बहन की चिट्ठी DINESH KUMAR KEER द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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बहन की चिट्ठी

बहन की चिट्ठी
बहन का मार्मिक पत्र ससुराल से:-
नहीं चाहिए मुझको हिस्सा
माँ-बाबा की दौलत में
चाहे वो जो जो लिख जाएँ
अपनी वसीयत में
नहीं चाहिए मुझको झुमका
चूड़ी पायल और कंगन
नहीं चाहिए अपनेपन की
कीमत पर बेगानापन
मुझको नश्वर चीज़ों की दिल से
कोई दरकार नहीं
संबंधों की कीमत पर
कोई सुविधा स्वीकार नहीं
माँ के सारे गहने-कपड़े
तुम भाभी को दे देना
बाबूजी का जो कुछ है
सब ख़ुशी ख़ुशी तुम ले लेना
चाहे पूरे वर्ष कोई भी
चिट्ठी-पत्री मत लिखना
मेरे स्नेह-निमंत्रण का भी
चाहे मोल नहीं करना
नहीं भेजना तोहफे मुझको
चाहे तीज-त्योहारों पर
पर थोडा-सा हक दे देना
बाबुल के गलियारों पर
रूपया पैसा कुछ ना चाहूँ
ये सब नाकाफी है
आशीर्वाद मिले मैके से
मुझको इतना काफी है
तोड़े से भी ना टूटे जो
ये ऐसा मन -बंधन है
इस बंधन को सारी दुनिया
कहती रक्षाबंधन है
तुम भी इस कच्चे धागे का
मान ज़रा-सा रख लेना
कम से कम राखी के दिन
बहना का रस्ता तक लेना
बाबुल के गलियारों पर
बस थोडा-सा हक दे देना
बस थोडा-सा हक दे देना...


2

बहन की चिठ्ठी...

नहीं चाहिए हिस्सा भैया
मेरा मायका सजाए रखना
राखी और भाई दूज पर
इंतजार बनाए रखना
कुछ ना देना मुझको चाहे
बस अपना प्यार बनाए रखना
पापा के इस घर में
मेरी याद सजाए रखना
बच्चों के मन में मेरा
मेरा मान बनाए रखना
बेटी हूं इस घर की सदा में
यह सम्मान सजोएं रखना
भाई बहन का प्यार हमेशा बना रहे...






3

हृदय भीतर समाई

बहुत सी कहानियाँ

कुछ अनमोल यादें

तो कुछ अमिट निशानियाँ


भूले नहीं भुलाती

वो नटखट नादानियाँ

वो पान के इक्के

ईट और रानियाँ


वो लूडो की साँप सीढ़ी

वो कैरम की गोटियाँ

वो सावन के झूले

वो माँ की नरम रोटियाँ


दिल को आज भी लुभाती हैं

गुज़रे हुए ज़माने की रवानियाँ

वो बेतुकी सी हरकतें

वो बेपरवाह मनमानियाँ


दिनेश कुमार कीर



4

सब से अलग हैं
भैया मेरा
सब से प्यारा है
भैया मेरा
कौन कहता हैं
खुशियाँ ही
सब होती हैं
जहां में
मेरे लिए तो
खुशियों से भी
अनमोल हैं
भैया मेरा



5

जिंदगी दर्द का दरिया...

सुन ऐ जिंदगी

मेरी आंखों में आसूं है

मगर टूटी नही हूं

रो रही हूं

बेशक मगर

कमजोर नहीं हूं

जिंदगी दर्द का दरिया है

मेरी कस्ती

भंवर में फसी है

होंसले बुलंद हैं

मुझे अभी पार जाना है

उनकी खुशी मांगी है

ऊपर वाले से

जिनके दिए

मेरी आंखों में ये आंसू हैं

लिख दी

अपनी हर सांस

अपनो के नाम

उन्ही से मेरी जिंदगी है

होंठ सिल लिए हैं

अब अपने

न शिकवे होंगे न शिकायतें

बस हमने

अपने जीने के

तरीके बदल लिए हैं...



6*Rakhi Festival*

Sister's brother's sweet gesture.

The festival of love, full of affection, Rakhi.

Mamtva Kusum Kachnar, tied in the thread of affection.

On the wrist of the brother, the sister adorns the bandanawar.

Shravan month full moon, Atmaja is ready.

Celebrating Rakhi in the courtyard of the house.

Karmavati sent to Humayun, the holy protector wire.

Religion was broken, Rakhi was the first time.

Krishna is also in the protector religion, bound by the bond of affection.

Made infinite, Draupadi's rag.



7

राखी

किसी घर के लिए रिश्तों का ये गहना नहीं होतों ..

बहुत कुछ एक दुजे के लिए सहना नहीं होतों ..

किसी घर के लिए रिश्तों का ये गहना नहीं होतों ..

बहुत कुछ एक दुजे के लिए सहना नहीं होतों ..

भला त्योहार राखी का मनेगा किस तरह सोचो...

कहीं भाई नहीं हो तो कही बहना नहीं होतों ..

भला त्योहार राखी का मनेगा किस तरह सोचो...

कहीं भाई नहीं हो तो कही बहना नहीं होतों ..