मेरे ज़ज्‍बात Arya Tiwari द्वारा मनोविज्ञान में हिंदी पीडीएफ

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मेरे ज़ज्‍बात

ज़ज्‍बात ऐसे होते है जिसको समझना और समझा पाना दोनो बहुत ही कठिन होते है खासकर जब, हम चाहते हो कि कोई समझे और हम उसके साथ अपना दर्द बांट सके। पर सबकी जि़ंदगी में ऐसा होता है कि आप अपने जज्‍बात उसको बताओ उससे पहले ही वो गैरों की तरह आप पर उंगली उठाने लगेंं, तब आपको ऐसा लगता है कि मैं सच में अकेला हॅुं या शायद कोई मेरे साथ है क्‍योकि आप खुद को यकीन नहीे दिला पाते कि मैं किसके पास जा कर अपने अंदर के सवालों के जबाव ले सकूं। मानता हूँ कि इंसान को हर वक्‍त एक ऐसे इंसान की जरूरत होती है कि जो उसके लिए हर समय साथ देने के लिए तैयार हो, पर वहीं इंसान उसी वक्‍त आप पर उस बात के लिए आपसे रूठ जाएं और खुद के दर्द को शायद और दर्द में डाल कर उसके लिए आपना सब भूल कर उसको मनाने में लग जाए पर आपको भी पता जितने हमारे अधिकार है उनसे ज्‍यादा हमारे विचार है कहा जाता है समुद्र की गहराई एक बार नापी जा सकती है पर इंसान के विचारों की गहराई समझ पाना असंभव है, उसे रोका जा सकता है पर नापा नहीं क्‍योकि विचार भूत, भविष्‍य, वर्तमान को एक साथ देख सकते है यहीं नहीं इतना सही यकीन कर सकते है कि उसे वर्तमान में ला भी सकते है या भूतकाल में हुई घटना को वर्तमान में दोबारा होने के लिए मजबूर कर सकते है ऐसा लगता है वो सालों पुरानी गलती नहीं अभी कल ही की घटना है। शायद मैने कुछ ज्‍यादा ज्ञान दे दिया पर ये विचार एक इंसान के नहीं सबके साथ ऐसा होता है आप सोचिएगा इसमें विषय वस्‍तु अलग हो सकती है पर जज्‍बात लगभग एक ही मिलेंगे। 

   न चल मेरे जमीर उस रास्‍ते पर, जहां जज्‍बात बदलते हो।

मै उस लम्‍हें का हिस्‍सा बना जिस लम्‍हें में शायद मेने सोचा नहीं था, मुझे उम्‍मीद थी कि कोई रहे न रहे मेरे अपने मुझे समझने को हमेशा तैयार होंगे पर अपने मेरे अपने ही गैरों से बढकर निकलेंगे इसका पता नही था, सोचिए आप छोटे में किसी से झगडा करके आगए आपकी गलती नहीं थी बस आपने सहीे का साथ दिया और पर आपके घर वाले बिना बात सुने आप पर हाथ उठाए तो ऐसा  लगा होगा कि क्‍या मेरे विचार या मेरे जज्‍बात इतने काबिल नहीं जिसको मैं किसी को बता पाउ या समझा पाउ, क्‍या मेरे लिए किसी के अंदर कोई अपनापन है या नहीं यही सबाल बचपन का हम सबक लेकर भूल जाते है और जिदगी को आगे ले जाते है। हर एक किस्‍सा हमें याद नही रहता और फिर वहीं गलती करते है फिर वहीं कहानी होती है पर अब वक्‍त बदल गया है पहले याद करने में परेशानी होती थी अब उसको भूलाने में परेशानी होती है क्‍योंकि उम्र ने अब हर चीज को याद कर लिया है और उसे मिटा पाना मुश्किल है बचपन की याद जीना और लम्‍हें को याद कर आगे बढना है यह बताती है पर एक उम्र ऐसी आती है जहां अपनी एक गलती जिंदगी की कहानी बदल जाती हैं और गैरों की बातों को भूूल जाएंगें पर अपने हीं गैरों जैसा बर्ताब करें और ऐसे व्‍यवहार करे जैसे आपने उसको अपनी जिंदगी की किताब में हिस्‍सा देकर कहीं कोई गलती तो नही कर दी्््््् वक्‍त है वो तो चला जाएगा उसका काम ही यही है वो तो आता ही है जाने के लिए पर लोगों के चेहरे और अपने के लिए अल्‍फाज हमेशा साथ रहते है जब अपनों को साथ देना था वो अपना गुस्‍सा निकालकर यह बता रहें थे कि मैने क्‍या गलती की है ।

तेरी तारीफ करने का मन था मेरा तूने दुश्‍मन समझ लियाा।

तेरे होने का एहसास नहीं  मुझेे तुने ऐसा क्‍या कर दिया।।  

अपनों का कहना होता है कि हम चेहरा देखकर बता देते है कि आपको क्‍या तकलीफ है पर एक ऐसा रिश्‍ता होता है जिस पर इंसान खुद पर ज्‍यादा भरोसा करता है उसके हर शब्‍दों का सम्‍मान करता है उसके लिए अपना सपना तक छोड सकता है और यकीन होता भी है पर सबके साथ ऐसा नहीं होता न कुछ वक्‍त कर जाता बुरा कुछ अपने भला होने नहीं देते, आपको भी पता है कि जब अपने आप पर उंगली उठाएं और यकीन की उम्‍मीद न करें और आपको पुरा यकीन हो की आप बेगुनाह हो और आपकों यकीन था कि कोई हो या न हो मेरे साथ मेरे एक र्दोस्त आज मेरी बात मानेगा और सबके सामने मेरा साथ देगा पर पता है खिसियानी बिल्‍ली खंभा नोचे ऐसी हालत हो जाती है जब ऐसा होता है आपको पता है आपको मालूम हो कि आपके पास में सिर्फ एक हफ्ते के हिसाब से धन बचा है पर फिर भी आप उसको हंसी खुशी मान लेते हैै कि अगलेे हफ्ते तक हम कुछ कर ही लेगें क्‍योकि आपको पता होता है कि जब साथ में रहने वाले को यह बताउगां तो वो खर्चा कहां कम करना है इसमें मदद मिलेगी।

दुश्‍मनी और प्‍यार में दुश्‍मनी जीत जाती है,

अपने करते है नाराजगी और दुश्‍मनी बाजी मार ले जाती है।।

परंतु जब जज्‍बात की बात आती है तब सबका दिमाग अलग चलता है क्‍योकि लडाई उसके सम्‍मान पर आ जाती है मालूूम नहीं है कि क्‍या होता है सम्‍मान और सम्‍मान आपनों के बीच आना सही है मेरा ऐसा मानना है सम्‍मान लोगो के लिए होता है अपनों के लिए नहीं जब अपनो के साथ की जरूरत हो तब अपने ही मुह मोड ले तो सब बर्बाद सा लगता है क्‍योंकि यह सब किसके लिए एक आदमी दिन भर काम करता है और सारे काम की टेंशन को आफिस में छोडकर घर जाता है सुकून के लिए मालूूम है घर वो जगह है जहां अपने रहते है और यह सच भी है अपने ही है जिनके लिए सब करते है इतनी बडी दुनिया में एक छोटी दुनिया बनाकर हम जीते है क्‍योकि आप हम सब एक नियम से चलते है जो कि उपरवाले ने बना कर दिया है यहां सब अपनी सोचले हैै अपने को आगे बढाने कि होड सी लगी रहती है पर घरवाले ऐसा नहीं करते है वो साथ लेकर चलते है पर कभी कभी एक ऐसा इंसान जिसपर आप यकीन करते है अपने आप को नीचा दिखाए और यह महसूस कराए कि वो नहीं तो तुम कुछ भी नहीं यह तो वहीं बात हो गई खाली दिपक कह रहा हो बाती से तूझे नहीं जलाएगें तब भी में उजाला कर दूंगा। क्‍या ऐसा संभव है। 

मौत के समंदर में गोता लगाकर आया हूंं,

तूझे क्‍या पता कितने दिन गुजार के आया हूं

कभी न समझना मेरे जज्‍बातों को बेगुनियाद,

मैं अपनों के लिए मौत से लड़कर आया हूँ।।

दिपक को जब तक पता चलता है कि वो कुछ भी नहीं बाती के बिना तब तक देर हो जाती है, और अंधेरा जाने का नाम नही लेता कयोंकि दिपक और बाती साथ काम करना नहीं चाहते और उनके साथ के बिना उजाला हो नहीं सकता आज के दौर में लोग यह भी सोच रहें होगें कि इतना क्‍यूंं सोचना दूसरा दिपक ले आओ नई बाती भी ले आओ और जला लो फालतू का ज्ञान क्‍यूं देना है पर मेरा आपसे एक सवाल है जिस दिपक ने अपने आप को जला कर आपको रोशन किया क्‍या उसको बदलना आसान होगा अगर बदल भी दिया क्‍या उसकी जगह आप किसी को दे सकते हो 

इलाज कुछ नहीं मेरे दर्द का सबकेे हाल एक जैसे है।

जज्‍बातों के हालात ने सबको खुदगर्ज जो बना रखा है।। 

एक जानवर को आप एक हफ्ते अपने पास रखों और फिर उसको आप छोड कर आजाओं क्‍या आपको उसकी याद नहीं आएगी फिर यह तो आपका अपना हिस्‍सा है जिसे आपने खुद चुना है आपने उसके लिए कई सारी समस्‍याओं को झेला है और उसके कुछ पल बिताए है जो आपको छोड देने के बाद भी भूल नहीं पांएगे  आपनों को भूल पाना आसान नही होता फिर भी उनको समझाना मतलब की जख्‍म को हरा भरा करना है पर वो मानने वाले नहीं है क्‍योंकि वो मानना नहीं चाहते उनको गम में रहने की आदत होती है और हमें लगता है वो हमारे साथ खुश है पर जब बोलते है न की वक्‍त सबका आता है अपने वही वक्‍त ढूंढते है ताकि वो उसे और दर्द दे सके।

मुझे तो बस यहीं चाह थी, कि मै तेरे साथ रहूं ।

पर तेरे शहर में जहर बहुत है मैं और क्‍या कहूं।।

आगे की कहानी में और भी कई अल्‍फाज होगे क्‍योकि यह कहानी भी शुरू हुई है जो कि इतनी आसानी से खत्‍म नहीं होगी इसके आगे मैं यह बताउंगा कि क्‍या हुआ है और क्‍या होने वाला है क्‍योकि अपनों के जज्‍बात को समझना और समझा पाना इतना आसान नहीं है और उनको मनाना भी तो मिलते है आगे की कहानी में आपको सब समझ आ जाएगा की क्‍या चल रहा है आज के इस दौर में्््््््््््््््