राखी Devang Kori द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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राखी

आज इतवार है लोगों दवारा सबसे ज्यादा पसंद करने वाला दिन...
आज मेरी भी छुट्टी थी...और मैं घर पर था...
इस बात पे मैं इस लिए जोर डाल रहा हूं क्योंकि बहुत कम बार ऐसा हुआ है कि छुट्टी है और मैं घर पर हूं
पर आप लोग सोच रहे होंगे मैं हूं कौन...?
अजी क्या फर्क पड़ता है नाम में वैसे भी कुछ नहीं रखा किसी का बेटा हूं, किसी का पति हूं, किसी का भाई हूं...
भाई से याद आया "राखी आने वाली है क्या सोचा है आपने...?"
छोड़ो थोड़ा आराम कर लेता हूँ....
पर जैसे ही आंखे बंद करी तभी ऊपर वाले कमरे से चिल्लाने की आवाज आने लगी अगर आप भारतीय परिवार में रहते हैं तो सबसे ज्यादा आवाज आपको छुट्टी के दिन ही सुनने को मिलेगी क्यों कि क्या है ना जहां चार बर्तन इकठ्ठा होंगे वहां शोर तो मचेगा ही... हरिओम
में सीढ़ियों से जैसे जैसे ऊपर की तरफ जा रहा था आवाजे उतनी ही ज्यादा तेज हो रही थी और कुछ शब्द मेरे कानों में पड़े जैसे लड़का, उमर, शादी इन सारे शब्दों से में बात तो समझ गया की ये बहस किस बात पर और घर के किन सदस्यों के बीच में हो रही है...
अब आपके घर में एक लड़की हो और उसकी उमर उसके माता पिता के हिसाब से शादी की हो चुकी हो फिर भी कहीं भी बात ना बने तो ये उस घर के नजारे हैं....
में सीढ़ियों के पास से छुपकर देखा तो मेरी मम्मी और मेरी बहन लड़ रहे थे
जिसमें मेरी माँ के वही पुराने सवालो के हथियार की तू बताना तुझे क्या चाहिए बेटा
तुझे और कोई तो पसंद नहीं सच सच बता दो मुझे
तुझसे शादी करनी भी है की नहीं
तुझे कैसे लड़का चाहिए बोल ना
यहीं सारी चीजों के कारण शायद में छुट्टी के दिन बाहर रहना ज्यादा पसंद करता हूं
मैंने सोचा जाके इनकी बेहस सुलझाने की कोशिश करता हूं फिर मैंने सोचा हटाओ यार नींद पर फोकस करते हैं
जैसे में नीचे जाने के लिए मुड़ा एक जोर की आवाज आई "भैया जैसा"
मैं रुक गया,
वापीस पलटकर देखा तो मेरी बहन ने कहा भैया जैसा लड़का चाहिए,
ढूंढ दो मेरे लिए कोई भैया जैसा लड़का...
मिल जाएगा तो कर लुंगी शादी...
एक खामोशी भरा सन्नाटा छा गया पूरे कमरे में मां बेटी दोनों की आंखे थोड़ी थोड़ी नम हो चुकी है... थोड़ी देर बाद दोनो गले मिले फिर दोपहर का खाना बनाने के लिए किचन में चले गए
कुछ लड़ैया जरूरी होती है इस मनुष्य जीवन में अपने रिश्ते को बनाए रखने के लिए...
मुझे पता है ये बात मेरी बहन मेरे सामने कभी बोलने वाली नहीं थी...पर ये बात भी सच है की अगर ये बात वो मेरे सामने कहती तो शायद इतने विश्वास के साथ नही कह पाती...
हम लड़ते है, झगड़ते है
एक दूसरे की बुराइयां करते है
एक दूसरे से नाराज़ भी हो जाते है
पर कभी एक दूसरे को दु:खी नहीं देख सकते
इस लिए फिर से पूछ रहा हूं,
"राखी आने वाली है क्या सोचा है...?"