वेद, पुराण, उपनिषद चमत्कार या भ्रम - भाग 9 Arun Singla द्वारा आध्यात्मिक कथा में हिंदी पीडीएफ

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वेद, पुराण, उपनिषद चमत्कार या भ्रम - भाग 9

प्रश्न : गद्य क्या है ?

गुरु : गद्य (prose) उस लिखित रचना को कहा जाता है, जो आम बोलचाल की भाषा में लिखी गई हो यानि कि जैसे हम बोलते हैं वैसे ही उसे लिखित शब्दों में उतार दिया गया हो. इसलिए यदि हम गद्य को पढ़ते हैं, तो ऐसा लगता है, मानो आमने सामने बातचीत हो रही है, हम लेखक से सीधे जुड़ जाते हैं, और इस तरह बात समझने में आसानी हो जाती है.

गद्य में किसी भी प्रकार से शब्दों की संख्या, अलंकार, मात्रा, वर्ण, या लयबद्ध तरीके का ध्यान नहीं रखा जाता, विशेषकर जब हम किसी बात या विधि को विस्तार पूर्वक लिखते हैं, जेसे की वेदों में लिखा गया है.

सुनते आये हैं, वेदों में बहुत कुछ लिखा गया है, इनमे ज्ञान का रहस्य, खजाना छुपा हुआ है, यह विवाद का विषय हो सकता है, परन्तु यह सार्वभौमिक सत्य है, जो सोचा जा सकता है, जो मस्तिष्क की सोचने की अंतिम सीमा है, वह बहुत पहले ना केवल वेद ऋषियों ने सोच लिया था, बल्कि इससे आगे जा कर देख लिया था. इसीलिये पश्चिमी फिलासफी को चिंतन व् भारतीय फिलासफी को दर्शन कहा गया है. भारतीय दर्शन सत्य एवं ज्ञान की खोज है, यह दर्शन वेदों की देन है, ओर वेदों का इतिहास सबसे पुराना है, यह पीढ़ी दर पीढ़ी अर्जित दर्शन है, वर्तमान समय में इसकी जड़ तक पहुंचना बहुत मुश्किल या लगभग असम्भव ही है .

जैसे कि वेदों में पहले से वर्णन है:
1.पथ्वी घूमती है, इंदर ने पृथ्वी को घुमाते हुए रखा है.
2.चंद्रमा के मंडल में सूर्य की किरणें विलीन होकर उसे प्रकाशित करती हैं, व् चंद्रमा सूर्य की किरणों से प्रकाशित होता है.
3.सूर्य दूर द्यूलोक से पृथ्वी का पालन करता है, जल को गति व रूप देता है.

पश्चिम ने यही सच हजारों साल बाद ढूंढा, और ये सब पहले से वर्णित सिद्धांत : Earth-Theory Of Rotation, Moon- Deflected Light Of The Sun, Sun- Source Of Energy के नाम से, पश्चिम की खोज माने गये.

भारत का, हमारा, दुनिया की सबसे पुरानी सभ्यता होने के कारण, एक गोरवशाली इतिहास रहा है, परंतु हम कब, एक उन्नंत समाज, प्रतिभा सम्पन्न समाज, सोने की चिड़िया कहलाने वाले समाज से, वक्त बीतने के साथ, और गुलामी का अभिशाप झेलने के बाद, पिछड़े हुए, सांप, सपेरों के देश के रूप में पहचाने जाने लगे, पता ही नहीं चला.

तो क्या अब वेद अप्रसांगिक हो गये हैं. ऐसा नहीं है, निरंतर सभ्यता के विकास के साथ परिवर्तन वेदों की सबसे बड़ी खूबी रही है. परन्तु अब एक लंबा अंतराल हो गया है, वेदों में सामयिक परिवर्तन (Update) नहीं किया गया है, इन वैदिक तथ्यों को अपडेट करना पड़ेगा.

अब वापिस हम अपने मूल विषय यजुर्वेद पर आते हैं, क्योंकि यह कर्मकांड प्रधान ग्रंथ भी हैं, तो इसे गध्य में यानि आम बोलचाल की भाषा में लिखा गया ताकि कर्म, यज्ञ, हवन आदि को विधिवत व् नियमवध रूप से संपन्न कराने के तरीके को सामान्य जन आसानी से समझ सके. इससे पहले ऋग्वेद को पध्य में लिखा गया था. यजुर्वेद को चारों वेदों में ऋग्वेद के बाद दूसरा वेद माना जाता है और तीसरा वेद है- सामवेद.

शिष्य : सामवेद क्या है ?
आगे कल, भाग … 10