दर्द ए इश्क - 45 Heena katariya द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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दर्द ए इश्क - 45

रेहान और तान्या स्मृति की दादी जिस अस्पताल में थी वहां पहुंचते है। जैसे वह दोनो वार्ड की ओर आगे बढ़ते है तो देखते है स्मृति बेंच पर बैठे हुए रो रही थी। तान्या जल्दी से स्मृति के पास जाते हुए उसके कंधो पर हाथ रखते हुए उसे हौंसला देती है। स्मृति तान्या के कंधे पर सिर रख कर कहती है ।

स्मृति: पता नहीं क्या होगा!? एक नानी ही है यार जिसे मैं अपना परिवार कह सकती हूं! अगर वो भी चली गई तो...! ।
तान्या: ऐसा कुछ नहीं होगा डोंट वरी सब कुछ ठीक हो जाएगा ।
रेहान: डोंट वरी मैंने एम.डी. से बात कर ली है! वो बेस्ट सर्जन को लेकर बस थोड़ी देर में आते ही होगे ।
स्मृति: ( आंसू पोंछते हुए ) थैंक यू! यार ।
रेहान: ( कंधो को सहलाते हुए ) आखिर कार दोस्त किस लिए होते है! तो बस अब ये रोना बंद करो! नानी को कुछ नहीं होगा! और मैं कॉफी लेकर आता हूं! और कुछ चाहिए!? ।
स्मृति: ( सिर को ना में हिलाते हुए ) थैंक यू! ।
तान्या: जल्दी आना! ।
रेहान: ( सिर को हां मे हिलाते हुए स्मृति के लिए कॉफी लेने चला जाता हैं । ) ।


दूसरी ओर विकी अपने कमरे में बैठे बैठे फाइल पढ़ रहा था । उसके चेहरे पर एक साथ कई भाव उमड़ रहे थे । लेकिन उन सारे भाव में एक चैन की सांस के आसार भी दिख रहे थे । मानो जैसे किसी प्यासे को कुएं के पास जाके पानी पीने पर जो राहत मिलती है बिलकुल वैसी ही हालत विकी की थी । जैसे वह बरसो से जिस की तलास में था आज उसे वह मिल गया है। वह फाइल को बंद करते हुए.. सिगरेट जलाते हुए बालकनी में चला जाता है। उसके चेहरे पर हल्की सी मुस्कुराहट छाई हुई थी। जो की अंधेरी रात के बाद पूनम के चांद की रोशनी से जग खिलता है। वैसे ही कुछ विकी मुस्कुराहट लग रही थी। विकी सिगरेट की कस लेते हुए बोलता है।

" आखिरकार मेरा दिल सच्चा था! हम्म.. कितने खेल खेले मेरे साथ लेकिन फिर भी! वो तुम्हारी और ही मुड़ा! हां! स्तुति या फिर ये कहुं की तान्या! । हाहाहाहाहा..... काफी मजा आया होगा ना तुम्हे मेरे साथ! मेरे जज़्बात के साथ खेलने में जो में पागलों की तरह तुम्हारी और आकर्षित होता था और खुद को रोके रखता था! की स्तुति के अलावा कोई! मेरे दिल में जगह नहीं ले सकता लेकिन तुम.… ( हाथ पटकते हुए रेलिंग को पकड़ते हुए ) तुमने... मेरा प्यार तो हमेशा से ही तुम्हारे लिए मजाक ही था । वो तो मैं ही गधा था और हूं जो अभी भी तुम्हारे पीछे भाग रहा हूं पागलों की तरह। हाहाहाहाहा.... क्या खेल खेला है! पूरा का पूरा दिल छन्नी कर दिया । एक तो वैसे ही जैसे कम जख्म थे जो अब ये सच भी.... तुम्हे पता हैं मुझे लगा था की मुझे खुशी होगी जब पता चलेगा की तुम कहां हो! पर मैं एक बार फिर गलत निकला! खुशी से ज्यादा तो इस दिल में ( सीने पर हाथ रखते हुए ) ऐसा लग रहा है की मैं अभी मर जाऊंगा! । चुभन सी हो रही है की तुम मुझे देखते हुए मेरे करीब रहते हुए! एक बार भी नहीं पूछा की विकी कैसे हो! एक बार भी सुलझाने की कोशिश नहीं की आखिर क्या हुआ था क्यों हुआ था। काफी कमजोर था तुम्हारा भरोसा स्तुति और यूं कहुं की मैं...मैं.... ( रोते हुए ) विक्रम ठाकुर गलत था की मुझे भी कभी प्यार मिल सकता है या मैं किसी से प्यार कर सकता हूं!... । बेवकूफ.... हाहाहाहाहा.... महाबेवकूफ, हूं मैं इस दुनिया का सबसे बड़ा चु** इंसान हूं मैं । " तभी उसका फोन बजता है जिसे वह उठाते हुए कहता है।

विकी: सुलतान... हाहाहाहाहा!. ।
सुलतान: क्या हुआ नशे में हो क्या!? ।
विकी: ( हंसते हुए ) नशे में तो मैं था सुलतान! बहुत बड़ा भ्रम था मेरा की... हाहाहाहाहा...! ।
सुलतान: विकी... जैसा की तुम्हारा रिएक्शन है! लास्ट टाइम किसी ने फाइल बदल ली थी ।
विकी: थैंक यू! यार अब में शांति से मर सकता हूं! ।
सुलतान: ये ऐसी बहकी बहकी बाते क्यों कर रहा है! *** हो गया है क्या!? ।
विकी: मुझे ड्रिंक ही करना पड़ेगा क्योंकि होश में रहकर तो मुझे ये खबर हजम नहीं हो रही! । क्या सभी लड़कियां इतनी हार्टलेस होती है! क्या उन्हे प्यार नजर नहीं आता!? या फिर मैं गलत... गलत हूं.... ( रोते हुए ) इसीलिए मेरे साथ ऐसा हो रहा हैं ।
सुलतान: अब मुझे तो नहीं पता! सारी लड़कियां ऐसी होती है या नहीं! पर तुझे अगर वो चाहिए तो छीन ले यार फिर! मैं कोई इंतजाम करवाता हूं! ।
विकी: ( सिर को ना में हिलाते हुए ) छीनकर भी क्या फायदा जब उसके दिल में मेरे लिए कुछ है ही नहीं! दोस्ती भी नहीं प्यार तो दूर की बात है! वर्ना जिस स्तुति को मैं जानता हूं! वो मुझे छोटी से छोटी बात कहां करती थी आज वही स्तुति मेरे सामने एक अलग ही इंसान बने खड़ी है, जुठ पर जूठ बोल रही है लेकिन उसकी आंखों में अफसोस तो दूर की बात है मेरे लिए रहम का एक कतरा भी नजर नहीं आता! । उल्टा अब जब सारी बाते क्लियर हो गई है तो जो भी मेमेरिस है उसे याद करने पर उसकी आंखों में मेरे लिए सिर्फ और सिर्फ नफरत ही नजर आती है। हाहहहा....... ।
सुलतान: ( गला साफ करते हुए ) तु करना क्या चाहता है! ये बता मुझे!? ।
विकी: ( आंखे बंद करते हुए गहरी सांस लेता है ) इस दर्द से आजाद होना है सुलतान ( सीने पर मारते हुए ) अब... बस अब मैं ओर नहीं जेल सकता! । मुझे यहां से इन लोगो से इस दुनिया से बहुत दूर जाना है! जहां पर ये दर्द,फरेब,फीलिंग कुछ ना हो ।
सुलतान: ( चिंता के साथ ) विकी तुम क्या करने की सोच रहे हो!? ।
विकी: शुक्रिया! सुलतान उन सब के लिए जो तुमने मेरे लिए किया है! एक आखिरी बार एक और हेल्प करोगे!?।
सुलतान: बोलो... पर ये पागलों जैसी बाते मत करो! ।
विकी: आगे मैं जो भी करूंगा! तुम उसमे दखल नहीं दोगे।
सुलतान: विक्रम....! मैं! ।
विकी: ( हंसते हुए ) चलो कम से कम एक दोस्त तो है जिसे मुझे खोने का डर है! पर ये बात अब मेरे बस में भी नहीं है! मैने बहुत पहले से ही सोच लिया था सुलतान! अब देखते है वो क्या डिसीजन लेती है।
सुलतान: तुम सच में पागल हो! एक लड़की के लिए और भी उस लड़की के लिए जिसे तुम्हारी जरा भी फिक्र नहीं है! एक बार फिर सोच लो ये कोई खेल नहीं है विकी वो तुम्हे कभी भी जिंदा नहीं देखना चाहेगी ।
विकी: कोई नहीं अगर मेरी जान लेकर उसे सुकून मिलता है! तो ये विक्रम ठाकुर का वादा है मैं मुस्कुराते हुए! उसे ये जान देने के लिए तैयार हूं! बस उसकी आंखों में जो नफरत है उसकी जगह पर बस एक बार... एक बार... मुझे प्यार की, फिक्र की जलक देखनी है ( रोते हुए ) । अगर मेरी मौत से उसे खुशी मिलती है.... तो ठीक है ।
सुलतान: ( गुस्से में ) **** *** ***** तुम सठिया गए हो! पता नहीं में यहां क्यों आ गया! काश में इंडिया में ही रहा होता तो कम से कम रोक तो लेता।
विकी: तुम ऐसा वैसा कुछ भी नहीं करोगे! इसे मेरी जिद समझो या आखिरी ख्वाहिश ।

इतना कहते ही विकी कॉल काट देता है। एक मायूस मुस्कुराहट के साथ आसमान की ओर देखता है! । कुछ पल निहारने के बाद वह अपने कमरे में चला जाता है।


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