बप्पा Devang Kori द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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बप्पा

आज बप्पा को आये 11 दिन कैसे बीत गये पता ही नहीं चला...और उनके वापिस वैसे लौटने का समय भी आ गया...आज बहुत सारे लोगो को बप्पा को ले जाते देख एक किस्सा याद आ गया...
एक छोटा सा बच्चा था।
जिसकी सोसाइटी में भी बप्पा की बहुत सुंदर प्रतिमा स्थापित की गई थी। वो बच्चा रोज सुबह शाम अपने दोस्तों के साथ बप्पा की विराजमान जगह के पास खेलता, आरती करता, लोगों की मदद करता खुश रहता....
10 दिन तक उसने बप्पा की बड़ी सेवा की, जिस दिन बप्पा को अपने घर वापस लौटना था, उस दिन उस बच्चे की तबीयत खराब हो गई...उस बच्चे की सिर्फ एक ही इच्छा थी कि बप्पा को वो जाता हुए देखे और उनके प्रसाद में मिलने वाला मोदक खा पाये...पर तबियत खराब होने की वजह से वो उठ के बप्पा को छोड़ने तो जा ना सका पर उसने देखा कि बप्पा के आशीर्वाद रूपी मोदक उसके सोसाइटी के कुछ लोग हर घर पर जाकर बांट रहे थे...वो खुश हो गया
10 मिनट हो गए ,20 मिनट हो गए और देखते ही देखते आधे घंटे का समय बीत गया पर उसके घर की घंटी नहीं बजी प्रसाद के लिए । जब उसने देखा था तब प्रसाद देनेवाले लोग 7-8 घर ही दूर थे... उसकी मां को उसका ये भोलापन देख कर गम भी हो रहा था और खुशी भी... तो उसने बाहर आकर बाकी लोगों से पूछा कि आपको प्रसाद मिला तब पता चला कि हमारे पड़ोसवाले के घर आते-आते मोदक खत्म हो गए थे और नए मोदक जब आए तो कोई नया इंसान बांटने आया जिसने गलती से हमारा घर छोड़ दिया।
मां ने ये बात आकर बच्चे को बताई बच्चा रोने लगा, बप्पा से शिकायत करने लगा कि मैं आपसे कभी बात नहीं करूंगा, मैंने हर दिन आपकी सेवा की फिर भी मेरे साथ ही ऐसा क्यों हुआ... उसकी मां का दिल करुणा से भर आया कि एक बच्चा भगवान से कह रहा है कि मैं आपसे बात नहीं करूंगा पर क्या करती बचपन का मन इतना चंचल और पवित्रा होता है की भगवान से बात क्या भगवान से लड़ने का भी पूरा हक भगवान स्वयं दे देते है...
माँ भागी-भागी मंडप के पास जा पहुंची वहां भी उसने मोदक के बारे में पूछा पर कोई बात नहीं बनी..मां निराश होकर घर आ गई और बच्चे को समझाने लगी के बेटा में घर पर बना दूंगी मोदक तुमको जितने खाने हो खा लेना पर क्या करती बालमन कोन ही जीत पाया है...उस बच्चे को तो सिर्फ बप्पा ने दिए हुए मोदक ही खाने थे भले चाहे एक ही क्यों ना मिले...1 घंटा बीत गया लोग बप्पा का विसर्जन करके लौट रहे थे।
तभी घर की घंटी बजी मां ने बहार आकर देखा तो एक इंसान जिसका चेहरा पूरा गुलाल से रंगा हुआ था और हाथों में एक दोना जिसमें 4-5 मोदक और 2-3 बूंदी के लड्डू थे। उस इंसान ने बच्चे की मां को वो दोना पकड़ाया और बोला माफ करना में आशीर्वाद देना भूल गया था। मां की खुशी का ठिकाना नहीं था उसने बच्चे को पुकारा... बच्चा बहार आया तो मां के हाथ में दोना देखकर उसके आंसू आंखो में ही रुक गए उसके चेहरे पर एक बड़ी सी मुस्कुराहट आ गई उसने पूछा मां ये कहां से आया? माँ ने मुस्कुराते हुए बोला बेटा, "बप्पा दे कर गये..."
इस से एक बात तो पता चलती है के आस्था और सच्चे मन से विश्वास के साथ भगवान को याद किया जाए तो भक्त के लिए भगवान को आना ही पड़ता है..
बप्पा किसी को भी रुलाकर नहीं जाते।

गणपति बप्पा मोरया, अगले बरस तू जल्दी आ..जल्दी आ...