आहुति एक ज्वाला! - 4 Madhu द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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आहुति एक ज्वाला! - 4

कर्तव्य अपनी गहरी सोच में कर्स फ़ोर गर्लस कि फ़ाइल अभी भी रीड कर रहा था l कहिं कोई क्लु हि मिल जाय l इस वक़्त कर्तव्य धीर गम्भीर सा माथे कि नसे तने हुई थी कि उसका फोन वाइब्रेट हुआ l मेसेज को देख उसकी आँखें सिकुड़ गई l माथे पर सल पड़ गये!

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वही वो आदमी जो माल उसका जब्त हो जाने से बड़ी हि तेजी से फोन पर मेसेज पर मेसेज किये जा रहा था कोई रेस्पान्स ना मिलने पर दीवार पर अपना फोन इतनी जोर से दे मारा कि उसके चिथड़े चिथड़े हो गये l उस जगह पर एक निगाह डाल फ़ौरन हि निकल पड़ा l इस समय उसका चेहरा गुस्से से लाल पड़ा हुआ था कि इतनी बंदोबस्त के बावजूद उसका माल कोई ले उड़ा उसे खबर तक ना हुई l

एक घंटे बाद.....!

भाऊ भाऊ हमारा सारा माल जब्त कर लिया गया है और हमारे सारे आदमी भी मारे गये! कुछ समझ नहीं आ रहा है कि इतनी बंदोबस्त के बावजूद भी माल कोई ले गया l ये आदमी और कोई नहीं करम सिंह है l

करम सिंह इस वक़्त जो बैठक में बैठे अपने आदमियो संग किसी बात पर चर्चा कर रहा था धरम कि बात कि सुन जोरो से लात टेबल पर मार दिया सारा सामान बिखर गया उसको ऐसा करते देख वहा पर खड़े लोगों के माथे पर पसीना चुहचुहाना लगा ...... सबको बाहर का रास्ता दिखा.... तू ये क्या कह रहा है किसकी शामत आई है जो करम सिंह के माल उठा ले गया साला ######भद्दी सी गाली देकर बोला l

भाऊ वो जो भी कोई है उसका तो मैं पता लगा लुगा आप परेशान मत हो l
करम सिंह इस समय बहुत गुस्से में था l उसने तुरंत हि किसी को काल कर मुझे आज के आज सारी जानकारी चाहिए किसने वो सारा माल जब्त कर लिया l नहीं तो तुम अपना अंजाम सोच रखना समझे l
आज से पहले तो कभी ऐसा नहीं हुआ है ऐसा कौन माई का लाल पैदा हो गया जो मुझसे पंगॆ ले रहा है उसे मालूम नहीं है कि ये करम सिंह क्या है! मुझसे बैर रखना ऐसा हाल करुगा उसकी सात पुस्ते याद रखेगी l
धरम ये सब छोड़ !!मुझे ये बता कि उस लड़की का पता चला कि नहीं! जिस दिन वो मिली ना देखना उसका क्या हाल करता हूँ l
नहीं भाऊ अभी कुछ खबर नहीं! लेकिन हमारे आदमी लगे हुये है l भाऊ अब तो वो 21साल कि हो गई होगी l काफ़ी बदलाव भी आ गया होगा l रमन सिंह को देखते हुये बोला l
"तुम कहना क्या चाहते हो"? रमन सिंह बोला l
"यही भाऊ कि उसको पहचान में भी दिक्कत है इस समय कि कोई भी तस्वीर नहीं है उसकी l "नहीं तो अब तो पता चल हि जाता l करम सिंह बोला l
मैं कुछ भी नहीं सुनना चाहता हूँ करम ....मुझे जल्द से जल्द कही से भी ढून्ढ कर लाओ l अपनी गहरी नजरों से देखते हुये बोला l और जो सब माल उड़ा ले गया है उसका भी पता करो l
हम्म!! भाऊ आप परेशान मत हो l
करम सिंह को किसी को फोन आता है बाद में आकर मिलता हूँ भाऊ अभी राका का फोन आया है जाकर मिलता हूँ l
हम्म! ध्यान रखना अपना l
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ओम इस समय उस केस के बारे में कुछ लीड मिली है उसी से मिलने के लिये आता है आद्रिती के साथ आता है l

सर क्या लगता है आपको यहाँ लीड मिलेगी मुझे तो यहाँ ऐसा कुछ नजर नहीं आ रहा है? आद्रिति चारों तरफ देखते नाक बन्द करते हुये बोली l

ओम जल्दि से आद्रिति के मुहँ पर हाथ धर देता है...! सुनने लगता है कुछ खुसुर फ़ुसुर कि आवाजें आ रही थी l

इस वक़्त वो दोनों एक पुरानी फ़ैक्ट्री के पास थे जहाँ पर दूध बनने का काम होता था l लेकिन अब नहीं आस पास भी काफ़ी गंदगी नजर आ रही थी l

कुछ देर बाद आवाजें आनी बन्द हो गई l चलो अन्दर चल कर देखते हैं क्या माजरा है! ओम अभी भी आद्रिति के मुहँ पर हाथ धरे हुये बोला l

सामने कि ओर ओम देख हि रहा था कि तभी उसे मुक्का जड़ा आद्रिति ने..... आह ...!अपना पेट पकड़ लिया (आखिर आद्रिति एक ट्रेन्ड ओफ़िसर थी)... पागल हो गई हो क्या आदि मारा क्यों?

आद्रिति मुहँ से आवाज निकालने कि कोशिश कि.... तभी ओम तुरन्त हि अपना हाथ हटा लिया l

सॉरी सॉरी आदि धीरे से बोला !!

आदि ओम को घूरती रही l सॉरी अपने पास रखिये सरररर वो भी धीरे से बोली l

घूर क्या रही हो आदि सॉरी बोला ना l अब चलो बाद में घूर लेना l एक निगाह डाल ओम फ़ौरन हि फ़ैक्ट्री के अंदर जाने लगा l

रुकिये सर चल रहे है ना हम भी l
फ़ैक्ट्री के अंदर सन्नाटा पसरा हुआ था सांय सांय कि आवाज आ रही थी l

दोनों हि फ़ैक्ट्री कि छान बीन करने लगते है l ओम और अन्दर कि ओर देखने लगता है आदि नीचे बने हुये बेस्मेन्ट में जाकर देखने लगती है वहा बहुत सारे डिब्बे खाली रखे हुये थे l काफ़ी धूल जमी हुई थी l धूल कि वजह से आदि खांसने लगती है l खाँसने कि आवाज सुनकर ओम तेजी से आता है l क्या हुआ? वो परेशान सा बोला उसका पीठ सहलाने लगता है l
अब कुछ आराम मिला आदि को!!! सर हमारी छोडिये वो चारों तरफ देखते हुये बोली वो सर देखिये क्या है सामने कि ओर इशारा करती है l
ओम कि नजर जैसी हि पडती है उसकी आँखें सिकुड़ गई !!!




वही दूसरी तरफ जब कर्तव्य पहुंचा आहुति को देख अपना सिर अफ़सोस से हिला दिया!!






क्रमशः!!