Dard a ishq - 44 books and stories free download online pdf in Hindi

दर्द ए इश्क - 44

रेहान यह नजारा बालकनी के पीछे छुपकर देख रहा था । और जैसे ही विकी सूझी के आंसू पोंछने के लिए सूझी के करीब गया रेहान को लगा विकी किस करने के लिए सूझी के करीब गया है। वह गुस्से में हाथ को मुट्ठी में बंद करते हुए बालकनी से कूद कर चला जाता है। जैसे ही वह आसपास देखता है तो तान्या दोनो गार्ड का ध्यान भटकाते हुए! पाव में मोच आने का ड्रामा कर रही थी। रेहान आसानी से मेइन गेट की ओर चला जाता है। वह तान्या का इंतजार कर ही रहा था की तभी तान्या लंगड़ाते हुए! बंगलो से बाहर आती है। और दोनो गार्ड उसे देख रहे थे। रेहान बिना कोई हाव भाव दिए वही खड़ा था । जब गार्ड ने गेट बंद कर लिया तब जल्दी से तान्या के पास जाते हुए कहता है।

रेहान: क्या हुआ ये!? ।
तान्या: ( रेहान की बात काटते हुए ) उन लोगो ने मुझे शक हो गया था इस वजह से मुझे ये ड्रामा करना पड़ा।
रेहान: ठीक है! पर अब तो तुम सीधा चल सकती हो।
तान्या: ( सिर को ना में हिलाते हुए ) यहां आसपास हर एक जगह पर केमेरा है।
रेहान: केमेरा!? ।
तान्या: शायद तुम्हे नहीं पता! लेकिन जो लोग करीबी है उन सबको पता है! ।
रेहान: ओके! ।
तान्या: क्या हुआ! सब प्लान के मुताबिक हुआ या!? ।
रेहान: यस! मैने उसे डराया तो है! और जितना मैं उसे जानता हूं! वो वही करेगी जैसा मैं चाहता हूं! ।
तान्या: गुड! और जैसे ही शादी हो जाएगी उसके बाद हम आगे का प्लान करेगे ।
रेहान: बस उसी दिन का इंतजार है कब में अपने हाथो से उस कमीने को जान से मारूंगा ।
तान्या: शादी के शादी के बाद तुम्हारा क्या प्लान है!? ।
रेहान: क्या प्लान होगा!? डेफिनेटली उसे भी सजा ही मिलेगी आफ्टरऑल उसने भी तो मेरे दिल से खेला है।
तान्या: अगर तुम चाहो तो सूझी को माफ कर सकते हो! क्योंकि उस रात दोनो नशे में थे और गलती हो जाती है।
रेहान: ( व्यंग्य के साथ ) गलती!? मेरे साथ रहकर मुझे अपना प्रेमी बनाके किसी ओर के साथ रंग रलिया चल रही थी ये कैसी गलती हुई! । माफ तो मैं उसे कभी भी नहीं करुंगा।
तान्या: ठीक है फिर जैसी तुम्हारी मर्जी।
रेहान: ( चलते चलते फिर से उसके दिमाग में थोड़ी देर वाला नजारा आता है। जब विकी उसे किस करने जा रहा था। मन में: माफ उसे किया जाता है जिसे अफसोस हो! यहां पर तो अफसोस तो बहुत दूर की बात है उसे एहसास भी नहीं है की उसने मेरा दिल तोड़ा है। आई प्रॉमिस सुजेन तुम्हारी लाइफ नर्क से भी बदतर बनाऊंगा। और हर एक पल इतना गम भरा होगा की तुम इस जिंदगी से बेहतर मौत को समझोगी । लेकिन मैं तुम्हे मरने भी नहीं दूंगा तब तक नहीं जब तक मुझे लगे की तुमने अपने गुनाहों की सजा भुगत ली है। ) ।
तान्या: वैसे सब प्लान के मुताबिक ही जा रहा है! पर मुझे फिर भी एक बैचैनी सी हो रही है! ।
रेहान: ( ख्यालों से बाहर आते हुए ) डोंट वरी! जैसा सोचा है बिल्कुल वैसा ही होगा! चाहे कुछ भी हो! ।
तान्या: जानती हूं! पर विकी कुछ बदल सा गया है!? ।
रेहान: क्या मतलब है तुम्हारा!? ।
तान्या: देखो न्यूज में किसी ओर के साथ तस्वीर फिर शादी कैंसल करवाना ये उसका प्लान होना चाहिए था पर यहां पर वो खुशी खुशी शादी के लिए तैयारी कर रहा है!? तुम्हे नहीं लगता कुछ गडबड है ।
रेहान: ( हाथ को मुट्ठी में बंद करते हुए ) गडबड कुछ नहीं है उसका पहले से ही यही प्लान था! ( सूझी ओर विकी की तस्वीरे याद करते हुए ) आखिरकार सूझी के परिवार से नाता जोड़ना यानी उसके पॉलिटिकल करियर सेट ( मन में: और सुजेन भी हमेशा के लिए उसकी जैसा वो चाहता था। ) ।
तान्या: ये भी सही है! और सूझी उसकी दोस्त भी है! तो फिर इस बात की भी चिंता नहीं रहेगी की शादी वाला रिश्ता कैसे निभाए! दोनो हैंडल कर सकते है।
रेहान: दोस्त!? ( धुतकारते हुए ) उसके दोस्ती के मायने कुछ अलग ही है।


तभी तान्या का फॉन बजता है देखती है तो स्मृति का फॉन था! । तान्या कॉल उठाते हुए! बात करती है। कुछ मिनिट बाद रेहान को कहती है। जल्दी से स्मृति के यहां जाना होगा उसकी नानी की तबियत खराब हो गई है। रेहान जल्दी से कार की ओर जाते हुए कार में बैठते हुए चालू करता है। और तान्या भी कार में बैठते हुए! यही मिन्नते कर रही थी की उसकी नानी ठीक हो । और वहां से चले जाते है ।


दूसरी ओर विकी सूझी को शांत करते हुए उसे सुलाकर कंबल ओढ़ा ही रहा था की उसके फॉन की रिंग बजती है। वह जल्दी से मोबाइल की रिंग बंद करते हुए उठाता है और सूझी से दूर जाते हुए बात करता है। कुछ मिनिट बात करने के बाद वह एक नजर सूझी की ओर डालता है। आज उसकी ऐसी हालत देखकर विकी को समझ नहीं आ रहा था किसको दोष दे!? खुद को, भगवान को जिसे वह मानता ही नहीं या फिर इस दुनिया को!? । उसे समझ नहीं आ रहा था कैसे ये सब सुलझाए! । क्योंकि ना तो वह खुद इस दर्द को झेलना चाहता था ना ही वह सुजैन को इस हालत में देख सकता था । अपनी पूरी जिंदगी में उसने एक बार ही कुछ मांगा था जब स्तुति और वह सिद्धिविनायक गए थे क्योंकि स्तुति का भरोसा था । तब विकी ने स्तुति के साथ सारी जिंदगी बिताने की मिन्नत की थी ।

"विकी देखो तुम अगर बप्पा से जो भी मांगोगे ना मैने सुना है वो कभी खाली हाथ नहीं लौटाते! । स्तुति मुस्कुरा कर कहती है।
विकी मुंह बिगाडकर कहता है। " कमोन स्तुति तुम भी ऐसी बातो में कब से मानने लगी!? ।
स्तुति मुंह फुलाते हुए विकी कि ओर आंखे छोटी करते हुए देखती है ।
विकी हार मानते हुए कहता है। अच्छा ठीक ठीक है! नहीं बोलूंगा उल्टा सीधा ! । खुश अब! ।
स्तुति मुस्कुराते हुए विकी की ओर देखती है।
विकी ना चाहते हुए भी मुस्कुराने लगता है क्योंकि स्तुति को मुस्कुराते देख एक सुकून सा महसूस हो रहा था । जो की इतने सालो में कभी भी महसूस नहीं किया उसने ।
स्तुति आरती की थाली खरीदते हुए दूसरी ओर जा रही थी की
विकी उसका हाथ थामते हुए कहता है। कहां जा रही हो!? ।
स्तुति विकी को कहती है! अरे पागल यहां पर हम साथ में नहीं जा सकते! पाप माना जाता है। अगर! ।
विकी मुंह बिगाड़ते हुए कुछ कहने ही वाला था पर फिर स्तुति की ओर नजर पड़ी तो मुंह बंद कर लिया ।
स्तुति उंगली से गेट दिखाते हुए कहती है । देखो उस ओर से तुम जाओ और फिर मिलते है।
विकी आश्चर्य में स्तुति की ओर देख रहा था । क्योंकि वह लोग मुंबई घूमने आए थे और ये लड़की यहां पर पूजा पाठ करवा रही है। ना चाहते हुए भी विकी हंसने लगता है। " पता नहीं क्या होगा मेरा!? " ( बालो पर हाथ फेरते हुए कहता है। ) ।
विकी मुस्कुरा कर दूसरे गेट की ओर से मंदिर के अंदर दाखिल होता है। काफी समय तक इंतजार के बाद उसका नंबर आया था। विकी एक बार कुछ सेकंड के लिए मंदिर में मूर्ति को देखता है। वैसे तो उसकी परछाई भी ऐसी जगह पर ना दिखती लेकिन स्तुति की वजह से यहां पर खड़ा है। फिर स्तुति का हंसता हुआ चेहरा उसके नजरो के सामने आता है। वह ना चाहते हुए हाथ जोड़ते हुए मिन्नत करते हुए कहता है।

" सीधी बात पे मै आता हूं! मुझे स्तुति पसंद हूं! और मुझे लगता है मैं उसे खुश रख सकता हूं! और वो मुझे और उसका आप पे भरोसा भी है । तो जब मैं उसे अपनी दिल की बात करु तब उसे भी मुझ से उतना प्यार हो जितना मुझे उससे हो। और हम दोनो हंसी खुशी जिंदगी बिताए । मेरे खातिर ना सही उसके खातिर ही सही अगर सुन सकते हो तो सुनो मेरी बात बाकी मुझे जो चाहिए वो तो मैं हासिल कर ही लेता हूं! ये तो स्तुति है जिसकी वजह से यहां खड़ा हूं! । वर्ना.... । "

इतना कहते हुए वह मंदिर से निकल जाता है ।

लेकिन उस मिन्नत का पूरा होना तो दूर की बात है। उसे एक भी सुकून का मौका नहीं मिला जो भी मिला वो दर्द उसे और सूझी दोनो को । दोनो की बस इतनी ही ख्वाहिश थी की एक हंसी खुशी वाली जिंदगी हो। लेकिन कोसो दूर तक उसके अंसार नहीं दिख रहे। तभी दरवाजा खटखटाने की आवाज आती है। विकी जल्दी से दरवाजा खोलते हुए फाइल लेता है। और सूझी के रुम की लाइट ऑफ करते हुए वहा से अपने कमरे की ओर चला जाता है ।


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