चमकीला बादल - 11 Ibne Safi द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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चमकीला बादल - 11

(11)

राजेश, जेम्सन, मेकफ और कैप्टन बगासी मवानजा पहुंच चुके थे। और जोली को खोजते फिर रहे थे। बगासी के अतिरिक्त राजेश ने और किसी स्थानीय आदमी को साथ नहीं लिया था।

मेकफ पूरी सतर्कता से कैप्टन बगासी की निगरानी कर रहा था। जिस फाउंटेन पेन का उल्लेख उसने राजेश से किया था वह अब भी कैप्टन बगासी की जेब में मौजूद था मगर उसे प्रयोग करने का अवसर मेकफ ने नहीं दिया था। हर वक्त लह कैप्टन बगासी के सिर पर सवार रहता था।

कभी कभी राजेश उन सभी से अलग होकर जेबी ट्रान्समीटर द्वारा जोली से संबंध स्थापित करने की कोशिश करता किन्तु अभी तक संबंध स्थापित नहीं हो सका था।

जेम्सन मेकफ को छेड़ता रहता। कभी कभी दोनों बुरी प्रकार उलझ भी जाते थे। मगर कैप्टन बगासी मूक दर्शक बना रहता। वह हर समय किसी गहरी सोच में डूबा हुआ दिखाई देता। कभी कभी तो ऐसा लगता जैसे उसे आसपास की भी वस्तुएं न दिखाई देती हो। और कानों में कोई आवाज़ ही न पड़ती हो।

राजेश उससे बात बात पर परामर्श करता रहता था। मगर कैप्टन बगासी ने शायद ही खुद से कोई बात की हो। इस समय राजेश उससे पूछ रहा था कि इच्छित एजेंट को तलाश करने के लिए कौन सी प्रणाली अपनाई जाए?

"आपको विश्वास है कि वह इच्छित एजेंट मवानजा में ही है?" बगासी ने राजेश के चेहरे पर नजरें जमाकर पूछा।

"हां ।" राजेश ने कहा।

"तो फिर होटल का रजिस्टर चेक करना चाहिए।"

"इससे भी काम न चलेगा।" राजेश ने कहा।

"क्यों?"

"पता नहीं उसने रजिस्टर में अपना क्या नाम दर्ज कराया होगा।"

"तब तो मुश्किल है।" बगासी ने कहा।

फिर थोड़ी ही देर बाद उन्होंने एक ऐसी बात सुनी जो दावानल के समान मवानजा में फैल रही थी। "किसी चाकू बाज ने दो आदमियों को जान से मार डाला और तीन आदमियों को जख्मी कर दिया मगर कातिल अभी तक पकड़ा नहीं गया।"

शीघ्र ही उन्हें यह भी मालूम हो गया कि घायलों से कहां मुलाकात हो सकेगी। घायलों से कम से कम कातिल की हुलिया तो मालूम ही हो सकती थी। यह खबर मिलते ही राजेश को संगही का ख्याल आया था। उसने कैप्टन बगासी और मेकफ को घायलों से अतिरिक्त जानकारी प्राप्त करने के लिए रवाना कर दिया। उसके बाद जेम्सन से बोला।

"हो सकता है उन पांचो में तुम्हारा मसोमा भी सम्मिलित हो।"

"विश्वास के साथ तो नहीं कहा जा सकता।"

"आक्रमणकारी संगही के अतिरिक्त और कोई नहीं हो सकता।" राजेश ने कहा।

"यह बात आप किस आधार पर कह रहे हैं?"

"संगही दक्ष चाकू बाज है। तीन इंच के फल वाले चाकू से भी प्राणघातक वार कर सकता है।"

"भगवान जाने!" जेम्सन मुंह बनाकर बोला। "मुझे तो अब इस मामले से उलझन सी होने लगी है।" राजेश कुछ नहीं बोला।

फिर दोनों खेमे से बाहर निकल आए। न जाने क्यों किसी होटल रहने के बजाय राजेश ने खेमे ही में रहना पसंद किया था।

"तो उसके लिए आपने क्या निर्णय किया योर मैजेस्टि?" जेम्सन ने पूछा।

"किसके लिए?"

"कीगोमा की यात्रा के लिए। क्या यात्रा पर केवल हम चार ही रवाना होंगे?"

"इस संबंध में अभी कोई निर्णय नहीं कर सका हूं।" राजेश ने कहा।

अचानक एक टैक्सी निकट ही आ रुकी और दोनों उसी की ओर देखने लगे। अगली सीट से मेकफ उतरा था और पिछली सीट से जोली तथा बगासी उतरे थे। जोली पर नजर पड़ते ही राजेश ने संतोष की सांस ली थी। मेकफ ने राजेश को स्लूट किया फिर जोली की ओर संकेत करके बोला।

"यह मुझे हॉस्पिटल के निकट ही मिली थी।"

"हूं _"राजेश ने कहा। फिर जोली से बोला। "तुम अंदर आ जाओ।" जोली खामोशी के साथ खेमे में दाखिल हो गई।

"क्या रहा?" राजेश ने कैप्टन बगासी से पूछा।

"तीनों ज़ख्मियों को नींद का इंजेक्शन दिया गया है। वह बेखबर सो रहे हैं। इसलिए कुछ भी न हो सका।" बगासी ने कहा। "हां इतना अवश्य मालूम हुआ है कि एक जख्मी होश में था और उसने पुलिस को बयान भी दिया था।"

"फिर?" राजेश ने पूछा।

"अब मैं दूसरे साधनों से यह मालूम करने की कोशिश करूंगा कि उस जख्मी ने पुलिस को क्या बयान दिया है।" राजेश कुछ कहने ही जा रहा था कि उसके कानों में आवाज पड़ी।

"ज़ख्मियों के प्रति भी मेरे पास सूचना है।" राजेश ने गर्दन मोड़कर आवाज़ की ओर देखा। खेमे के दरवाजे पर जोली खड़ी हुई नजर आई। उसने फिर गर्दन मोड़ी और उनसे कहा।

"तुम तीनों अपने खेमे में जाओ।"

जब वह तीनों अपने खेमे में दाखिल हो गए तो राजेश भी अपने खेमे में दाखिल हुआ। जोली उसे कुछ बौखलाई सी लगी। उसने जोली से पूछा।

"क्या बात है? तुम कुछ बौखलाई सी लग रही हो?" जोली ने जल्दी-जल्दी कहना आरंभ किया।

"वह पांचो मसोमा के आदमी है। एक जख्मी ने बयान दिया है कि आक्रमणकारी अकेला था। दुबला पतला और काफी लंबा था। नाक चिप्टी थी और मोछे इतनी घनी थी कि उसमें ऊपर और नीचे दोनों होंठ छुप कर रह गए थे।"

"मेरा अनुमान गलत नहीं था।" राजेश ने लंबी सांस लेकर कहा फिर पूछा।

"मगर तुम कहां थी? हम तुम्हें तलाश करते फिर रहे थे।"

"मैं कमल की निगरानी कर रही थी।" जोली ने कहा।

"उसकी क्या खबर है?"

"कमल को भी उसी इमारत में पहुंचा दिया गया है जिस इमारत में मैंने संगही को देखा था। तैराकी के घाट से एक लड़की उसे उसमें ले गई थी। वह इमारत एक कृषि फार्म के मध्य में स्थित है। यहां से उसका फासला चार-पांच किलोमीटर होगा।"

"उसे कोई लड़की ही ले जा सकती है।" राजेश ने मुंह बनाकर कहा।

"झील में तैराकी के कमाल दिखा रहा था।" जोली ने कहा। कई लड़कियों ने उसे घेर लिया था। फिर उन्हीं में से एक लड़की उसे अपने साथ ले गई।"

"तो क्या तुम यह चाहती थी कि सब लड़कियां है उसे ले जाती?"

"बको मत।" जोली झनझना कर बोली। "कमल की खबर लो। पता नहीं संगही या उसके आदमी कमल के साथ कैसा व्यवहार करें।"

"क्या तुम कमल से मिली नहीं थी?" राजेश ने पूछा।

"नहीं।"

"क्यों?"

"मैंने उससे मिलना उचित नहीं समझा था।" जोली ने कहा।

"हालांकि उससे मिलना आवश्यक था।" राजेश ने कहा। "कम से कम वह तो मालूम ही हो जाता कि संगही ने उससे किस प्रकार की बातें की थी।" जोली मौन रही। राजेश ने कहा।

"चलो बताओ वह इमारत कहां है।"

उनके पास दो गाड़ियां थी। एक में जेम्सन, मेकफ और कैप्टन बगासी बैठे। और दूसरे में जोली के साथ राजेश बैठा। और दोनों गाड़ियां चल पड़ी। राजेश की गाड़ी आगे थी और जोली पथ प्रदर्शन कर रही थी। अचानक जोली ने पूछा।

"तुमने जेम्सन पर जो अनुभव किया था उसका क्या परिणाम निकला?"

"गूंगे एकत्र करके उनका ब्लड ग्रुप मालूम किया जाता है।" राजेश बता रहा था। "जेम्सन अपना रक्त विश्लेषण के लिए देकर अस्पताल से भाग निकला था।"

"वह क्यो?"

"किसी प्रकार उसने मालूम कर लिया था कि वह ब्लड ग्रुप मालूम करना चाहते हैं।"

"तो मानो_ वह गूंगे।"

"हां_" राजेश बात काट कर बोला। "यहां गूंगो पर ही अनुभव किया जा रहा है। अच्छा तुम बहुत स्थान दिखाकर जेम्सन के साथ वापस चली जाना।"

"मैं भी यही चाहती हूं। बहुत थक गई हूं। मगर पहले तुम वचन दो कि बिना सोचे समझे कोई कदम नहीं उठाओगे।"

"मैं ऐसा कोई वचन नहीं दे सकता।" राजेश ने कहा।

"क्यों?"

"इसलिए कि कभी-कभी कुछ सोचने विचारने का अवसर ही नहीं मिलता।"

"तो फिर मैं तुम्हारा साथ नहीं छोड़ सकती।" जोली ने कहा। "हमारे चीफ पवन ने मुझे इसीलिए भेजा है कि तुम्हें मूर्खताओं में पड़ने से बाज रखूं।" राजेश मौन रहा। थोड़ी ही देर बाद जोली ने एक ओर हाथ उठाकर कहा।

"वह देखो बाईं ओर खेतों का सिलसिला फैला हुआ है। वही फ़ार्म है। कुछ अंदर जाकर उसे टीले के पीछे वह इमारत है।"

राजेश ने खिड़की से हाथ बाहर निकाल कर पिछली गाड़ी को रोकने का संकेत किया और फिर अपनी गाड़ी रोक दी।

"जेम्सन के साथ चली जाना।" राजेश ने धीरे से कहा।

"मैं नहीं जाऊंगी।" जोली ने कहा।

"उठाकर पटक दूंगा।" राजेश ने कहा।

"जो दिल चाहे करो मगर मैं जाऊंगी नहीं।" राजेश कुछ नहीं बोला क्योंकि पिछली गाड़ी भी निकट ही आकर रुक गई थी।

"उतरो और वापस जाओ।" राजेश ने कहा।

जोली ने उसे घूर कर देखा मगर कुछ बोली नहीं। खामोशी से नीचे उतर गई। राजेश भी नीचे उतरा। दूसरी गाड़ी के वह तीनों नीचे उतर आए थे। राजेश ने जोली की ओर संकेत करके जेम्सन से कहा।

"इन्हें वापस ले जाओ। हमारी वापसी की प्रतीक्षा करते रहना।"

"आईए।" जेम्सन ने जोली से कहा। उसके नेत्रों में बड़ी विचित्र से चमक नजर आई थी जैसे किसी उक्ता देने वाले कार्य से छुटकारा प्राप्त हो गया हो।

जोली भी दूसरी गाड़ी की ओर बढ़ गई थी। कदाचित बगासी की मौजूदगी के कारण उसने बात बढ़ाना उचित नहीं समझा था वरना तेवर तो बहुत ही बुरे थे।

"बैठ जाईए।" जेम्सन ने कहा। "वापसी पर समझ बूझ लीजिएगा।" जेमसन ने मुस्कुराते हुए कहा।

जोली उसे घूरने लगी फिर खामोशी से बैठ गई। जेमसन ड्राइविंग सीट पर बैठा। इंजिन स्टार्ट हुआ। गाड़ी मोड़ी गई और फिर तीव्र गति से चल पड़ी।

"कैप्टन बगासी?" राजेश ने उसे संबोधित किया।

"येस सर।"

"अब हम जिस आदमी से दो चार होने वाले है वह अत्यंत खतरनाक आदमी है। तुमने अनुमान लगा लिया होगा कि वह कौन है।"

"मैं कुछ नहीं समझा सर।" बगासी ने कहा। "आप किस आदमी की बात कर रहे हैं?"

"मैं उस आदमी की बात कर रहा हूं जिसके हाथों दो आदमी जान से मारे गए और तीन आदमी जख्मी हो कर अस्पताल में पड़े है।"

"एक बात कहूं सर?" बगासी ने कहा।

"अवश्य कहो।"

"आखिर उस आदमी से हमें क्या सरोकार?" बगासी ने पूछा।

"मेरे एक एजेंट को उसने गिरफ्तार कर लिया है और उसे छुड़ाना आवश्यक है वरना हो सकता है कि उस एजेंट को मार डाले।"

"यह तो बहुत बुरा हुआ सर।" बगासी ने कहा।

"होता ही रहता है। हमें सतर्क रहने की आवश्यकता है।"

"मैं पूर्ण रूप से सतर्क रहूंगा सर।"

"तुम्हारे पास खाना तलाशियो का विशिष्ट आज्ञा पत्र मौजूद है ना?"

"येस सर।"

"तो फिर गाड़ी में बैठो।" राजेश ने कहा।

इस बार मेकफ के बजाय खुद राजेश ने स्टेयरिंग व्हील संभाली और गाड़ी खेतों की ओर रवाना हो गई। मेकफ पिछली सीट पर चला गया था और बगासी राजेश की बगल में था। राजेश ने कनखियो से देखा। फाउंटेन पेन बगासी की जेब में मौजूद था। वह उसे छिपाने की कोशिश नहीं करता था।

गाड़ी मंद गति से चलती रही फिर खेतों के मध्य वाले चौड़े मार्ग पर मुड़ गई।

"हर प्रकार की स्थिति का सामना करने के लिए तैयार रहो।" राजेश ने कहा।

"मैं तैयार हूं सर।" बगासी ने कहा।

फिर दोनों ही के होल्सटरों से दशमलव चार पांच रिवाल्वर निकल आए। टीले के निकट फिर एक मोड़ आया और इमारत सामने ही नजर आई। राजेश ने एक्सीलेटर पर दबाव डालते हुए कहा।

"हम रेड कर रहे हैं।"

"रेड?" बगासी ने आश्चर्य से कहा।

"हां। रेड_ रस्मी कार्यवाहियों की आवश्यकता नहीं है। समझे?"

"जी हां।" बगासी ने धीरे से कहा और फिर सचमुच वह रेड ही साबित हुआ था। इमारत के रहने वाले बौखला गए थे। एमिलिया भी मौजूद थी और उसका चाचा वेसली भी मौजूद था। यह दशा देखकर वह लोहार की धौंकनी के समान फूल पचक रहा था।

"लंबा आदमी कहां गया?" राजेश ने वेसली से पूछा।

"वह वह तो कहीं चला गया।" उत्तर दिया।

"कहां चला गया?"

"मैं नहीं जानता। उसने बताया नहीं था।"

"कब गया?"

"कुछ देर पहले। मगर मैं नहीं समझ पा रहा।" राजेश ने हाथ उठाकर उसे चुप हो जाने का संकेत किया। फिर एमिलिया से पूछा।

"तुम्हारा साथी कहां गया?"

"कौन साथी?" एमि ने भी सवाल ही किया।

"वही जिसे तुम तैराकी के घाट से यहां लाई थी।"

"वह तो कब का चला गया।" एमी से कहा और राजेश उसे ध्यानपूर्वक देखने लगा। एमी के चेहरे पर परेशानी या घबराहट के लक्षण बिल्कुल नहीं थे।

"उसने जाते समय बताया था कि कहां जा रहा है?" राजेश ने पूछा।

"नहीं।" एमी ने कहा। "मगर यह सब क्या है? तुम उसे क्यों पूछ रहे हो?" राजेश ने कोई उत्तर न देकर बगासी और मेकफ से कहा।

"पूरी इमारत की तलाशी लो।"

"यह ज्यादती है। मैं एक प्रतिष्ठित नागरिक हूं। मेरी इज्जत से खेलने की कोशिश न करो।" कैप्टन बगासी ने हाथ उठाकर कहा।

"देश की सुरक्षा के नाम पर मेरे पास तलाशी लेने का विशिष्ट आज्ञा पत्र मौजूद है। चाहे तो देख सकते हो।" वेसली तो कुछ नहीं बोला मगर एमी ने कहा।

"मैं वह विशिष्ट आज्ञा पत्र अवश्य देखूंगी।" बगासी ने उसे तलाशी वाला आज्ञा पत्र दिखा दिया। फिर राजेश ने बगासी और मेकफ को संकेत किया और वह दोनों तलाशी लेने के लिए चल पड़े। एमी भी उन दोनों के साथ लग गई। मगर वेसली वहीं खड़ा रहा। राजेश भी वही जमा रहा। उसने एमी को आवाज देकर कहा।

"तुम कहां जा रही हो?" एमी रुक कर मुड़ी और तेज़ आवाज़ में बोली।

"हम अपने सामानों की रक्षा का अधिकार रखते हैं‌। अपरिचितों पर विश्वास नहीं कर सकते। चाहे वह कोई भी हो।" राजेश कंधे सिकोड़ कर रह गया और एमी आगे बढ़ गई।

"देखिए श्रीमान जी_" वेसली हांफता हुआ बोला। "जो कुछ किया है उसी ने किया है।"

"किसने?" राजेश ने पूछा।

"उसी लंबे आदमी ने। हम लोग कुछ नहीं जानते।"

"तुम उससे दबते हो?"

"दबना ही पड़ता है श्रीमान जी_" वेसली ने लंबी सांस खींच कर कहा।

"दबने का कारण?"

"हम उसके ऋणी है इसलिए जब चाहता है दबा लेता है।"

"हूं _" राजेश इतना ही कह कर रह गया।

"और उसी शैतान ने उसको जख्मी भी किया है।" वैसली ने कहा।

"किसको?" राजेश बौखला कर बोला। उसका ध्यान कमलकांत की ओर चला गया था क्योंकि जोली ने उसे यही कमल कांत की मौजूदगी की सूचना दी थी।

"काले आदमी को।"

"ओह_" राजेश ने संतोष की सांस ली फिर पूछा। "तो कोई काला आदमी भी यहां मौजूद है?"

"जी हां_ है_"

"लेकिन काले आदमी से तुम्हारा क्या तात्पर्य है?"

"स्थानीय आदमी।"

"उस काले आदमी का नाम तुम्हें मालूम है?" राजेश ने पूछा।

"लंबा आदमी उसे मसोमा कह कर संबोधित कर रहा था।"

"और वह दूसरा जो लड़की के साथ आया था?"

"वह ठीक है।" वेसली ने कहा। "उसने किसी प्रकार की यातना अभी तक नहीं दी है मगर धमकियां देता रहा था। मैं नहीं कह सकता कि आगे वह शैतान उसके साथ कैसा व्यव_"

वेसली बात पूरी न कर सका था क्योंकि अचानक किसी और से एक फायर हुआ था और वह धम से फर्श पर आ रहा था। राजेश ने पोजीशन लेने के लिए एक और छलांग लगाई थी। मगर फिर कोई फायर नहीं हुआ। वह उठकर द्वारा की ओर झपटा। फायर की आवाज सुनकर मेकफ भी दौड़आया था। उसने राजेश को देखते हुए पूछा।

"क्या हुआ बॉस?"

"फायर_" राजेश ने कहा फिर एक और हाथ उठाकर बोला।

"तुम उस खिड़की पर जाओ।" मगर बाहर सन्नाटा था और दूर-दूर तक मकई के खेत लहलहा रहे थे। वेसली मर चुका था और एमि उस पर गिरी हुई सिसक रही थी। फिर सिर उठाकर बोली।

"इसने तुम्हारा क्या बिगाड़ा था?"

"कुछ भी नहीं।" राजेश ने कहा।

"फिर तुमने इसे क्यों मार डाला?"

"मैंने नहीं मारा लड़की_ विश्वास करो।" राजेश ने कोमल स्वर में कहा।

"फिर किसने मारा?"

"बाहर से किसी ने फायर किया था।" इतने में कमल कांत को लिए हुए कैप्टन बगासी वहां आ पहुंचा।

"क्या रहा?" राजेश ने पूछा।

"लह आदमी मर चुका है सर।" बगासी ने कहा और आंखें फ़ाड़ फ़ाड़ कर वेसली को देखने लगा जिसकी दाहिनी कनपटी में सुराख हो गया था।

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