली और कमल उठ गया।

"कहां चले?" लड़की ने पूछा।

"जरा देखूं कि मामला क्या है।" कमल ने कहा और लड़की के बोलने की प्रतीक्षा किए बिना उसी और बढ़ने लगा जिधर मसोमा गया था। लड़की वही बैठी उसे जाता देखती रही। मगर कमल की भागदौड़ का कोई फल नहीं निकला। मसोमा न जाने कहां गायब हो गया था। वह थक हार फिर लड़की की ओर पलट आया। लड़की कुछ देर तक उसे ध्यान पूर्वक देखती रही फिर पूछा।

"क्या बात थी?"

"पता नहीं।" कमल ने कहा।

"क्यों? क्या वह तुम्हें नहीं मिल सका?"

"नहीं। अगर मिला होता तो पता चल ही जाता।"

"बड़ी विचित्र बात है। आखिर वह इस प्रकार क्यों भागा था?"

"अगर मुझको तुम्हारे साथ न देखता तो कदापि न भागता।"

"क्या मतलब?"

"मतलब तो मेरी समझ में भी नहीं आया।"

"तो वाचाल भी हो।" लड़की हंस पड़ी। कमल कुछ न कह कर हंसने लगा। अचानक लड़की ने कहा।

"मेरा नाम एमीलिया है और तुम?"

"मैं गजन बगा बोज हूं।" कमल ने कहा।

"यह तुम्हारा नाम है?" एमिलीया ने आश्चर्य से कहा।

"हां ।"

"बड़ा टेढ़ा नाम है। ना मैं जबान से कह सकूंगी न याद रख सकूंगी।"

"फिर तुम जो नाम चाहे मुझे दे सकती हो।" "छोड़ो भी। नामों में क्या रखा है?" एमिलीया ने कहा। "नाम भुला दिए जाते हैं। कल तुम कहीं और होंगे और मैं कहीं और।" कमल कुछ नहीं बोला। वह बोर हो रहा था। अब उसे उस लड़की एमिलीया से तनिक भी दिलचस्पी नहीं रह गई थीं। उसका जेहन मेसोमा में उलझ गया था। अब वह अति शीघ्र होटल तक पहुंचाशना चाहता था। मगर लड़की जान को आ गई थी। बड़ी-बड़ी कठिनाइयों से उससे पीछा छुड़ाकर होटल पहुंचा किंतु मसोमा होटल में भी नहीं मिला। उसकी चिंता और बढ़ गई। कमरे की कुंजी काउंटर क्लर्क की तहबिल में थी। उससे कुंजी लेकर कमरे में आया। थोड़ी देर बाद किसी ने बाहर से आवाज दी।

"कौन है?" कमल में अंदर से पूछा।

"वेटर।" बाहर से कहा गया।

"क्या बात है?"

"आपकी फोन कॉल है।"

"चलो मैं आ रहा हूं।" कमल ने कहा फिर वह कमरे से निकल कर काउंटर पर आया। यहां कमरों में फोन सर्विस नहीं थी। उसने रिसीवर उठाकर कान से लगाया और दूसरी ओर की आवाज सुनाई दी। कोई कह रहा था।

"कौन कमलकांत?"

"हां कमल कांत ही है।" उसने माउथपीस में कहा।

"मैं संगही बोल रहा हूं।" दूसरी ओर से कहा गया।

"ओह क्या बात है?"

"तुम्हारे साथी ने अपने आदमियों सहित मुझे घेरने की कोशिश की थी।"

"किस साथी की बात कर रहे हो?" कमल ने अनजान बनते हुए पूछा।

"मसोमा की।"

"मगर कब? कहां?"

"तैराकी के तट के निकट।"

"फिर क्या हुआ?" कमल ने अधीरता से पूछा।

"उसके पांचो साथियों में से तीन जख्मी हुए और दो मर गए।"

"और खुद मसोमा?"

"वह इस समय मेरी कैद में है।"

"ओह!"

"समय नष्ट न करो।" आवाज आई। "फौरन होटल छोड़ दो।"

"सामान?" कमल ने पूछा।

"अपना और उसका सामान वहीं छोड़ दो। केवल अपने कागजात लेकर निकल आओ।"

"सवाल तो यह है कि निकल कर जाऊं कहां?"

"मेरे पास आ जाओ।"

"तुम कहां हो?" कमल ने पूछा।

"मुझ तक पहुंचने का तरीका सुनो। तट पर वह लड़की अब भी उसी छतरी के नीचे बैठी हुई है। मेरा अर्थ उस लड़की से है जिसने तुमको अपना नाम एमिलिया बताया था। तुम अति शीघ्र वही पहुंचो। लड़की से कहना कि मुझे मिस्टर वेसली के पास ले चलो।"

"बस इतनी सी बात?" कमल चहक कर बोला।

"जल्दी करो।"

"ओके।" कह कर कमल ने रिसीवर को क्रेडिल पर रख दिया। फिर कमल ने किसी आज्ञाकारी सेवक के समान संगही के परामर्श का पालन किया था। यह जानकर उसे बड़ा हर्ष हुआ था कि एमिलिया का संबंध संगही से है। इस प्रकार एमिलीया के साथ कुछ और समय व्यतीत करने का अवसर अपने आप मिल गया था। तट तक पहुंचने में देर नहीं लगाई थी। सचमुच एमिलीया उसी छतरी के नीचे दिखाई दी। अधलेटी अवस्था में। सिगरेट के हल्के-हल्के कश लगा रही थी। उसे देखकर सीधी हो बैठी।

"मैं फिर आ गया।" कमल ने कहा। "तुम्हें आश्चर्य तो हो रहा होगा?"

"बिल्कुल नहीं।" एमिलीया ने हंस कर कहा। "मैं जानती थी कि तुम अवश्य आओगे।"

"तब तो मुझे तुमको त्रिकालदर्शी समझना चाहिए।" वह हंसने लगी फिर बोली।

"मेरे योग्य कोई सेवा?"

"मुझे मिस्टर वेसली के पास ले चलो।"

"तुम मिस्टर वेसली को क्या जानों?" एमिलिया ने विस्मय के साथ पूछा।

"समय नष्ट न करो। मुझे जल्दी है।" "अच्छा-अच्छा चलो।" उसने कहा और उठकर अपना सामान समेटने लगी। उधर कमल सोच रहा था कि कहीं मसोमा का कोई आदमी विशेष रूप से उसकी निगरानी न कर रहा हो। यह आवश्यक तो नहीं कि वह केवल पांच ही रहे हो। एमिलिया उसे एक स्पोर्ट कार तक ले आई। कमल ने उसके लिए स्टीयरिंग साइड का दरवाजा खोला।

"शुक्रिया_" वह सीट पर बैठी हुई मुस्कुराई। कमल दूसरी ओर से घूम कर उसके बगल ही में बैठ गया और कार चल पड़ी।

"तुमने अपना नाम क्या बताया था?" एमिलीया ने पूछा।

"नाम_ नाम? हां कुछ बताया तो था मगर अब याद नहीं आ रहा है।" एमिलीया खिलखिला कर हंस पड़ी। काफी देर तक हसती रही और कमल मन ही मन हर्षित होता रहा। जब वह मौन हुई तो कहने लगा।

"जानती हो मैं क्यों चला गया था?"

"मैं क्या बता सकती हूं?"

"मुझे अपने कलूटे मित्र की चिंता हो गई थी। इसीलिए जाना पड़ा था। वरना तुम्हारा साथ छोड़ना सरल नहीं।"

"क्यों?कोई खास कारण?"

"हां _ और यह कि तुम बहुत सुंदर हो एमी।"

"चापलूसी की बातें नहीं।" एमिलीया ने कहा। "वह खेल तुम्हें मुझे सिखाना ही पड़ेगा।"

"अच्छा-अच्छा। सिखा दूंगा।"

"मैंने आज तक किसी को ऐसा करते नहीं देखा।"

"और मैंने तुम जैसी सुंदर लड़की आज तक नहीं देखी।"

"अगर मुझसे तुम पर नजर रखने को न कहा जाता तब भी तुम्हारा वह खेल मुझे अपनी और आकृष्ट कर लेता और मैं तुमसे मिल बैठती।" कमल ने उससे यह नहीं पूछा कि उसे किसने उसे पर नजर रखने को कहा था क्योंकि संगही से ही यह बात उसे मालूम हो चुकी थी कि वह संगही की साथी है। उसने कहा।

"तब तो मैं बड़ा भाग्यशाली हूं। अच्छी बात है। मैं तुम्हें पानी के खेल सिखा दूंगा।"

"मैं तुम्हारा नाम भूल गई।" एमी ने कहा।

"मैं भी भूल गया। कमल कह कर हंसने लगा।

"यह कैसे संभव है?"

"भला कोई अपना नाम भी भूलता है?"

"बात वास्तव में यह है कि मैंने अपना सही नाम तुम्हें नहीं बताया था।"

"तो अब बता दो।"

"कमलकांत वैसे केवल कमल भी कह सकती है जैसे मैं तुमको एमिलिया कहने के बजाय केवल एमी कह रहा हूं।"

"कमल! यह याद रहेगा। छोटा सा नाम कमल अच्छा है।"

इतनी देर में वह आबादी से दूर निकल आए थे। फिर कुछ देर बाद उनकी गाड़ी एक कृषि फार्म की सीमाओं में प्रविष्ट हुई। खेतों के मध्य एक बड़ी सी इमारत थी उसके सामने गाड़ी रोककर एमिलीया ने कहा।

"यह मेरा घर है।"

"मगर मैं तो मिस्टर वेसली से_"

"चिंता न करो। वह मेरे चाचा है।" एमली ने बात काट कर कहा। "और यहीं रहते हैं।" कमल सोचने लगा कि अगर वेसली सचमुच एमली का चाचा है तो फिर वह भी इटालियन ही होगा। मगर यह संगही_? सोच रहा था कि संगही बरामदे में खड़ा नजर आया। उसके साथ नाटे कद का एक मोटा सा आदमी नजर आया। गौरवर्ण था। कदाचित वही एमली का चाचा वेसली था। कमल गाड़ी से उतर आया मगर एमी बैठी रही। कमल ने मुड़कर उसकी और देखा ही था कि बरामदे से संगही की आवाज आई।

"फिलहाल इसका समय नहीं। वह फिर मिल जाएगी।" संगही ने यह बात हिंदुस्तानी में कही थी। कमल झेंप कर फिर उसकी और आकृष्ट हो गया। कदम तेज कर दिए।

तीनों एक बड़े से कमरे में आए। एमी वहां नहीं आई थी। संगही ने नाटे और मोटे आदमी की ओर देखकर कमल से कहा।

"यही है मिस्टर वेसली। मेरे मित्र है।"

कमल ने वेसली से हाथ मिलाया और फिर संगही को प्रश्नात्मक दृष्टि से देखने लगा। "उसने स्वीकार कर लिया है।" संगही ने कहा।

"किस बात का स्वीकार?" कमल ने आश्चर्य से पूछा।

"उसे तुम्हारे उसे अज्ञात साथी की तलाश है जो तुमसे भी गुप्त रहकर कार्य कर रहा है।"

"मगर तुमने उससे इतनी जल्दी यह स्वीकरण कैसे करा लिया?"