उजाले की ओर –संस्मरण Pranava Bharti द्वारा सामाजिक कहानियां में हिंदी पीडीएफ

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उजाले की ओर –संस्मरण

स्नेहिल नमस्कार मित्रो

कैसे हैं आप सब?

अच्छे होंगे, हैं न?

जब हम हर पल परमपिता से जुड़े रहते हैं तो आनंद में ही रहते हैं न, हम उस ब्रह्मांड के हिस्से हैं न जो अलौकिक है, सार्वभौमिक है, शाश्वत है !!

हम इस इतने विशाल ब्रह्मांड के, इतने नन्हे से भाग हैं जिसको बायनाकुलर से भी नहीं देखा जा सकता।

फिर भी हम इतने विशाल हैं कि अपने ऊपर अभिमान का मनों बोझ लादे ताउम्र भटकते रहते हैं और टूटा हुआ महसूसने लगते हैं।

हाँ, गर्व को कितनी बार समझने की कोशिश की मैंने कि इतनी जल्दी बातों को अपने ऊपर मत ओढा करो लेकिन उसकी कुछ समझ में ही नहीं आता | देखा जाए तो वह बेकार की बातों में अपने आपको लगाकर खुद को ही परेशान कर लेता है | क्या छोटी-छोटी बातों में खुद को परेशान कर लेने से, किसी को गलत समझने से, किसी को जज करने से क्या हम खुद को परेशान नहीं करते ?

कुछ दर्द भरे अनुभव इसलिए हमें ज्यादा परेशान करते हैं क्योंकि हम स्वयं को उनसे प्रतिरक्षित नहीं कर सकते। जब भी हम कष्ट में होते हैं तो हम किसी चमत्कारी समाधान की खोज करने लग जाते हैं। यह हमारी पीड़ा को और ज्यादा बढ़ा देता है। इसलिए सबसे पहले तो हमें उस काल्पनिक जीवन के विषय में सपने देखना छोड़ देना चाहिए जहाँ कोई दर्द या कोई परेशानी नहीं है।

अगर हमें अपने कष्ट का सामना करना है तो उसके सामने डटकर खड़े रहना होगा, न कि अपनी सभी परेशानियाँ दूसरों के कंधों पर रख देनी होंगी |

अच्छा, बुरा हर समय बीत जाएगा, हमें अपने दृष्टिकोण में बदलाव लाना, स्वयं को हर परिस्थिति से जूझने के लायक बनाना ज़रूरी है | जब हम अपने दर्द से लड़ने का या उसके सामने घुटने टेकने का अथवा उसे दूसरों के कंधों पर रख देने का निर्णय लेते हैं, उसी समय हम अपने संघर्ष में हार जाते हैं क्योंकि तब हम उस दर्द को ही अपनी मानसिकता का केन्द्र बना लेते हैं। पीड़ा यह केवल हमारे विभिन्न अनुभवों का हिस्सा भर है, इससे ज्यादा ओर कुछ नही।

अपनी मानसिक शांति व स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है सही ढंग से चिंतन करना | यदि हमारी कोई गलती है तो उसे स्वीकार करके आगे बढ़ना और प्रयास करना कि भविष्य में हम उस गलती से दूर रह सकें | दूसरों पर अपना बोझ लाड़ देना और उन्हें जज करना भी गलत सिद्ध हो जाता है |

अत: अपनी मानसिकता का ध्यान रखें और आनंदित रहें व दूसरों को भी आनंदित रहने में सहयोग दें |

न हों विकल बहुत, यह जीवन है दोस्तों,

इसमें ग्राफ़ होते रहते हैं ऊपर-नीचे !!

आपका दिन सुखद ओर सुरक्षित हो। आनंद में रहें, उन्नति करें, स्मृति रहे जीवन नन्हा सा है |

 

सस्नेह आपकी मित्र

डॉ. प्रणव भारती