एक दिन सफलता मेरे सपनें में आई. Piyush Goel द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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एक दिन सफलता मेरे सपनें में आई.

एक दिन सफलता मेरे सपनें में आई और बोली मैं तुझे बहुत दिनों से देख रही हूँ तो बहुत मेहनती,हमेशा कुछ न कुछ करता रहता हैं.सफल होने के लिये, मैं समझ गई तू मुझे बहुत प्यार करता हैं,मैं बोला,हाँ,तुझे पाने के लिए में कुछ भी करूँगा, सफलता बड़े उत्साह से बोली. मैं तुझे मिल जाऊँगी, लेकिन उसके लिए तुझे मेरे पिता(मेहनत) व दो भाइयों( प्रयास),व ( विश्वास) से बात करनी होगी,मैं सफलता से बोला तुझे पाने के लिए कुछ भी कर सकता हूँ.सफलता मेरे से बोली जितना तू बेचैन हैं उतनी मैं भी हूँ तुझे पाने को, लेकिन पहले उन से बात तो कर, वे मान गये तो तू मेरा मैं तेरी.अगले दिन
मैं तैयार होकर चल दिया सफलता के घर, सफलता के घर वालों ने मेरा अच्छे से स्वागत किया और आने का कारण पूछा मैंने सब कुछ बता दिया.मैं आपकी बेटी सफलता से प्यार करता हूँ,सफलता के पिता( मेहनत) ने मेरे को एक पर्ची दी और कहा इस पर्ची में कुछ लिखा हैं और एक हफ़्ते बाद आना और जो इस पर्ची में लिखा हैं अगर तुम सही-सही सुना दोंगे,फिर सफलता तुम्हारी हो जायेगी.मैं उस पर्ची को लेकर बड़ा ही उत्साही था जैसे ही घर से बाहर निकला सबसे पहले उस पर्ची को खोल कर पढ़ा. उस पर्ची में “सफलता के बीस सूत्र” लिखे थे.१. मैं एक सफल इंसान हूँ. २.अपने आपको छोटा ना समझे ३. दूसरों को कभी भी नीचा न दिखायें ४.दृढ़ निश्चयी बने.५. चैलेंज स्वीकार करे ६. प्रतियोगी बनें. ७.आत्म विश्वास बढ़ायें ८.अपने से छोटे से भी सीख लें ९. सफलता का सम्मान करे.१०.दूसरों के दुःखों में साथ दे. ११.महान व्यक्तियों की जीवनी पढ़े. १२.अपने से बड़ो का आदर करे, छोटो को प्रोत्साहित करें.१३. सकारात्मक विचार रखें १४.लक्ष्य एक होना चाहिये, लक्ष्य मिलने पर आकर बड़ा कर दें. १५. ज़िंदगी में कुछ करना हैं दिल से लगा लो. १६.मूल्यवान शब्द में बहुत ताकत हैं मूल्यवान बने. १७. हँसना और हँसाना सीखे. १८. ये सोच कर चलो हर समस्या का समाधान हैं. १९. रीजन होना चाहिये, रीजन नहीं हैं कुछ भी संभव नहीं हैं.२०.अपनी सोच की क्षमता को बढ़ाओ.पर्ची को पढ़ कर बड़ा ही अच्छा लगा वाक़ई बड़ा ही सुंदर लिखा हैं.मैं दो दिन बाद ही सब याद करके सफलता के घर पहुँच गया. आज घर पर पिता जी नहीं थे, सफलता के दोनों भाइयों प्रयास और विश्वास ने आने का कारण पूछा, मैंने सब कुछ बता दिया, मैं मन ही मन सोचने लगा सफलता के पिता ने दोनों बेटों को नहीं बताया,विश्वास एक दम गुस्से में बोला तेरी हिम्मत कैसे हो गई,मैं कुछ कह पता इतने में ही सफलता के पिता जी आ गये और सब शांत करने के बाद आने का कारण पूछा, मैं बोला ,जी आपने जो पर्ची दी थी मैंने सब कुछ याद कर लिया और मैंने सब कुछ सुना दिया. दोनों भाइयों ने व पिता जी ने सफलता को मेरे साथ विदा किया और सफलता के पिता ने एक और बात कही बेटा आज से सफलता तुम्हारी हैं इसका अच्छे से ख़्याल रखना,हाँ,एक बात और कभी किसी का मन मत दुखाना( कम खा लेना गम खा लेना,पुण्य का पैसा कमाना पाप का नहीं).