वेद, पुराण, उपनिषद चमत्कार या भ्रम - भाग 7 Arun Singla द्वारा आध्यात्मिक कथा में हिंदी पीडीएफ

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वेद, पुराण, उपनिषद चमत्कार या भ्रम - भाग 7

शिष्य : सोमरस क्या है ?
गुरु : सोमरस भुने हुए जौ, दही, सत्तुओं से युक्त, पुरोडाश सहित मन्त्रों के उचारण के साथ बनाया जाता था. पुरोडाश यग्य में आहुति देने वाली उस टिकिया को कहते हैं, जिसे पानी और पिसे हुए चावल को मिला कर, फिर उसे अग्नि में पका करा तेयार किया जाता है. सोम वर्ष भर, पर्वतीय प्रदेशों, हिमालय पर 8000 से 10000 फुट की ऊंचाई पर पाया जाता है. इसके पत्ते अंधेरे में भी चमकते रहते हैं, पर यह आसानी से नहीं मिलता, इसे खोजना पड़ता है, यह बहुत गुप्त रहता है.

वर्षा ऋतु सोम की जननी है. यह जिस जल से उत्पन्न होता है, उसी में बढ़ता है, उसी में बाद में वह प्रविष्ट हो जाता है, सोम जल का अंश धारण करता हुआ बढ़ता है. प्राचीनकाल में लोग भारी जड़ वाले पत्थरों से सोम को सिल बट्टे पर या ओखली की सहायता से कूटते थे, फिर निचोड़ते थे, निचोडे हुए पतले सोमरस में जल दही और दूध मिलाया जाता था, कुछ लोग शहद भी मिलाते थे. इसके बाद ही पुरोडाश पकाया जाता था एवं जौ भूने जाते थे. इस तरह से तेयार हुआ सोमरस स्वादिष्ट मधुर, तीर्व एवं रसवाला होता था.

ऋग्वेद में लिखा है, पवित्र और विशुद्ध सोमरस यज्ञ की शोभा बढाने वाला, आनंदित करने वाला है, यज्ञकर्ता सोम रस पी कर आनंदित होकर उत्साह के साथ यज्ञ करता है, और उसके मित्र भी सोमरस पीकर आनंदित होते हैं. यह सोमरस सोमपान करने वाले के समीप पीने हेतु अपने आप पहुँच जाता है. जिस प्रकार जीभ का पानी कभी नहीं सूखता, उसी प्रकार इंद्र के उदर में स्थित सोमरस भी कभी नहीं सूखता हे. इंद्र स्वाहा शब्द के साथ अग्नि में डाले गए सोमरस को पीकर तृप्त होत्ता है. सोमरस अपने पीने वाले को उत्साह प्रदान करता हैं, और चित को शांत करता है. और वास्तविक सुख, उत्साह तो चित की शांति में ही है. ऋग्वेद में यह भी वर्णन है कि सोमरस बल, आयु बडाने वाला, इच्छापूर्ति करने वाला अमृत के समान पेय होता था, जो नशा भी करता था.

अब विधि जानकार सोमरस बनाने ना बैठ जाना, सामग्री में दूध, दही, जो, तो आप इकट्ठा कर लेंगे, परंतु सोमरस ना बन पायेगा, क्योंकि जिस विधि से सोमरस तैयार किया जाते हैं, उस विधि में वह मन्त्र जिसको पढ कर, सोमरस तेयार किया जाता है, वह अति महत्वपूर्ण है, विधि में सोम को अभिमंत्रित करना सबसे जरुरी है, मन्त्र अब उपलब्ध नहीं है, तो बेकार कोशिश ना करें.

सब जानते हैं, पानी बनाने का फार्मूला H2O है, यह एक भाग आक्सीजन व् दो भाग हाइड्रोजन मिला कर बनता है, आप इन दोनो को मिलाते रहें, कभी पानी नहीं बनेगा, जब तक उन्हें मिलाते समय एक निश्चित मात्रा में ऊर्जा (energy) ना जोड़ दी जाए. सोमरस तेयार करने में मन्त्र ऊर्जा का काम करता है. यहाँ सोमरस की विधि की जानकारी देने का तात्पर्य, मात्र वैदिक काल के बारे में जानकारी देना है.

वापिस ऋग्वेद पर : वेदों का सिद्धांत है, जीवन जीने का ढंग, हम जो सोचते हैं, विचार करते हैं, वही कर्म करते हैं, जो कर्म करते हैं, उसी का फल मिलता हैं. ऋग्वेद में, ज्ञान, सुविचार, यानी हम जो सोचते है, वही कर्म करते हैं, के बारे में बताया गया है, और इसका अगला भाग है, जो कर्म करते हैं, उसी का फल मिलता हैं, कर्म के बारे में यजुर्वेद में बताया गया है.